शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 5 अप्रैल 2025 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 5 अप्रैल 2025 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग

आप सभी को नवरात्री की अष्टमी, कन्या पूजन की हार्दिक शुभकामनायें, जय माँ गौरी


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 5 April 2025 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )

    5 अप्रैल 
    2025 का पंचांग, 5 April 2025 ka Panchang,
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।

* विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1946,
* कलि संवत 5126,
* अयन – उत्त्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – 
चैत्र माह,
* पक्ष – 
शुक्ल पक्ष,
*चंद्र बल – 
मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर,

अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नवरात्री के शनिवार और नवमी में अवश्य ही करें ये उपाय  

शनिवार को शनि महाराज की होरा :-

प्रात: 6.15 AM से 7.17 AM तक

दोपहर 01.28 PM से 2.29 PM तक

रात्रि 20.33 PM से 9.31 PM तक

शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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शनि देव के मन्त्र :-

ॐ शं शनैश्चराय नमः।

अथवा

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।।

  • तिथि (Tithi)- अष्टमी 19.26 PM तक तत्पश्चात नवमी ।
  • तिथि का स्वामी – अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और नवमी तिथि की स्वामी माँ दुर्गा जी है ।

नवरात्री के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी को भगवान गणेश की माता के रूप में भी जाना जाता है ।

इनकी उपासना से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। कोई भी संकट, दुःख उसके पास भी नहीं आता है । मां गौरी ममता की मूर्ति कही जाती हैं जो अपने भक्तों को अपने पुत्र समान प्रेम करती हैं।

मां महागौरी  का ये रूप बेहद सरस, सुलभ और मोहक है।

इनका वर्ण पूर्णतः गौर है, इनके सभी वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है और इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है।

महागौरी का वाहन वृषभ अर्थात बैल  है। इन की चार भुजाएँ हैं, इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपरवाले बाएँ हाथ में डमरू और नीचे के बाएँ हाथ में वर-मुद्रा हैं।

अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं। अष्टमी तिथि को माँ गौरी को दूध से बने नैवेद्य एवं नारियल का भोग लगाएं।

माँ गौरी की आराधना से सभी पाप नष्ट हो जाते है एवं धन, यश और  सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है  । ये धन, वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं।

नवरात्री की अष्टमी के दिन मां गौरी की कृपा के लिए यहाँ दिए गए मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए ।

“ॐ महा गौरी देव्यै नम:”

अथवा

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

जिनके घरो में अष्टमी पूजी जाती है जो सात नवरात्री का ब्रत रखते है उनके यहाँ अष्टमी की पूजा के बाद नन्ही कुंवारी कन्याओं को भोजन कराना शुभ फल देने वाला माना जाता है।

अष्टमी के दिन नन्ही कन्याओं जिन्हे कंजक कहा जाता है की पूजा करना, उन्हें प्रेम पूर्वक भोजन करवाकर उन्हें उपहार देने से माँ दुर्गा की असीम कृपा मिलती है  ।

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नक्षत्र (Nakshatra) – पुनर्वसु 5.32 AM, रविवार 6 अप्रैल तक,

नक्षत्र के स्वामी :-       पुनर्वसु नक्षत्र के देवता अदिति (पृथ्वी देवी), बृहस्पति, एवं नक्षत्र के स्वामी गुरु बृहस्पति जी है ।

 पुनर्वसु अर्थ पुन: शुभ या पुन: बसना होता है। पुनर्वसु नक्षत्र आकाश मंडल में  7वां नक्षत्र है ।

ज्योतिषशास्त्र में पुनर्वसु नक्षत्र को सबसे बड़ा और बहुत ही शुभ माना जाता है । यह मर्यादा पुरषोतम भगवान श्री राम जी का जन्म नक्षत्र है। मान्यता है कि पुनर्वसु जातक के यहा केवल पुत्र ही होता है।

माना जाता है कि जिसका जन्म इस नक्षत्र में होता है, वे दूसरों की सेवा करने, भलाई करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं  । पुनर्वसु प्रत्येक कार्य के शुभारम्भ के लिए, नयी शुरुआत के लिए श्रेष्ठ होता है। 

पुनर्वसु नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: बांस / बांबू और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है ।

इस नक्षत्र  में जन्मे जातक व्यव्हार कुशल, शांत, परोपकारी, धार्मिक,सुखी, दानी, न्यायप्रिय, लोकप्रिय, पुत्रवान होते हैं।

लेकिन यदि गुरु, बुध और चन्द्रमा शुभ ना जो तो ऐसा जातक कामुक, दब्बू,, बुद्धिहीन, कंजूस और थोड़े में ही संतुष्ट रहने वाला होता है।

इस नक्षत्र की स्त्रियां शांत लेकिन अकस्मात उग्र होने वाली, विलासी जीवन जीने वाली, कामुक, सौन्दर्यप्रेमी और आशावादी मानी जाती  है ।

पुनर्वसु नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3, भाग्यशाली रंग, सुनहरा, भाग्यशाली दिन गुरुवार का माना जाता है ।

पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ आदित्याय नम:”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – अतिगण्ड 20.03 PM तक तत्पश्चात सुकर्मा
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-   अतिगण्ड योग के स्वामी चंद्र देव जी लेकिन स्वभाव हानिकारक  है ।
  • प्रथम करण : – विष्टि 7.44 AM तक,
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-     विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
  • द्वितीय करण : – बव 19.25 PM तक तत्पश्चात बालव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • ब्रह्म मुहूर्त : 4.35 AM से 5.21 AM तक
  • विजय मुहूर्त : 14.30 PM से 15.20 PM तक
  • गोधूलि मुहूर्त : 18.40 PM से 19.03 PM तक
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:07 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18:41 PM
  • विशेष – अष्टमी को नारियल का सेवन नहीं करना चाहिए, अष्टमी को नारियल का सेवन करने से बुध्दि का नाश होता है  । 


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  • पर्व त्यौहार- नवरात्री की अष्टमी, कन्या पूजन, जय माँ गौरी
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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