शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 12 अक्टूबर 2024 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 12 अक्टूबर 2024 का पंचांग,

आप सभी भक्तो को महानवमी, असत्य पर सत्य की विजय के दिवस विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनायें,


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 12 October 2024 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )

    12 अक्टूबर
     2024 का पंचांग, 12 October 2024 ka Panchang,
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।

* विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1946,
* कलि संवत 5126,
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – 
अश्विन माह,
* पक्ष – 
शुक्ल पक्ष,
*चंद्र बल – मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन,

शनिवार को शनि महाराज की होरा :-

प्रात: 6.20 AM से 7.18 AM तक

दोपहर 1.05 PM से 2.02 PM तक

रात्रि 19.58 PM से 9.00 PM तक

शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शनि देव को करना है अपने अनुकूल तो नवरात्रि के शनिवार को अवश्य ही करें ये उपाय

शनि देव के मन्त्र :-

ॐ शं शनैश्चराय नमः।

अथवा

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।।

  • तिथि (Tithi)- नवमी 11.01 AM तक तत्पश्चात दशमी ।
  • तिथि का स्वामी – नवमी तिथि की स्वामिनी माँ दुर्गा जी और दशमी तिथि की स्वामी यमराज जी है ।

आज सुबह 11.01 AM तक नवमी तिथि है तत्पश्चात दशमी तिथि लग जाएगी इस बार नवमी तिथि का मान दो दिन 11 एवं 12 अक्टूबर को है ।

नवरात्रि के नवें दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं।

माता सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत सौम्य और मनोहारी है, मां की चार भुजाएं हैं। मां के एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा, एक हाथ में कमल का फूल और एक हाथ में शंख सुशोभित है। माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है।

मां सिद्धिदात्री को खीर का भोग लगाया जाता है। अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नवरात्रि की नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री के इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

महानवमी का दिन 9 दिनों तक चलने वाले दुर्गा पूजा अनुष्ठान का समापन दिवस माना जाता है। आज 9 कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने से, कन्या पूजन के साथ ही नवरात्री के नौ दिनों के ब्रत का समापन हो जायेगा, अगर कोई व्यक्ति नवरात्री का ब्रत ना भी रख पाए तो भी हर हिन्दू को यथासंभव नवरात्री में अपने घर पर कन्या पूजन अवश्य ही करना चाहिए।

धर्म शास्त्रों में नवरात्री में कन्या पूजन का बहुत ही महत्त्व बताया गया है । कन्या पूजन, से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, पूर्ण श्रद्धा, हर्ष – उल्लास से नन्ही नन्ही कंजको को अपने घर में भोजन कराने, उन्हें अपनी श्रद्धा – सामर्थ्य अनुसार उपहार देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से समस्त पापो का नाश होता है, कुंडली के अशुभ ग्रहो से भी शुभ फल मिलने लगते है ।

शास्त्रों के अनुसार घर पर कन्या पूजन से समस्त वास्तु, ग्रह जनित दोष समाप्त हो जाते है घर में सुख – शांति और मनवांछित लाभ की प्राप्ति होगी है।

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आज विजयदशमी का महापर्व है । आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को सत्य पर असत्य की विजय का पर्व दशहरे अर्थात विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है।

यह पर्व श्रीराम की रावण पर एवं माता दुर्गा की शुंभ-निशुंभ आदि असुरों पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला पर्व है । इस बार दशहरे का पर्व 12 अक्टूबर शनिवार को है ।

दशहरे के दिन भगवान श्रीराम, माँ अपराजिता देवी, शस्त्रों व शमी के वृक्ष की पूजा करने का विधान है।

मान्यता है कि विजयदशमी के दिन ही कुबेर देव ने राजा रघु को स्वर्ण मुद्राएं देने के लिए शमी के वृक्ष के पत्तों को सोने का बना दिया था। उसी समय से शमी को सोना देने वाला पेड़ माना जाता है।

इस दिन संध्या के समय शमी के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से सुख – समृद्धि, युद्ध और मुक़दमो में विजय मिलती है शत्रुओं का भय समाप्त होता है, आरोग्य व धन की प्राप्ति होती है ।

विजयदशमी के दिन शास्त्रों की पूजा का भी विधान बहुत ही प्राचीन समय से है, कहते हैं कि इस दिन शास्त्रों की पूजा करने से शत्रु परास्त होते है, व्यक्ति की सभी जगह पर विजय होती है ।

विजय दशमी के दिन नीलकण्ठ पक्षी का दर्शन अत्यंत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस इस दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन से पूरे वर्ष शुभ फल प्राप्त होंते है ।

जीवन में शत्रुओं पर, राजद्वार से, मुकदमो में विजय, जीवन में अशातीत सफलता के लिए विजयादशमी के दिन संध्या के समय इसी सर्व सिद्धिदायी विजयकाल में विजय के लिए “ॐ अपराजितायै नमः ॥ ” की कम से कम 5 माला का जप करें ।

नवरात्री में इस तरह से करें कन्या पूजन, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएँ, समस्त  वास्तु दोष, विघ्न, भय और शत्रुओं का होगा नाश

नक्षत्र (Nakshatra) – श्रवण 4.27 AM, 13 अक्टूबर तक

नक्षत्र के स्वामी :-        श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु और सरस्वती जी तथा स्वामी चंद्र देव जी है ।

श्रवण नक्षत्र 22 वें नंबर का नक्षत्र  है। यह एक त्रिशूल के जैसा प्रतीत होता है। श्रवण नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आक या  मंदार, और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है । श्रावण नक्षत्र का लिंग पुरुष है।

श्रवण नक्षत्र के जातक पर शनि और चंद्र का प्रभाव जीवनभर बना रहता है।  श्रवण नक्षत्र के जातक बुद्धिमान और अपने कार्यो में निपुण होते हैं । 

श्रवण नक्षत्र में जन्म होने से जातक सुंदर, दानवान, आज्ञाकारी, सर्वगुण संपन्न, धनवान और अपने क्षेत्र में मान सम्मान प्राप्त करता है।

लेकिन यदि शनि और चंद्र की स्थिति ठीक नहीं है तो ऐसा जातक क्रोधी, कंजूस, भय-शंकित रहने वाला, लापरवाह, आलसी होता है। 

यदि शनि और चंद्र कुंडली में एक ही जगह है, तो जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है।

 इसलिए जातक को हनुमानजी की सदैव उपासना करना है। जातक को शराब, मांस आदि व्यसनों से दूर रहना चाहिए।

श्रवण नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 8, भाग्यशाली रंग, आसमानी, हल्का नीला, भाग्यशाली दिन गुरुवार, बुधवार और सोमवार माना जाता है ।

श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ श्रवणाय नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नवरात्री में अवश्य करें ये उपाय  

अगर 50 की जगह 25, 60 की जगह 30 की उम्र चाहते है, जीवन में डाक्टर के पास ना जाना हो तो अवश्य करे ये उपाय   

  • योग (Yog) – धृति 12.22 AM, 13 अक्टूबर तक
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-  धृति योग के स्वामी जल एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।
  • प्रथम करण : – कौलव 10.58 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – तैतिल 22.08 PM तक तत्पश्चात गर
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-   तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:20 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18:54 PM
  • विशेष – शास्त्रों के अनुसार किसी भी पक्ष की नवमी तिथि में लौकी और कद्दू का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • दशमी के दिन कलम्बी, परवल का सेवन नहीं करना चाहिए ।


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  • पर्व त्यौहार- महानवमी, विजय दशमी,
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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