रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 5 अक्टूबर का पंचांग 2025 का पंचांग,

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रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,

5 अक्टूबर 2025 का पंचांग, 5 October 2025 ka Panchang,

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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
5 अक्टूबर 2025 का पंचांग, 5 October 2025 ka Panchang,

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भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।


* विक्रम संवत् – 2082, वर्ष
* शक संवत – 1947, वर्ष
* कलि संवत 5127, वर्ष
* कलयुग – 5127, वर्ष
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – अश्विन माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
* चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन,

रविवार को सूर्य देव की होरा :-

प्रात: 6.01 AM से 7.05 AM तक

दोपहर 01.18 PM से 02.18 PM तक

रात्रि 20.21 PM से 9.18 PM तक

रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।

सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शरद पूर्णिमा के दिन इस उपाय से जीवन भर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मिलेगी  असीम कृपा 

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सूर्य देव के मन्त्र :-

ॐ भास्कराय नमः।।

अथवा

ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।

त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी  हैं। कामदेव प्रेम के देवता माने जाते है । उन्हें सदैव युवा और आकर्षक रहने का वरदान है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र माने गए  हैं। उनका विवाह प्रेम और आकर्षण की देवी रति से हुआ है।

कामदेव के हाथ में धनुष है जिसका एक कोना स्थिरता और दूसरा कोना चंचलता का प्रतीक है। कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है। कामदेव जब कमान से अपना तीर छोड़ते हैं, तो उसमें कोई आवाज नहीं होती है।

कामदेव के बाण की यह विशेष बात है कि इनसे घायल होने के बाद भी व्यक्ति आनंद का सुखद अहसास महसूस करता है।

कामदेव का सम्बन्ध शुभ, प्रेम, सुख, सौंदर्य, यौवन, आनंद और कामेच्छा से है ।

कामदेव का वाहन हाथी को  माना गया है। शास्त्रों में कुछ जगह कामदेव का वाहन तोते को भी बताया गया है ।

त्रियोदशी के दिन मीठे वचन बोलने, प्रसन्न रहने से जातक रूपवान होता है, उसे अपने प्रेम में सफलता एवं इच्छित एवं योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है।

त्रियोदशी को कामदेव जी का स्मरण करने से वैवाहिक सुख भी पूर्णरूप से मिलता है।  +

अपने रूप और आकर्षण शक्ति को बढ़ाने के लिए  त्रियोदशी को कामदेव जी का मन्त्र ‘ॐ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्’ की एक माला  जाप अवश्य करें ।

इस तिथि का खास नाम जयकारा भी है। समान्यता त्रयोदशी तिथि यात्रा एवं शुभ कार्यो के लिए श्रेष्ठ होती है।

त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है।

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शरद पूर्णिमा के दिन इस फल …….. को भगवान श्री विष्णु जी को चढ़ाने, इस फल की पूजा करने से माँ लक्ष्मी उस घर में अवश्य ही आती है ।

नक्षत्र :- शतभिषा 08.01 AM तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद ।

नक्षत्र के स्वामी :-     शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुण देव जी और शतभिषा के स्वामी राहु जी है ।

शतभिषा नक्षत्र का स्थान आकाश मंडल के नक्षत्रो में 24 वां है।। ‘शतभिषा’ का अर्थ है ‘सौ चिकित्सक’ अथवा ‘सौ चिकित्सा’। यह एक चक्र, एक बैल गाड़ी जो चिकित्सा का प्रतीक है जैसा प्रतीत होता है। ऐसे जातक पर राहु और शनि का प्रभाव रहता है।

 शताभिषा नक्षत्र सितारे का लिंग तटस्थ है। शताभिषा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: कदंब, तथा स्वाभाव चर होता है ।

यदि कुंडली में राहु और शनि का प्रभाव अच्छा है तो जातक दार्शनिक, वैज्ञानिक, अच्छे आचरण वाला, आत्मविश्वास से भरा हुआ, महत्वाकांक्षी, साहसी, सदाचारी, दाता, धार्मिक लेकिन कठोर स्वाभाव वाला होता है।

लेकिन राहु के खराब होने पर जातक तंत्र मन्त्र पर बहुत विश्वास रखने वाला, वहमी, शक्की, पराई स्त्री पर आसक्त रहने वाला, कलह प्रिय, घर से दूर रहने की चाह रखने वाला, घर वालो को दुःख देने वाला होता है । 


अत: शतभिषा नक्षत्र के जातको को राहु को अपने अनुकूल करने का उपाय अवश्य जी करना चाहिए ।

शतभिषा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 4 और 8, भाग्यशाली रंग हरा और नीला, भाग्यशाली दिन शुक्रवार, शनिवार और सोमवार होता है ।

शतभिषा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज  नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ वरुणाय नमः ” या नक्षत्र नाम मंत्र :- “ॐ शतभिषजे नमः” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

शतभिषा नक्षत्र के जातको को  भगवान शंकर जी की उपासना करने से आशातीत सफलता मिलती है ।

गुरु पूर्णिमा के दिन इस मन्त्र का अवश्य ही करें जाप, जानिए गुरु पूर्णिमा का उपाय


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  • योग (Yog) – गण्ड 16.34 PM तक तत्पश्चात वृद्धि
  • योग के स्वामी :-    आयुष्मान योग के स्वामी चंद्र देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है । 
  • प्रथम करण : – तैतिल 15.03 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – गर 01.37 AM सोमवार 6 अक्टूबर तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-     गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
  • ब्रह्म मुहूर्त : 4.38 AM से 5.27 AM तक
  • विजय मुहूर्त : 14.07 PM से 14.54 PM तक
  • गोधूलि मुहूर्त : 18.02 PM से 18.27 PM तक
  • अमृत काल :- अमृत काल 20.51 PM से 12.20 AM सोमवार 6 अक्टूबर तक
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:16
  • सूर्यास्त – सायं 18:02

    आँखों की रौशनी बढ़ाने, आँखों से चश्मा उतारने के लिए अवश्य करें ये उपाय

  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है ।
  • पर्व त्यौहार-

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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