Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 19 सितम्बर 2024 का पंचांग,

Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 19 सितम्बर 2024 का पंचांग,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 19 September 2024 Ka Panchang,

बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

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गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,

19 सितम्बर 2024 का पंचांग, 19 September 2024 Ka Panchang,


  • गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 19 September 2024 का पंचांग,
  • दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
  • गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।

    गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
  • गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
    इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

    इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,
  • गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
    इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।

यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है

अवश्य जानिए हनुमान जी के कितने भाई है, उनकी पत्नी और पुत्र का नाम क्या है, 

  • *विक्रम संवत् 2081,
  • * शक संवत – 1945,
    *कलि संवत 5124,
    * अयन – दक्षिणायन,
    * ऋतु – वर्षा ऋतु,
    * मास – अश्विन माह
    * पक्ष – कृष्ण पक्ष
    *चंद्र बल – मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुम्भ, मीन,

गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-

प्रात: 6.08 AM से 7.09 AM तक

दोपहर 01.15 PM से 2.16 PM तक

रात्रि 20.18 PM से 9.17 PM तक

जीवन में स्थाई परिवारिक सुख, सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य के लिए पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय अवश्य ही करें ,जानिए पूर्णिमा के अचूक उपाय

आज गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा के समय दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली ( अंगूठे के बगल वाली उंगली ) के नीचे गुरु पर्वत और उस पूरी ऊंगली पर बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य ) I

गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

बृहस्पति देव के मन्त्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।

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  • तिथि (Tithi) :- द्वितीया तिथि 12.39 AM 20 सितम्बर तक
  • तिथि का स्वामी – द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्मा जी है ।

द्वितीया तिथि के स्वामी सृष्टि के रचियता भगवान ‘ब्रह्मा’ जी हैं। इसका विशेष नाम ‘सुमंगला’ है। यह भद्रा संज्ञक तिथि है।

सोमवार और शुक्रवार को द्वितीया तिथि मृत्युदा होती है।

लेकिन बुधवार के दिन दोनों पक्षों की द्वितीया में विशेष सामर्थ होता है और यह सिद्धिदा हो जाती है, अर्थात इसमें किये गये सभी कार्य शुभ और सफल होते हैं।

द्वितीया तिथि को चारो वेदो के रचियता ब्रह्मा जी का स्मरण करने से कार्य सिद्ध होते है।

व्यासलिखित पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा को स्वयंभू (स्वयं जन्म लेने वाला) और चार वेदों का निर्माता माना गया है।

ब्रह्मा जी की उत्पत्ति विष्णु की नाभि से निकले कमल से मानी गयी है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी के एक मुँह से हर वेद निकला था।

देवी सावित्री ब्रह्मा जी की पत्नी, माँ सरस्वती ब्रह्मा जी की पुत्री, सनकादि ऋषि, नारद मुनि और दक्ष प्रजापति इनके पुत्र और इनका वाहन हंस है।

ब्रह्मा जी ने अपने चारो हाथों में क्रमश: वरमुद्रा, अक्षरसूत्र, वेद तथा कमण्डलु धारण किया है।

द्वितीया तिथि को ब्रह्मचारी ब्राह्मण की पूजा करना एवं उन्हें भोजन, अन्न, वस्त्र आदि का दान देना बहुत शुभ माना गया है।

भारत के राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्मा जी का विश्व प्रसिद्द मंदिर है, ब्रह्मा जी की पूजा भारत में केवल यहीं पुष्कर तीर्थ के ब्रह्मा मंदिर में ही की जाती है । यहाँ पर ब्रह्मा जी के दर्शन पूजा से समस्त कार्य सिद्ध होने लगते है ।

ऐसा माना जाता है कि पुष्कर तीर्थ को स्वयं सृष्टि के हिंदू देवता ब्रह्मा द्वारा निर्मित किया गया था । इस तीर्थ में हर साल लाखो हिन्दू ब्रह्मा जी के दर्शन, उनकी पूजा करने के लिए आते है ।

शुक्ल पक्ष की द्वितीया में भगवान शंकर जी माँ पार्वती के संग होते हैं इसलिए भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।

लेकिन कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि में भगवान शंकर की पूजा करना उत्तम नहीं माना जाता है।

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  • नक्षत्र (Nakshatra) – उत्तरभाद्रपद 8.04 AM तक तत्पश्चात रेवती
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –        उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के देवता अहिर्बुंधन्य देव, स्वामी शनि देव जी एवं वहीं राशि स्वामी गुरु है ।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र 27 नक्षत्रों में 26 वां नक्षत्र है। उत्तर भाद्रपद नक्षत्र वैवाहिक आनंद, सुख समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र  प्रकाश की किरण, संसार को खुशियों का आशीर्वाद देता है।

शनि और गुरु में शत्रुता है। और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के जातको पर जीवन भर शनि और गुरु दोनों का ही प्रभाव रहता है ।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : नीम तथा इस नक्षत्र का स्वाभाव शुभ माना गया है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति धार्मिक, कुशल वक्ता,  यशस्वी, परोपकारी और धनवान होते है।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को सन्तान पक्ष से सुख की प्राप्ति होती है। इनका पारिवारिक जीवन भी समान्यता सुखमय ही रहता है।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति को हनुमान जी की आराधना करनी फलदाई कही गयी है , इनको पीपल की सदैव  /  विशेषकर शनिवार के दिन  तो अवश्य ही सेवा करनी चाहिए ।

उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक क्या हैं 6 और 8, भाग्यशाली रंग बैगनी तथा भाग्यशाली दिन  गुरुवार, मंगलवार और शुक्रवार होता है ।

उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को इस नक्षत्र देवता के नाममंत्र:- ॐ अहिर्बुंधन्याय नमःl  मन्त्र की माला का जाप अवश्य करना चाहिए । ऐसा करने से कार्यो में मनवांछित लाभ की प्राप्ति होती है ।

यदि राशिनुसार सूर्य ग्रहण के उपाय तो भाग्य होगा मजबूत, सारे संकट – कष्ट होंगे दूर, जानिए राशिनुसार सूर्य ग्रहण के अचूक उपाय,



कैसा भी सिर दर्द हो उसे करें तुरंत छूमंतर, जानिए सिर दर्द के अचूक उपा

योग :- वृद्धि 19.19 PM तक तत्पश्चात ध्रुव

योग के स्वामी, स्वभाव :- वृद्धि  योग के स्वामी सूर्य देव एवं स्वभाव शुभ माना जाता है ।

प्रथम करण :- तैतिल 14.28 PM तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-   तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।

द्वितीय करण :- गर 12.39 AM 20 सितम्बर तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-   गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।

  • दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:08
  • सूर्यास्त – सायं 18:21
  • विशेष – द्वितीया को बैगन, कटहल और नींबू का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • पर्व त्यौहार
  • मुहूर्त (Muhurt) – श्राद्ध पक्ष की द्वितीया तिथि

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

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आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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