navratri me kalash sthapna, नवरात्र में कलश स्थापना 2024,

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navratri me kalash sthapna, नवरात्र में कलश स्थापना,

हे माँ आदि शक्ति आप अपने भक्तो पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखते हुए उनकी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करे ।

नवरात्री में कलश स्थापना Navratri me kalash sthapna का बहुत महत्व है। नवरात्रि Navratri की प्रतिपदा के दिन सभी भक्त श्रद्धानुसार अपने घर / कारोबार में घट अर्थात कलश स्थापना, Kalash sthapna करते हैं।

शास्त्रो के अनुसार शुभ मुहूर्त Shubh Muhurat एवं विधि विधान से नवरात्र में कलश स्थापना करने, Navratri me kalash sthapna से माँ अति प्रसन्न होती है।
कई बार ऐसा देखा जाता है कि भक्त पूरी श्रद्धा से माँ की आराधना करते है लेकिन उन्हें कलश स्थापना Kalash sthapna की सही विधि नहीं मालूम होती है, यहाँ पर हम आपको कलश स्थापना Kalash sthapna की आसान विधि बता रहे है,

नवरात्र में कलश स्थापना कैसे करें, navratri me kalash sthapna kaise karen,

* नवरात्र के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त Shubh Muhurat में घर के मंदिर में अथवा घर के ईशान कोण या पूर्व दिशा में लकड़ी की चौकी पर लाल अथवा पीले वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर माँ दुगा की मूर्ती या तसवीर को स्थापित करना चाहिए।

* प्रतिपदा के दिन सुबह शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना, Shubh Muhurat me Kalash Sthapna के लिए सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें, इस पात्र को स्थापित करने से पहले इसके नीचे सप्तधान्य बिखेर दें I

फिर इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाकर फिर एक जौ की परत बिछाएं।
इसके ऊपर फिर मिट्टी की और उसके बाद एक परत जौ की बिछाएं ततपश्चात उसको जल से अच्छी तरह से गीला करके उसके पश्चात उसपर सोने, तांबे अथवा मिट्टी के कलश की विधिपूर्वक स्थापित करें।

* (इस बात का विशेष ध्यान दे कि जो कलश आप स्थापित कर रहे है वह मिट्टी, पीतल , तांबा, चाँदी या सोने का होना चाहिए। लेकिन लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग बिलकुल भी प्रयोग नहीं करे ।)

कलश को गंगा जल से भरकर उसमें पंचरत्न, रोली, मीठा, चाँदी का सिक्का डालकर उसपर आम के पत्ते लगाकर कलश को ढक्कन से ढक दें।

* फिर उस ढक्कन में अक्षत भरकर उसपर जटा वाला नारियल किसी लाल चुनरी में कलावा से लपेटकर उस पर रख दें । कलश के कंठ पर मोली अवश्य ही बाँध दें।

इस बात का विशेष ध्यान दे की कलश kalash पर रखे नारियल का मुँह किस ओर हो…….

कलश के ऊपर जो नारियल रखा जाता है उसे भगवान गणेश का प्रतीक भी माना जाता है,

नारियल का मुँह उस तरफ होता है, जिस ओर से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है। शास्त्रनुसार नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में बढ़ते है।
नारियल का मुख ऊपर की तरफ रहने से रोग प्रबल होते हैं, नारियल का मुख पूर्व की तरफ रखने से धन की हानि होती है।
लेकिन नारियल का मुख साधक की तरफ रहने से शुभ फलो की प्राप्ति होती है,
इसलिए नारियल का मुँह सदैव भक्त की तरफ ही होना चाहिए।

* इसके पश्चात् सभी देवी देवताओं का कलश में आवाहन करें। “हे माँ दुर्गा और सभी पूज्य देवी देवता आप सभी नवरात्र Navratri के इन नौ दिनों के लिए हमारे यहाँ पर पधारें।” इसके पश्चात् दीपक , धूप, अगरबत्ती जलाकर माँ की तस्वीर एवं कलश का पूजन करें। फिर माँ को फूल, माला, लौंग इलायची, नैवेद्य,पंचमेवा, इत्र, शहद, फल मिठाई आदि भी अवश्य ही अर्पित करें ।

* नवरात्र Navratri के दौरान यदि हो सके तो कलश Kalash के सामने अखंड दीप भी जलाएं।
यदि घी का दीपक लगाएं तो ध्‍यान रखें कि उसे माता की मूर्ति के दायीं ओर रखें और यदि तेल का दीपक जला रहे हैं, तो उसे मूर्ति के बायीं ओर रखें।

दीपक की स्थापना करते समय ध्यान रहे की दीपक के नीचे “चावल” अथवा “सप्तधान्य” रखकर उसके ऊपर दीपक को स्थापित करें ।

दीपक के नीचे “चावल” रखने से माँ लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है तथा दीपक के नीचे “सप्तधान्य” रखने से समस्त प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता है। 

नवरात्री Navratri में माँ के आगे जो दीपक जलाएं उसमें रुई की जगह यदि सूती लाल कलावे का प्रयोग किया जाय तो माँ की शीघ्र ही कृपा प्राप्त होती है इसलिए दीपक deepak की बत्ती में सूती लाल कलावे का प्रयोग करें ।

* नवरात्रे Navratre की अष्टमी या नवमी के दिन दस साल से कम उम्र की नौ कन्याओं और एक लडके को भोजन करा कर उन्हें दक्षिणा उपहार देकर उन कंजकों से उगे हुए जौ के बीच स्थापित कलश को अपने स्थान से हिलवा देना चाहिए, उसके बाद कुछ जौं को जड सहित उखाडकर घर की तिजौरी या धन स्थान पर रखना चाहिए इससे घर में स्थाई सुख समृ्द्धि का वास होता है ।

* नवरात्री के अंतिम दिन कलश के पानी को पूरे घर में छिडक देना चाहिए, इससे घर से अशुभ शक्तियां समाप्त होती है।
नारियल को तोड़कर माता दुर्गा के प्रसाद स्वरुप घर के सदस्यों के बीच में बाँट देना चाहिए।

* मिट्टी का बर्तन जिसमें जौ उगाई गयी थी उसे बची हुई जौ की घास के साथ संध्या से पहले किसी नदी में विसर्जित कर देना चहिये।

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<< जानिए नवरात्री में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

पं आचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

9425203501+07714070168

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।

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