सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 20 अक्टूबर 2025 का पंचांग,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 20 अक्टूबर 2025 का पंचांग,

आप सभी को दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 20 अक्टूबर 2025 का पंचांग, 20 October 2025 ka Panchang,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

दिवाली पर करें अति शुभ मुहूर्त, स्थिर लग्न में गणेश – लक्ष्मी जी की पूजा, घर करोबार में रिद्धि-सिद्धि, माँ लक्ष्मी जी सदैव बनी रहेंगी,

सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

20 अक्टूबर 2025 का पंचांग, 20 October 2025 ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

घर पर कैसा भी हो वास्तु दोष अवश्य करें ये उपाय, जानिए वास्तु दोष निवारण के अचूक उपाय

*विक्रम संवत् 2082,
* शक संवत – 1947,
*कलि संवत 5127
*कलयुग 5126 वर्ष
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – कार्तिक माह,
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन,

सोमवार को चन्द्रमा की होरा :-

प्रात: 6.09 AM से 7.15 AM तक

दोपहर 01.13 PM से 2.14 PM तक

रात्रि 8.10 PM से 9.11 PM तक

सोमवार को चन्द्रमा की होरा में अधिक से अधिक चन्द्र देव के मन्त्र का जाप करें। यात्रा, प्रेम, प्रसन्नता, कला सम्बन्धी कार्यो के लिए चन्द्रमा की होरा अति उत्तम मानी जाती है।

दीपावली के दिन ऐसी रहेगी आपकी दिनचर्या तो घर में रिद्धि – सिद्धि, लक्ष्मी – गणेश जी का होगा स्थाई वास, जानिए 

सोमवार के दिन चन्द्रमा की होरा में चंद्रदेव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में चंद्र देव मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

चन्द्रमा के मन्त्र

ॐ सों सोमाय नम:।

ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।

दिवाली की रात ऐसे करें पूजा घर में पूरे वर्ष सुख – समृद्धि, धन की होगी वर्षा, जानिए दीपावली की पूजा विधि 

  • तिथि (Tithi) – चतुर्दशी 15.44 PM तक तत्पश्चात अमावस्या
  • तिथि का स्वामी – चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव जी है ।
  • असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दीपावली Dipavali कार्तिक मास की अमावस्या को पूरे भारतवर्ष में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस पर्व का सभी बच्चों और बड़ों को पूरे वर्ष इंतजार रहता है। इस पर्व को मनाने के लिए कई दिनों पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती है।
  • शास्त्रों के अनुसार प्रभु श्री राम जी चौदह वर्षों का वनवास बिताकर और लंकापति रावण का वध करके जब सीता माता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उनके स्वागत में सारी अयोध्या नगरी को दीपक जलाकर सजाया गया, यह पहली दिवाली मनाई गई थी जो त्रेता युग में थी । इसके साथ ही ये पर्व असत्य पर सत्य की विजय, अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व कहलाने लगा ।
  • इस वर्ष दीपावली 20 अक्टूबर को मनाएं अथवा 21 अक्टूबर को इसको लेकर भ्रम की स्थिति बनी है ।
  • पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि का प्रारम्भ 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 21 अक्टूबर को सांय 5 बजकर 55 मिनट पर होगा ।
  • चूँकि 20 तारीख को अमावस्या तिथि लगने के बाद उस में प्रदोष व्यापिनी तिथि, स्थिर लग्न और निशीथ काल प्राप्त हो रहा है, जिसमें ही महालक्ष्मी जी की पूजा करना श्रेष्ठ होता है इसलिए दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर सोमवार को ही मनाया जायेगा ।
  • पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में दीपावली का उल्लेख मिलता है। महर्षि बाल्मीकि जी द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायण नामक ग्रन्थ में भी इसका पूरा वर्णन मिलता है ।
  • दीपावली के सन्दर्भ में दूसरी मान्यता यह भी है कि इस दिन धन की देवी लक्ष्मी जी का समुद्र मंथन में पुनर्जन्म हुआ था। इसलिए दीपावली की रात्रि में विष्णु प्रिया माँ लक्ष्मी जी की पूजा करने से उस घर पर माँ लक्ष्मी का वास होता है ।
  • दीपावली Dipavali का अर्थ है दीपकों कि माला। इस दिन दीपक की पूजा की जाती है और घर, कारोबार को दीपको को जलाकर उनसे सजाया जाता है। दीपक अंधकार को दूर कर प्रकाश का प्रतीक हैं।
  • दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी – गणेश जी की पूजा अत्यंत फलदाई मानी गयी है, इस दिन लक्ष्मी गणेश जी की विधि पूर्वक, पूर्ण श्रद्धा से पूजा करने से अतुल ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।
  • दिवाली पूजन में कमल गट्टा, पीली सरसों, शहद, साबुत धनिया, पीली कौडिय़ां, गोमती चक्र, नाग केसर, साबुत हल्दी की गांठ, कमल का फूल, खील, बताशे, आदि का अवश्य प्रयोग करें I
  • मान्यता है इस दिन माँ लक्ष्मी रात में धरती में भ्रमण करती है और जो भक्त रात में जाग कर उनकी भक्ति करते है उनके यहाँ पर स्थाई रूप से निवास करती है ।
  • इस दिन पूरे घर को साफ करके उसे बहुत ही खूबसूरती से, माँ लक्ष्मी जी आगमन और स्वागत के लिए सजाया जाता है । नए वस्त्र धारण किये जाते है और सांय काल शुभ महूर्त में पूरे परिवार सहित सुख – सौभाग्य के लिए माँ लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा की जाती है ।
  • दीपावली की रात्रि में आतिशबाजी चलाने का भी चलन है, लोग आतिशबाजी जलाकर इस पर्व के प्रति अपना जोश, अपनी प्रसन्नता को व्यक्त करते है ।
  • दीपावली dipavali के दिन देवों के राजा इंद्र की भी पूजा अवश्य ही करनी चाहिए । मान्यता है की दीवाली diwali के दिन बही खाता और तुला आदि की भी पूजा करने से पूरे वर्ष भर कारोबार में लाभ मिलता है ।

    दिवाली पर माँ लक्ष्मी को लगाएं इन चीज़ो का भोग, सुख – समृद्धि की नहीं होगी कभी कमी, अवश्य जानिए माता लक्ष्मी के प्रिय भोग

अवश्य पढ़ें :- चाहते है बेदाग, गोरी त्वचा तो तुरंत करें ये उपाय, आप खुद भी आश्चर्य चकित हो जायेंगे, 

नक्षत्र (Nakshatra) – हस्त 20.17 PM तक तत्पश्चात चित्रा

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-      हस्त नक्षत्र के स्वामी चंद्र देव जी एवं राशि के स्वामी बुध देव जी है ।

आकाश मंडल में हस्त नक्षत्र को 13 वां नक्षत्र माना जाता है। यह आकाश में हाथ के पंजे के आकार में फैला सा नज़र आता है जो शक्ति, एकता, ताकत तथा भाग्य का प्रतीक है, इसमें सकारात्मक ऊर्जा मानी जाती है ।  

यह नक्षत्र विजय, बुद्दिमता और जीवन जीने की ललक को प्रदर्शित करता है। इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : चमेली रीठा तथा स्वाभाव शुभ माना गया है।

हस्त नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर चंद्र और बुध का प्रभाव बना रहता है।

इस नक्षत्र में जन्मा जातक शांत, दयालु, आकर्षक और वफादार होते हैं। यह एक अवसर तलाशने वाले, बुद्धिमान, मिलनसार, शांत और विनम्र स्वभाव के होते हैं ।

यदि चन्द्र और बुध की जन्म कुंडली में स्थिति खराब हो तो जातक दब्बू, डरपोक, शीघ्र क्रोध करने वाला,अनैतिक कार्यो में लिप्त रहने वाला शराब का लती भी हो सकता है ।

इन नक्षत्र के लोगो का 30 से 42 वर्ष की आयु के बीच का समय सबसे भाग्यशाली होता है।

हस्त नक्षत्र में पैदा हुई स्त्री, आकर्षक, मिलनसार बड़ो का सम्मान करने वाली होती हैं।  किसी के भी अधीन रहना इनको पसंद नहीं होता है, समान्यता इनका पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

हस्त नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 5,  भाग्यशाली रंग, गहरा हरा, भाग्यशाली दिन  सोमवार, शुक्रवार और बुधवार माना जाता है ।

हस्त नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ सावित्रे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

क्या आप जानते है कि माँ लक्ष्मी का प्राकट्य कब और कैसे हुआ ? उनके माता – पिता, भाई – बहन, पति, संतान और उनकी प्रिय वस्तुओं के बारे में अवश्य जानिए

अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 
  • योग (Yog) – वैधृति 2.35 AM AM मंगलवार 21 अक्टूबर तक
  • योग के स्वामी :-   वैधृति योग के स्वामी दिति और स्वभाव हानिकारक है ।
  • प्रथम करण : – शकुनि 15.44 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-           शकुनि करण की स्वामी माँ काली और स्वभाव क्रूर है ।

    अवश्य पढ़ें :- कुंडली में केतु अशुभ हो तो आत्मबल की होती है कमी, भय लगना, बुरे सपने आना, डिप्रेशन का होता है शिकार, केतु के शुभ फलो के लिए करे ये उपाय
  • द्वितीय करण : – चतुष्पाद 4.47 AM मंगलवार 21 अक्टूबर तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    चतुष्पाद करण के स्वामी रूद्र और स्वभाव क्रूर है ।
  • ब्रह्म मुहूर्त : 4.44 AM से 5.34 AM तक
  • विजय मुहूर्त : 13.59 PM से 14.45 PM तक
  • गोधूलि मुहूर्त : 17.46 PM से 18.12 PM तक
  • अमृत काल : 13.40 PM से 15.26 PM तक
  • विशेष – चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना, क्रोध करना, हिंसा करना मना है । ऐसा करने से दुर्भाग्य आता है, दुःख, कलह और दरिद्रता के योग बनते है ।  
  • पर्व त्यौहार- दीपावली का महापर्व
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।

20 अक्टूबर 2025 का पंचांग, 20 October 2025 ka Panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, monday ka panchang, monday ka rahu kaal, panchang, somvar ka panchang, somvar ka rahu kaal, somvar ka shubh panchang,

आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, पंचांग, मंडे का पंचांग, मंडे का राहुकाल, सोमवार का पंचांग, सोमवार का राहु काल, सोमवार का शुभ पंचांग

ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 7587346995)


दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Comment form message

Aacharya Mukti Narayan Pandey Adhyatma Jyotish paramarsh Kendra Raipur

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 29 अक्टूबर 2025 का पंचांग,

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 29 अक्टूबर 2025 का पंचांग, मंगलवार का पंचांग गुरुवार का पंचांग बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang,...