रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 7 सितम्बर का पंचांग 2025 का पंचांग,

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रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,

37 सितम्बर 2025 का पंचांग, 7 September 2025 ka Panchang,

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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
7 सितम्बर 2025 का पंचांग, 7 September 2025 ka Panchang,

जानिए नवरात्री में कन्या पूजन में माता के किन किन स्वरूपों की पूजा की जाती है

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

* विक्रम संवत् – 2082, वर्ष
* शक संवत – 1947, वर्ष
* कलि संवत 5127, वर्ष
* कलयुग – 5127, वर्ष
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – वर्षा ऋतु,
* मास – भाद्रपद माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
* चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ,

रविवार को सूर्य देव की होरा :-

प्रात: 5.54 AM से 6.59 AM तक

दोपहर 01.23 PM से 02.22 PM तक

रात्रि 20.26 PM से 9.19 PM तक

रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।

सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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सूर्य देव के मन्त्र :-

ॐ भास्कराय नमः।।

अथवा

ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।

  • तिथि (Tithi) – पूर्णिमा 23.38 PM तक तत्पश्चात प्रतिपदा,
  • तिथि के स्वामी :- पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी है ।

आज भाद्रपद माह की पूर्णिमा, पूर्ण चंद्र ग्रहण का विशिष्ट संयोग है । आज पूर्णिमा का श्राद्ध भी है, इस दिन सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदी माँ या घर पर जल में गंगा जल डालकर स्नान करना चाहिए ।

इस दिन पूर्णिमा का श्राद्ध होता है और इसके बाद से ही पितरो का पक्ष अर्थात पितृ पक्ष प्रारम्भ हो जाता है, अत: इस दिन जप, तप, दान और पितरो का तर्पण अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है ।

पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें।

पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।

पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए।

पूर्णिमा तिथि के दिन चन्द्र देव जी के मन्त्र

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:। अथवा

ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।

का जाप करने से कुंडली में चन्द्रमा के शुभ फल मिलने लगते है ।

इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।

पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।

पूर्णिमा के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है।

पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

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आज 7 सितंबर रविवार को भाद्रपक्ष की पूर्णिमा, पितृ पक्ष के संयोग में पूर्ण चंद्र लगने वाला है 1

यह साल का आखिरी चन्द्र ग्रहण कुम्भ राशि और पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में लगेगा 1 यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो बल्ड मून 🌙 कहलाएगा I भारत में इसे नंगी आँखों से आसानी से लगभग सभी जगह देखा जा सकेगा ।

इस चंद्रग्रहण का स्पर्श भारत के समय के अनुसार 7 सितंबर को रात्रि में 9:57 पर होगा, ग्रहण का अंत मध्य रात्रि 1:27 AM पर होगा।

इस ग्रहण की पूर्णता 7 सितंबर को रात्रि 11:00 पर प्रारंभ होगी तथा ग्रहण की पूर्णता का अंत मध्य रात्रि 12:23 बजे पर होगा ।

इस ग्रहण की अवधि 3.30 घंटे की होगी तथा इस ग्रहण के पूर्णता की अवधि 1 घंटा 23 मिनट की है।

चूंकि यह चंद्र ग्रहण भारत में पूरी तरह से नजर आयेगा इसलिए इसका सूतक 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से ही लग जाएगा 1

ग्रहण का सूतक काल लगते ही सभी मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं और पूजा-पाठ या देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का स्पर्श तक वर्जित हो जाता है ।

पुरे भारत के अलावा,  यह चंद्र ग्रहण सम्पूर्ण एशिया, पूरे यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूदीलैंड में दिखाई देगा ।

यह चंद्र ग्रहण भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन लगेगा, इसलिए सूतक के कारण जिन लोगों को पूर्णिमा का श्राद्ध करना है वह दोपहर 12.57 से पूर्व ही श्राद्ध कर्म को संपन्न कर लें 1

भगवान वेदव्यास जी ने कहा है कि – सामान्य दिन से चंद्र ग्रहणमें किया गया मानसिक जप , तप, ध्यान, दान आदि एक लाख गुना और सूर्य चंद्र ग्रहणमें दस लाख गुना फलदायी होता है।

और यदि यह गंगा नदी के किनारे किया जाय तो चंद्र ग्रहणमें एक करोड़ गुना और सूर्य, ग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।

चंद्र ग्रहण के समय अधिक से अधिक मंत्रो का मानसिक रूप से जाप करना चाहिए । चंद्र ग्रहण के समय ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:। अथवा

ॐ सोम सोमाय नम : का अधिक से अधिक जाप करना परम फलदाई है ।

चन्द्रग्रहण होने पर “ॐ नम: शिवाय” मन्त्र का जप परम फलदाई है, चंद्रग्रहण के समय इस मन्त्र का जप करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

नक्षत्र :- शतभिषा 21.41 PM तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद ।

नक्षत्र के स्वामी :-     शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुण देव जी और शतभिषा के स्वामी राहु जी है ।

शतभिषा नक्षत्र का स्थान आकाश मंडल के नक्षत्रो में 24 वां है।। ‘शतभिषा’ का अर्थ है ‘सौ चिकित्सक’ अथवा ‘सौ चिकित्सा’। यह एक चक्र, एक बैल गाड़ी जो चिकित्सा का प्रतीक है जैसा प्रतीत होता है। ऐसे जातक पर राहु और शनि का प्रभाव रहता है।

 शताभिषा नक्षत्र सितारे का लिंग तटस्थ है। शताभिषा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: कदंब, तथा स्वाभाव चर होता है ।

यदि कुंडली में राहु और शनि का प्रभाव अच्छा है तो जातक दार्शनिक, वैज्ञानिक, अच्छे आचरण वाला, आत्मविश्वास से भरा हुआ, महत्वाकांक्षी, साहसी, सदाचारी, दाता, धार्मिक लेकिन कठोर स्वाभाव वाला होता है।

लेकिन राहु के खराब होने पर जातक तंत्र मन्त्र पर बहुत विश्वास रखने वाला, वहमी, शक्की, पराई स्त्री पर आसक्त रहने वाला, कलह प्रिय, घर से दूर रहने की चाह रखने वाला, घर वालो को दुःख देने वाला होता है । 


अत: शतभिषा नक्षत्र के जातको को राहु को अपने अनुकूल करने का उपाय अवश्य जी करना चाहिए ।

शतभिषा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 4 और 8, भाग्यशाली रंग हरा और नीला, भाग्यशाली दिन शुक्रवार, शनिवार और सोमवार होता है ।

शतभिषा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज  नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ वरुणाय नमः “ या नक्षत्र नाम मंत्र :- “ॐ शतभिषजे नमः” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

शतभिषा नक्षत्र के जातको को  भगवान शंकर जी की उपासना करने से आशातीत सफलता मिलती है ।

गुरु पूर्णिमा के दिन इस मन्त्र का अवश्य ही करें जाप, जानिए गुरु पूर्णिमा का उपाय


घर के बैडरूम में अगर है यह दोष तो दाम्पत्य जीवन में आएगी परेशानियाँ, जानिए बैडरूम के वास्तु टिप्स

  • योग (Yog) – सुकर्मा 09.23 AM तक तत्पश्चात धृति
  • योग के स्वामी :-   सुकर्मा योग के स्वामी इंद्र जी और स्वभाव शुभ माना जाता है । 
  • प्रथम करण : – विष्टि 12.43 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
  • द्वितीय करण : – बव 11.38 PM तक तत्पश्चात बालव,
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-     बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • ब्रह्म मुहूर्त : 4.31 AM से 5.16 AM तक
  • विजय मुहूर्त : 14.24 PM से 15.15 PM तक
  • गोधूलि मुहूर्त : 18.36 PM से 18.59 PM तक
  • अमृत काल :- अमृत काल 14.51 PM से 16.22 PM
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:02
  • सूर्यास्त – सायं 18:36

    आँखों की रौशनी बढ़ाने, आँखों से चश्मा उतारने के लिए अवश्य करें ये उपाय

  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    पूर्णिमा और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना, क्रोध करना, हिंसा करना मना है । ऐसा करने से दुर्भाग्य आता है, दुःख, कलह और दरिद्रता के योग बनते है ।
  • पर्व त्यौहार- भाद्रपद माह की पूर्णिमा, चंद्र ग्रहण,

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

मित्रो हम इस साईट के माध्यम से वर्ष 2010 से निरंतर आप लोगो के साथ जुड़े है। आप भारत या विश्व के किसी भी स्थान पर रहते है, अपने धर्म अपनी संस्कृति को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए Pandit Mukti Narayan Pandey Aadhyatm Jyotish paraamarsh Kendra Shyam Nagar Raipur  www.memorymuseum.net के साथ अवश्य जुड़ें, हमारा सहयोग करें ।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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