शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 6 सितम्बर 2025 का पंचांग,
Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 6 September 2025 ka Panchang,
- Panchang, पंचाग, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang, saturday ka panchang।
- शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
6 सितम्बर 2025 का पंचांग, 6 September 2025 ka Panchang,
- शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
- दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
- शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
अगर धन की लगातार परेशानी रहती है, धन नहीं रुकता हो, सर पर कर्ज चढ़ा तो अवश्य करें ये उपाय
- शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
- शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
पितृ पक्ष में तिथिनुसार इस तरह से पितरो के निमित घर पर कराएं ब्राह्मण भोजन, पूरे वर्ष पितरो का मिलेगा आशीर्वाद

*विक्रम संवत् – 2082,
* शक संवत – 1947,
* कलि संवत – 5127,
* कलयुग 5127 वर्ष
* अयन – उत्त्तरायण,
* ऋतु – वर्षा ऋतु,
* मास – भाद्रपद माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष,
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ,
आप जितने भी बड़े ज्ञानी क्यों ना हो शनि देव के इन रहस्यों के बारे में नहीं ही जानते होंगे, शनि अमावस्या के दिन अवश्य जाने न्याय के देवता के बारे में खास और रोचक बातें
शनिवार को शनि महाराज की होरा :-
प्रात: 5.58 AM से 7.02 AM तक
दोपहर 01.22 PM से 2.296PM तक
रात्रि 20.26 PM से 9.20 PM तक
शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शनि देव के मन्त्र :-
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
अथवा
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
- तिथि (Tithi)- चतुर्दर्शी 01.41 AM रविवार 7 सितम्बर तक ।
- तिथि का स्वामी – चतुर्दर्शी तिथि के स्वामी भगवान श्री भोलेनाथ जी है ।
चतुर्दशी तिथि को भगवान भोलेनाथ की पूजा का विधान है लेकिन अनंत चतुर्दशी का पर्व भगवान श्री विष्णु अनंत स्वरूप को समर्पित है और गणेश चतुर्थी से गणेशजी का दस दिवसीय उत्सव भी अनंत चर्तुदशी पर समाप्त होता है। इस बार अनंत चतुर्दर्शी का पर्व शनिवार 6 सितम्बर को मनाया जायेगा ।
इस दिन गणेश विसर्जन का भी दिन होता है । इसलिए इस दिन भगवान भोलेनाथ जी के साथ श्री हरि विष्णु जी और गणेश जी की आराधना भी अवश्य जी करनी चाहिए ।
इस दिन भगवान श्री विष्णु जी के अनन्त भगवान की पूजा करके समस्त संकटों से रक्षा करने वाला अनन्त सूत्र को बांधा जाता है। कहा जाता है कि जब पाण्डव जुए में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में बहुत कष्टों को भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण जी ने उन्हें अनन्त चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी ।
उनकी आज्ञा अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर जी ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से अनंत चतुर्दशी व्रत करके अनन्त सूत्र को धारण किया था । इसी अनन्त चतुर्दशी के व्रत के प्रभाव से पांडवो के सभी कष्ट दूर हो गए थे और महाभारत के युद्ध में उन्हें जीत प्राप्त हुई थी ।
इस दिन शेषनाग की शैय्या पर लेटे हुए भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष चौदह गांठों से युक्त अनन्तसूत्र (डोरा ) रखें अर्थात उस डोरे में समान दुरी पर 14 गांठ लगाएं । इसके बाद ‘ॐ अनन्तायनम:’ मंत्र से भगवान विष्णु तथा अनंत सूत्र की विधि से पूजा करें। यह चौदह गांठें चौदह लोकों का प्रतीक मानी जाती हैं ।
इस दिन ॐ नम: भगवते वासुदेवाये नम: मन्त्र का अधिक से अधिक जाप अवश्य ही करना चाहिए ।
पूजा के पश्चात इस 14 गांठ वाले अनन्तसूत्र को मंत्र पढकर पुरुष अपने दाहिने हाथ और स्त्री अपने बाएं हाथ में बांध लें तो वर्ष भर कोई भी संकट निकट भी नहीं आता है, भगवन श्री विष्णु जी इस अनंत सूत्र को धारण करने वाले जातक की स्वयं रक्षा करते है इसमें कोई भी संशय नहीं है ।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करने से घर-परिवार में सुख-शांति का वास होता है, सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है ।
अनंत चतुर्दशी पर कृष्ण द्वारा युधिष्ठिर से कही गई कौण्डिन्य एवं उसकी स्त्री शीला की गाथा भी सुनाई जाती है ।
आज के दिन भगवान श्री भोलेनाथ जी की आराधना भी अवश्य ही करें क्योंकि चतुर्दर्शी तिथि के स्वामी स्वयं शंकर जी ही है ।

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नक्षत्र (Nakshatra) – धनिष्ठा 22.55 PM तक तत्पश्चात शतभिषा,
नक्षत्र के स्वामी :- धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल और देवता वसु हैं ।
27 नक्षत्रों में से धनिष्ठा नक्षत्र 23वां नक्षत्र है। ‘धनिष्ठा’ का अर्थ होता है ‘सबसे अधिक धनवान’।
वैदिक ज्योतिष में आठ वसुओं को इस नक्षत्र का अधिपति देवता माना गया है, वसु श्रेष्ठता, सुरक्षा, धन-धान्य आदि वस्तुओं के ही दूसरे नाम भी हैं।
धनिष्ठा नक्षत्र एक ड्रम के आकार का नक्षत्र माना जाता है, जिसे ‘सबसे अधिक सुना जाने वाला’ नक्षत्र कहते है।
धनिष्ठा नक्षत्र का गण – राक्षस तथा सितारा का लिंग महिला है। धनिष्ठा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: शमी, तथा स्वाभाव शुभ होता है ।
इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति अनेको गुणों से समृद्ध होकर जीवन में सुख-समृद्धि, उच्च पद, प्रतिष्ठा प्राप्त करते है। ये लोग स्वभाव से संवेदनशील, दानी एवं अध्यात्मिक होते हैं। इस नक्षत्र के जातक दूसरों को कड़वे वचन नहीं बोलते है। यह अपने सम्बन्धो, कार्यो के प्रति ईमानदार होते हैं।
धनिष्ठा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8 और 9, भाग्यशाली रंग चमकीला स्लेटी, ग्रे, भाग्यशाली दिन शुक्रवार और बुधवार होता है ।
धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज “ॐ धनिष्ठायै नमः “ मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।
धनिष्ठा नक्षत्र के जातको को दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सुख – समृद्धि एवं समस्त सुखो की प्राप्ति होती है। इस नक्षत्र के जातको के लिए भगवान शिव की पूजा भी शुभफलदायक मानी जाती है।
इस नक्षत्र के जातको को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भी समस्त सांसारिक सुख मिलते है।
- योग (Yog) – अतिगण्ड 11.52 AM तत्पश्चात सुकर्मा
- योग के स्वामी, स्वभाव :- अतिगण्ड योग के स्वामी चंद्र देव जी लेकिन स्वभाव हानिकारक है ।
- प्रथम करण : – गर 14.31 PM तक,
- करण के स्वामी, स्वभाव :- गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
- द्वितीय करण : – वणिज 01.41 AM तक रविवार 7 सितम्बर तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
- ब्रह्म मुहूर्त : 4.28 AM से 5.13 AM तक
- विजय मुहूर्त : 14.29 PM से 15.20 PM तक
- गोधूलि मुहूर्त : 18.45 PM से 19.07 PM तक
- अमृत काल : अमृत काल 05.49 AM से 07.37 AM तक रविवार 31 अगस्त तक
- गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 06:02 AM
- सूर्यास्त – सायं 18:37 PM
- विशेष – चतुर्दर्शी, श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना, क्रोध करना, हिंसा करना निषिद्ध कहा गया है ।
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- पर्व त्यौहार- अनंत चर्तुदर्शी
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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