सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 3 फरवरी 2025 का पंचांग, 3 February 2025 ka Panchang,
Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।
दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।
सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।
सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।
जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।
सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।
*विक्रम संवत् 2081, * शक संवत – 1945, *कलि संवत 5124 * अयन – दक्षिणायन, * ऋतु – शरद ऋतु, * मास – माघ माह, * पक्ष – शुक्ल पक्ष *चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन,
सोमवार को चन्द्रमा की होरा :-
प्रात: 7.08 AM से 8.02 AM तक
दोपहर 01.27 PM से 2.22 PM तक
रात्रि 8.13 PM से 9.18 PM तक
सोमवार को चन्द्रमा की होरा में अधिक से अधिक चन्द्र देव के मन्त्र का जाप करें। यात्रा, प्रेम,प्रसन्नता, कला सम्बन्धी कार्यो के लिए चन्द्रमा की होरा अति उत्तम मानी जाती है।
तिथि (Tithi) –षष्टी तिथि 4.37 AM, सोमवार 4 फरवरी तक
तिथि का स्वामी – षष्टी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी है ।
षष्ठी (छठ) के देवता भगवान भोलेनाथ और माँ पार्वती के बड़े पुत्र और देवताओं के सेनापति कार्तिकेय जी है, लेकिन वह पार्वतीजी के गर्भ से नहीं जन्मे है ।
दक्षिण भारत में इन्हे भगवान मुरुगन के रूप में पूजा जाता है। यह दक्षिण भारत के तमिल नाडु राज्य के रक्षक देव भी माने जाते हैं।
भारत के आलावा विश्व के अन्य देशों जैसे श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर आदि में भी कार्तिकेय जी को इष्ट देव के रूप में स्वीकार किया गया है।
भगवान कुमार कार्तिकेय जी के 6 मुख हैं, कार्तिकेय जी को युवा और बाल्य रूप में ही पूजा जाता है। भगवान कार्तिकेय जी को सदेव युवा रहने का वरदान प्राप्त है ।
भगवान कार्तिकेय जी अवतार रूप मे ब्रम्हचारी माने गए हैँ। ऋषि जरत्कारू और राजा नहुष के बहनोई हैं और जरत्कारू और इनकी छोटी बहन मनसा देवी के पुत्र महर्षि आस्तिक के मामा ।
स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान कार्तिकेय ने देवताओं और असुरो के संग्राम में देवताओं का नेतृत्व कर राक्षस तारकासुर का संहार किया।
तारकासुर के वध करने के बाद कार्तिकेय जी को देवताओ से सदैव युवा रहने का वरदान प्राप्त हुआ ।
इस तिथि में कार्तिकेय जी की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपवान, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला हो जाता है। यह यशप्रदा अर्थात सिद्धि देने वाली तिथि हैं।
भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तो को बल और साहस की प्राप्ति होती है, विवाद, मुक़दमो में सफलता मिलती है, शत्रु परास्त होते है।
कार्तिकेय गायत्री मंत्र : – ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात’. यह मंत्र हर प्रकार के दुख एवं कष्टों का नाश करने के लिए प्रभावशाली है ।
षष्टी को नीम का सेवन नहीं करना चाहिए । षष्टी को नीम का सेवन करने से नीच योनि मिलती है ।
नक्षत्र (Nakshatra) – रेवती 23.16 PM तक तत्पश्चात अश्विनी
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- रेवती नक्षत्र का स्वामी बुद्धि के कारक बुध देव जी एवं इस नक्षत्र के देवता “पूषा” हैं जो सूर्य भगवान का ही एक रूप है ।
रेवती नक्षत्र आकाश मंडल में अंतिम नक्षत्र है। यह मीन राशि में आता है। रेवती का अर्थ है ‘समृद्ध’ और यह सुख – समृद्धि, धन और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है।
रेवती नक्षत्र की गणना गंडमूल नक्षत्रों में की जाती है । इस नक्षत्र में जन्मे जातको को विष्णु भगवान की पूजा अवश्य करनी चाहिए । इन्हे नित्य विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से जीवन में श्रेष्ठ सफलता की प्राप्ति होती है । रेवती नक्षत्र का आराध्य वृक्ष महुआ और स्वभाव मृदु माना गया है ।
रेवती नक्षत्र में जन्म लेने वाले स्त्री और पुरुष दोनों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों के प्रति अधिक आकर्षण होता है। इनके दोस्तों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों की अच्छी संख्या होती है।
रेवती नक्षत्र में जन्मे जातक मध्यम कद और गौर वर्ण के व्यक्ति होते हैं। यह छल कपट से दूर रहते है ।
यह कुशाग्र बुध्दि के, ईश्वर में आस्था रखने वाले, व्यवहार कुशल लेकिन बहुत ही जिद्दी होते है, इन्हे किसी की भी गलत बात सहन नहीं होती है। यह अपने जीवन में काफी सुदूर / विदेश यात्रायें करते है ।
रेवती नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 5, भाग्यशाली रंग भूरा, और भाग्यशाली दिन शनिवार और गुरुवार होता है ।
रेवती नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को इस नक्षत्र देवता के नाममंत्र:- “ॐ रेवत्यै नमः”l मन्त्र की माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
विशेष – षष्ठी के दिन नीम की पत्ती खाना, दातुन करना या किसी भी तरह से नीम का सेवन नहीं करना चाहिए । इस दिन नीम का सेवन करने से नीच योनि की प्राप्ति होती है ।
पर्व त्यौहार-
मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय9425203501 ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 758734699507714070168)
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