मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 7 अक्टूबर 2025 का पंचांग,
मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,
Panchang, पंचाग, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।
शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
आज का पंचांग, Aaj ka Panchang, मंगलवार का पंचांग, Mangalvar Ka Panchang,
7 अक्टूबर 2025 का पंचांग, 7 October 2025 ka panchang,
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
- दिन (वार) – मंगलवार Mangalwar के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।
मंगलवार Mangalwar को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
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मंगलवार के व्रत से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।
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*विक्रम संवत् 2082,
*शक संवत – 1947
*कलि सम्वत 5127
*अयन – दक्षिणयायन
*ऋतु – शरद ऋतु
*मास – अश्विन माह,
*पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुम्भ, मीन,
मंगलवार को मंगल की होरा :-
प्रात: 5.59 AM से 7.04 AM तक
दोपहर 01.19 PM से 2.18 PM तक
रात्रि 20.21 PM से 9.22 PM तक
मंगलवार को मंगल की होरा में हाथ की निम्न मंगल पर दो बूंद सरसो का तेल लगा कर उसे हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें ।
कृषि, भूमि, भवन, इंजीनियरिंग, खेलो, साहस, आत्मविश्वास
और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
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मंगल देव के मन्त्र
ॐ अं अंगारकाय नम: अथवा
ॐ भौं भौमाय नम:”
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तिथि :- पूर्णिमा 09.16 AM तक तत्पश्चात प्रतिपदा
तिथि के स्वामी :- पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है ।
आज सुबह 09.16 AM तक अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि ही है । पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें।
पूर्णिमा तिथि के दिन माँ लक्ष्मी की आराधना करने, श्री सूक्त का पाठ एवं कनकधारा स्रोत्र का पाठ करने से उस घर में सदैव माँ लक्ष्मी जी का वास होता है ।
पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए।
पूर्णिमा तिथि के दिन चन्द्र देव जी के मन्त्र
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:। अथवा
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।
का जाप करने से कुंडली में चन्द्रमा के शुभ फल मिलने लगते है ।
इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।
पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।
पूर्णिमा के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है।
पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
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- नक्षत्र (Nakshatra) – मूल 06.17 AM तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा
- नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी – मूल नक्षत्र के देवता निॠति (राक्षस) एवं स्वामी केतु जी है ।
मूल नक्षत्र का नक्षत्र मंडल में 19वां स्थान है। ‘मूल’ का अर्थ ‘जड़’ होता है। ज्योतिष शास्त्र में गंडमूल नक्षत्र के अंतर्गत अश्विनी, रेवती, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र को रखा गया है।
ज्योतिषियों का मानना है कि अगर बच्चे का जन्म गंडमूल नक्षण में हो तब उस की शांति अवश्य करा लेनी चाहिए अन्यथा इसका अशुभ परिणाम प्राप्त होता है।
गंडमूल नक्षत्र में जन्म लेने पर भी अगर लड़के का जन्म रात में और लड़की का जन्म दिन में हो, तब मूल नक्षत्र का प्रभाव समाप्त हो जाता है। लेकिन यदि बच्चे का जन्म अगर मंगलवार अथवा शनिवार के दिन हुआ है तो इसके अशुभ प्रभाव बढ़ जाते हैं।
मूल नक्षत्र में जन्मा जातक शांतिप्रिय, आकर्षक, साहसी, राजनीति में निपुण, धनवान, चतुर, वाकपटु, सौभाग्यशाली, ज्ञानवान और धार्मिक स्वभाव का होता है।
मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक को रविवार को छोड़कर सदैव या समय समय पर पीपल के वृक्ष में प्रसाद और जल चढ़ाते रहना चाहिए । मूल नक्षत्र सितारे का लिंग तटस्थ है।
मूल नक्षत्र का आराध्य वृक्ष साल और नक्षत्र का स्वभाव तीक्ष्ण माना गया है ।
मूल नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 7, भाग्यशाली रंग, सुनहरा और क्रीम, भाग्यशाली दिन शनिवार, मंगलवार और बुधवार का माना जाता है ।
मूल नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ निॠतये नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
शत्रुओं पर विजय, जीवन में अशातीत सफलता के लिए विजयदशमी के दिन सर्व सिद्धिदायी, विजय काल में अवश्य ही करे ये उपाय
- योग :- शोभन 01.03 AM बुधवार 1 अक्टूबर तक
- योग के स्वामी :- शोभन योग के स्वामी बृहस्पति देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।
- प्रथम करण : – बव 18.06 PM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
- द्वितीय करण : – बालव
- करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।
- ब्रह्म मुहूर्त : 04.35 AM से 5.25 AM तक
- विजय मुहूर्त : 14.10 PM से 14.58 PM तक
- गोधूलि मुहूर्त : 18.08 PM से 18.32 PM तक
- अमृत काल : 02.56 AM से 04.41 AM बुधवार 1 अक्टूबर तक
- दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ । - गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
- राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 06:13
- सूर्यास्त – सायं 18:08
- विशेष – शास्त्रों के अनुसार किसी भी पक्ष की नवमी तिथि में लौकी और कद्दू का सेवन नहीं करना चाहिए ।
- पर्व – त्यौहार- नवरात्री का आठवां दिन, जय माँ महागौरी
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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