Shukrwar ka panchag, शुक्रवार का पंचांग, 31 अक्टूबर 2025 का पंचांग,


Shukrwar ka panchag, शुक्रवार का पंचांग, 31 अक्टूबर 2025 का पंचांग,

गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग

शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 31 अक्टूबर 2025 का पंचांग,

शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, Panchang 2025 हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

    1:- तिथि (Tithi)
    2:- वार (Day)
    3:- नक्षत्र (Nakshatra)
    4:- योग (Yog)
    5:- करण (Karan)


    पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

    जानिए, Shukravar Ka Panchang, शुक्रवार का पंचांग, आज का पंचांग, aaj ka panchang,

    31 अक्टूबर 2025 का पंचांग31 October  2025 ka Panchang,

  • महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

  • ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥

दोस्तों, हमारा whats up नंबर whats up ने रिस्ट्रीक्ड कर रखा है जिसके हम दो तीन दिनों से ब्राडकॉस्ट पर लोगो को बहुत ही कम मैसेज भेज पा रहे थे अब नंबर बिलकुल ही बंद है । अब अगर आप 16 सालो से निरंतर बनते, भेजते पंचांग को पढ़ना चाहते है और आप चाहते है कि दुसरो के पास भी नित्य पंचांग पहुँचता जाय तो कृपया इसे अपना फर्ज / धर्म समझकर, आप इस मैसेज को देखने के बाद इस पोस्ट / पेज का लिंक आगे ज्यादा से ज्यादा लोगो को शेयर करें, जिससे लोग इस पंचांग के प्रसार – प्रसार में अपना भी बहुमूल्य योगदान दे सकें । ईश्वर अच्छे लोगो का सदैव ही साथ देता है उन पर अपनी कृपा बरसता है । https://memorymuseum.net/shukrwar-ka-panchag.php
धन्यवाद


आज का पंचांग, aaj ka panchang,

दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।

शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय 
“श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।

शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।

  • * विक्रम संवत् – 2082 वर्ष
  • * शक संवत – 1947 वर्ष
    * कलि संवत – 5127 वर्ष
    * कलयुग – 5127 वर्ष
    * अयन – दक्षिणायन,
    * ऋतु – शरद ऋतु,
    * मास – कार्तिक माह
    * पक्ष – शुक्ल पक्ष
    * चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ

शुक्रवार को शुक्र देव की होरा :-

प्रात: 6.27 AM से 7.23 AM तक

दोपहर 01.05 PM से 2.01 PM तक

रात्रि 20.01 PM से 21.00 PM तक

धनतेरस के दिन इस उपाय से पूरे वर्ष घर कारोबार में प्रचुर मात्रा में धन आता रहेगा, धनतेरस के दिन अवश्य करें ये उपाय

दाहिने हाथ के अंगूठे से नीचे के हिस्से ( शुक्र का स्थान ) और अंगूठे पर थोड़ा सा इत्र लगाकर, ( इत्र ना मिले तो उसके बिना भी कर सकते है) बाएं हाथ के अंगूठे से उस हिस्से को शुक्र की होरा में “ॐ शुक्राये नम:” या

‘ॐ द्रांम द्रींम द्रौंम स: शुक्राय नम:।’ मंत्र का अधिक से अधिक जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य )I

यह उपाय आप कोई भी काम करते हुए चुपचाप कर सकते है इसके लिए किसी भी विधि विधान की कोई आवश्यकता नहीं है I

सुख समृद्धि, ऐश्वर्य, बड़ा भवन, विदेश यात्रा, प्रेम, रोमांस, सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए शुक्रवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा में शुक्रदेव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शुक ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शुक्र देव के मन्त्र :-

ॐ शुं शुक्राय नमः।। अथवा

” ॐ द्राम द्रीम द्रौम सः शुक्राय नमः “।।

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि के इस मन्त्र का जाप करने से समस्त रोगो का नाश होता है, जानिए कैसे करें भगवान धन्वन्तरि की पूजा 

ऐसे करें होलिका दहन, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का होगा संचार, सभी कष्ट रहेंगे दूर, अवश्य जानिए होलिका दहन की विधि,

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  • आज भगवान श्री विष्णु को अति प्रिय आंवला नवमी का पर्व है । कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष आंवला नवमी शुक्रवार 31 अक्टूबर को है। धर्म शास्त्रों के मुताबिक आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना गया है । मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष में निवास करते हैं ।

    मान्यता है कि आंवले के वृक्ष में बेल ( भगवान शंकर जी ) और तुलसी ( भगवान श्री विष्णु जी ) दोनों का गुण एक साथ होते है ।इसलिए यदि अगर कोई आंवले के पेड़ की पूजा करता है तो वह भगवान शिव और भगवान विष्णु जी दोनों की पूजा एक साथ कर लेता है ।

    आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की धूप, दीपक जलाकर, चुनरी चढ़ाकर पूजा करने, उसके नीचे बैठकर भोजन करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे घी का दीपक लगाकर आंवला वृक्ष की कच्चा सूत लपेटते हुए कम से कम 21 परिक्रमा की जाती है ।

    इस दिन भगवान श्री विष्णु जी पूजा करते हुए उन्हें आँवला अर्पित करें तत्पश्चात प्रसाद के रूप में आंवला अवश्य ग्रहण करना चाहिए। इस दिन आंवले का सेवन अमृत के समान माना गया है। मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा करने, आंवला ग्रहण करने, आंवले का दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

    इस दिन को कूष्मांड नवमी भी कहा जाता है। इस दिन कूष्मांड अर्थात कद्दू का दान करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। प्रत्येक मनुष्य को आंवला नवमी के दिन अपने घर में आंवले का पौधा अवश्य जी लगाना चाहिए, ऐसे करने से पापो का नाश होता है पुण्य फलो की प्राप्ति होती है ।आं

    वला नवमी के दिन अपने घर के सोना-चांदी के आभूषण आदि का पूजन भी करना चाहिए। इससे आपके आभूषणों के भंडार में दैवीय कृपा से वृद्धि होती रहती है।

    नक्षत्र ( Nakshatra ) : धनिष्ठा 18.51 PM तक तत्पश्चात शतभिषा,

    नक्षत्र के स्वामी :–       धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल और देवता वसु हैं ।

    27 नक्षत्रों में से धनिष्ठा नक्षत्र 23वां नक्षत्र है। ‘धनिष्ठा’ का अर्थ होता है ‘सबसे अधिक धनवान’। 

     वैदिक ज्योतिष में आठ वसुओं को इस नक्षत्र का अधिपति देवता माना गया है, वसु श्रेष्ठता, सुरक्षा, धन-धान्य आदि वस्तुओं के ही दूसरे नाम भी हैं।

    धनिष्ठा नक्षत्र एक ड्रम के आकार का नक्षत्र माना जाता है, जिसे ‘सबसे अधिक सुना जाने वाला’ नक्षत्र कहते है।

    धनिष्ठा नक्षत्र का गण – राक्षस तथा सितारा का लिंग महिला है। धनिष्ठा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: शमी, तथा स्वाभाव शुभ होता है ।

    इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति अनेको गुणों से समृद्ध होकर जीवन में सुख-समृद्धि, उच्च पद, प्रतिष्ठा प्राप्त करते है। ये लोग स्वभाव से संवेदनशील, दानी एवं अध्यात्मिक होते हैं। इस नक्षत्र के जातक दूसरों को कड़वे वचन नहीं बोलते है। यह अपने सम्बन्धो, कार्यो के प्रति ईमानदार होते हैं।  

    धनिष्ठा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8 और 9, भाग्यशाली रंग चमकीला स्लेटी, ग्रे, भाग्यशाली दिन शुक्रवार और बुधवार होता है ।

    धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज  “ॐ धनिष्ठायै नमः “ मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

    धनिष्ठा नक्षत्र के जातको को दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सुख – समृद्धि एवं समस्त सुखो की प्राप्ति होती है। इस नक्षत्र के जातको के लिए भगवान शिव की पूजा भी शुभफलदायक मानी जाती है।

    इस नक्षत्र के जातको को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भी समस्त सांसारिक सुख मिलते है। 

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    योग(Yog) :- वृद्धि 04.32 AM शनिवार 1 नवम्बर तक

    योग के स्वामी, स्वभाव :-        वृद्धि  योग के स्वामी सूर्य देव एवं स्वभाव शुभ माना जाता है ।

    प्रथम करण : – कौलव 10.03 AM तक,

    करण के स्वामी, स्वभाव :-      कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है ।

    द्वितीय करण :- तैतिल 21.45 PM तक तत्पश्चात गर

    करण के स्वामी, स्वभाव :-      तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।

    • दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है ।
    • ब्रह्म मुहूर्त : 4.49 AM से 5.41 AM तक
    • विजय मुहूर्त : 13.55 PM से 14.39 PM तक
    • गोधूलि मुहूर्त : 17.37 PM से 18.03 PM तक
    • अमृत काल : 08.09 AM से 09.56 AM तक

      यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
    • गुलिक काल : – शुक्रवार का गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
    • राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 AM से 12:00 PM तक ।
    • सूर्योदय – प्रातः 06:32
    • सूर्यास्त – सायं : 17:37
    • विशेष – शास्त्रों के अनुसार किसी भी पक्ष की नवमी तिथि में लौकी और कद्दू का सेवन नहीं करना चाहिए ।
    • दशमी के दिन कलम्बी, परवल का सेवन नहीं करना चाहिए ।
    • पर्व त्यौहार- आंवला नवमी

जरुर पढ़ें :- पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रो का राजा कहते है जानिए क्यों महत्वपूर्ण है पुष्य नक्षत्र,

  • “हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
    आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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    आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
    आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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    ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
    ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )


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