बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 18 सितम्बर 2024 का पंचांग,

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आप सभी को भाद्रपद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं


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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए बुधवार का पंचांग, Budhvar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,


बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


18 सितम्बर 2024 का पंचांग, ( Panchang ), 18 September 2024 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

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बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

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*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 1945
*कलि संवत 5124
*अयन – दक्षिणायन
*ऋतु – वर्षा ऋतु
*मास – भाद्रपद माह
*पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ,

बुधवार को बुध की होरा :-

प्रात: 6.04 AM से 7.06 AM तक

दोपहर 01.19 PM से 2.21 PM तक

रात्रि 20.26 PM से 9.23 PM तक

बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।

ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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बुध देव के मन्त्र

“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा

“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”

अक्षय तृतीया के दिन इस वस्तु का दान करने, सेवन करने से समस्त पापो का होता है नाश,

  • तिथि (Tithi) – पूर्णिमा 8.04 AM तक तत्पश्चात प्रतिपदा I
  • तिथि के स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है ।

आज सुबह 8.04 AM तक भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि है, उसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी । भाद्रपद पूर्णिमा के दिन जिन लोगो की पूर्णिमा तिथि को मृत्यु हुई हो उनका श्राद्ध किया जाता है, लेकिन श्राद्ध का प्रारम्भ उसके अगले दिन अश्विन माह की प्रतिपदा तिथि को माना जाता है ।

चूँकि प्रतिपदा तिथि बुधवार सुबह 8.05 AM से प्रारम्भ होकर गुरुवार सुबह तड़के 4.19 AM पर समाप्त हो रही है इसलिए प्रतिपदा का श्राद्ध आज बुधवार को ही किया जायेगा अर्थात श्राद्ध पक्ष का प्रारम्भ आज बुधवार से होगा ।

“मध्याह्ने श्राद्धम् समाचरेत” इसके ​अनुसार श्राद्ध का कार्य दोपहर के समय में ही करना चाहिए, इसी कारण पितरों का श्राद्ध, पिंडदान, आदि 11:30 बजे से दोपहर 03:30 बजे तक करना चाहिए ।

पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें ।

पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।

पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए।

पूर्णिमा तिथि के दिन चन्द्र देव जी के मन्त्र

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:। अथवा

ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।

का जाप करने से कुंडली में चन्द्रमा के शुभ फल मिलने लगते है ।

इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।

पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।

पूर्णिमा के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है।

पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

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आज बुधवार 18 सितंबर का वर्ष 2024 का दूसरा चंद्र ग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा + प्रतिपदा तिथि अर्थात पहले श्राद्ध पर लग रहा है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह चंद्रग्रहण सुबह 06 बजकर 12 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 17 मिनट तक रहने वाला है । चंद्र ग्रहण की अवधि 04 घंटे 04 मिनट की होगी ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह चंद्र ग्रहण मीन राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा ।

चंद्र ग्रहण के प्रारंभ का समय: सुबह 6:12 बजे
चंद्र ग्रहण के समापन का समय: सुबह 10:17 बजे
चंद्र ग्रहण के परमग्रास का समय: सुबह 8:14 बजे
चंद्र ग्रहण का कुल समय: 4 घंटे 5 मिनट तक

पितृपक्ष में पहला श्राद्ध करने वाले लोगो को ग्रहण के बाद ही कोई भी तर्पण, श्राद्धकर्म करना चाहिए ।

यह चंद्र ग्रहण हिंद महासागर, अटलांटिक महासागर, पश्चिमी अफ्रीका, पश्चिमी यूरोप, दक्षिणी अमेरिका और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा, लेकिन भारत में यह किसी भी हिस्से में नहीं दिखाई देगा ।

चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है, सूतक काल में मंदिरो के कपाट बंद कर दिए जाते है, लेकिन जब चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा तो इसका सूतक काल भी मान्य नहीं है ।

अर्थात चूँकि 18 सितम्बर का चंद्र ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए भारत में इसका सूतक काल भी नहीं लगेगा ।

वैसे तो यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन पितृपक्ष के पहले दिन लगने वाले इस ग्रहण को शुभ नहीं माना जा रहा है, चंद्र ग्रहण के समय अधिक से अधिक मंत्रो का मानसिक रूप से जाप करना चाहिए । चंद्र ग्रहण के समय “ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।” अथवा

“ॐ सोम सोमाय नम :” का अधिक से अधिक जाप करना परम फलदाई है ।

नक्षत्र (Nakshatra) – पूर्वाभाद्रपद 11.00 AM तक तत्पश्चात उत्तराभाद्रपद

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-      पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं । 

नक्षत्रों की श्रेणी में पूर्वाभाद्रपद 25 वां नक्षत्र है। पूर्वाभाद्रपद का अर्थ है ‘पहले आने वाला भाग्यशाली पैरों वाला व्यक्ति’। 

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातक वाकपटु होते है उन्हें भाषण कला में निपुणता होती है ।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र तारे का लिंग पुरुष है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: आंबा, आम, तथा स्वाभाव उग्र होता है ।

इस नक्षत्र में जन्मे जातक आशावादी, ईमानदार, परोपकारी, मिलनसार, भरोसेमंद, धनवान और आत्मनिर्भर व्यक्ति होते हैं।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक विपरीत परिस्थितियों से घबराते नहीं है, वरन अपने सकारत्मक रवैये के कारण यह हर परिस्तिथि को अपने अनुकूल करने की क्षमता रखते है । सामान्यता यह  छल कपट, बेईमानी और नकारात्मक विचारो से दूर रहते हैं। 

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 8, भाग्यशाली रंग स्लेटी,  भाग्यशाली दिन शनिवार और बुधवार है ।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज  नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ अजैकपदे नमः” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के जातको को भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए। उन्हें भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए , इससे जीवन में सभी संकट दूर रहते है ।

इस नक्षत्र में जन्मे जातको को काले कपड़े एवं चमड़े से बनी वस्तुओं का प्रयोग करने से बचना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – गण्ड 23.29 PM तक तत्पश्चात वृद्धि
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- गण्ड योग के स्वामी अग्नि एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – बव 08.04 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – बालव 18.11 PM तक तत्पश्चात कौलव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 6.08 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18.22 PM
  • विशेष – पूर्णिमा, संक्रांति, श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना, क्रोध करना, हिंसा करना निषिद्ध कहा गया है । 
  • पर्व त्यौहार- भाद्रपद पूर्णिमाश्राद्ध पक्ष प्रारम्भ

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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