रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 2 फरवरी का पंचांग 2025 का पंचांग,

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आप सही को बसंत पंचमी के महा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें, जय माँ सरस्वती

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2 फरवरी 2025 का पंचांग2 February 2025 ka Panchang,

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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
2 फरवरी 2024 का पंचांग
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इस लक्ष्मी मंदिर में विश्व में सबसे ज्यादा सोना लगा है, जानिए कहाँ और कैसा है माँ लक्ष्मी का यह अद्भुत मंदिर,

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।


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*विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – माघ माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
* चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन,

रविवार को सूर्य देव की होरा :-

प्रात: 7.09 AM से 8.03 AM तक

दोपहर 01.28 PM से 02.22 PM तक

रात्रि 20.12 PM से 9.18 PM तक

रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।

सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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सूर्य देव के मन्त्र :-

ॐ भास्कराय नमः।।

अथवा

ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।

  • तिथि (Tithi) – चतुर्थी 9.14 AM तक तत्पश्चात पंचमी 6.52 AM सोमवार 3 फरवरी तक,
  • तिथि के स्वामी :- चतुर्थी तिथि के स्वामी विघ्हर्ता गणेश जी और पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता जी है ।
  • आज चतुर्थी तिथि है। चतुर्थी तिथि के स्वामी देवताओं में प्रथम पूज्य, भगवान शिव और माता पार्वती के सबसे छोटे पुत्र भगवान गणेश जी माने गए हैं।
  • मान्यता है कि किसी भी कार्य के प्रारम्भ में विघ्हर्ता की पूजा आराधना करने से सभी ग्रह दोष शांत होते है ।
  • चतुर्थी को गणपित जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।
  • गणेश जी को मोदक / लड्डू, लाल रंग के फूल, दुर्वा (दूब), शमी-पत्र, और केला अति प्रिय है, बुधवार और चतुर्थी को गजानन को यह वस्तुएं अर्पित करने से जीवन में शुभ समय आता है ।
  • चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है, कार्यो में श्रेष्ठ सफलता मिलती है ।
  • चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है ।
  • चतुर्थी तिथि को रिक्ता तिथि कहते है इस दिन शुभ कार्यो का प्रारम्भ शुभ नहीं समझा जाता है ।
  • किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है, और चतुर्थी को बैगन खाने से रोग बढ़ते है  ।

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आज बसंत पंचमी का महापर्व है । इस दिन ज्ञान की देवी माँ सरस्वती देवी की आराधना परम फलदाई मानी जाती है ।

माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 2 फरवरी रविवार को प्रात: 9:14 AM से प्रारम्भ होगी, और यह 3 फरवरी सोमवार को सुबह 6:52 बजे समाप्त होगी ।

उसके बाद षष्टी तिथि लग जाएगी, चूंकि पंचमी तिथि का हास है और 3 फरवरी को सूर्योदय 7.08 AM पर होगा और उससे पहले ही पंचमी तिथि समाप्त हो रही है इसलिए बंसन्त पंचमी का पर्व 2 फरवरी को ही मनाया जायेगा ।

शास्त्रों के अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी के शुभ दिन में पत्तों पर जल छिड़कने से ही विद्या की अधिष्ठात्री देवी का अवतरण हुआ जिनके एक हाथ में वीणा, दूसरा हाथ में वर मुद्रा और अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी एवं जिनका वाहन मयूर ( मोर) था ।

बसंत पंचमी, basabt panchmi के दिन वाक सिद्धि प्राप्ति हेतु , इस मंत्र का जाप करें

“ॐ हृीं ऐं हृीं ओम् सरस्वत्यै नम:”

“ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:”

इस दिन सभी के साथ संयमपूर्वक शुभ और प्रेम वचन बोलने से ईश कृपा प्राप्त होती है।

माँ सरस्वती मनुष्य के शरीर में उसके कंठ और जिह्वा में निवास करती है जो वाणी और स्वाद का स्वरूप है | मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन बोले गए वाक्य शीघ्र सफल होते है। अतः इस दिन शुभ वचन ही बोलने चाहिए ।

आज के दिन मेवे युक्त पीले मीठे चावल, पीली मिठाइयों, फलो को भगवान को अर्पित करके इनका सेवन करना चाहिए ।

बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों पर गुलाल चढ़ाकर देवी सरस्वती को श्वेत वस्त्र पहनाएं / अर्पण करें ।

भारतीय ज्योतिषशास्त्र के अनुसार वसंत पंचमी को अति शुभ माना गया है, इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त घोषित किया गया है। अर्थात इस दिन कोई भी काम बिना मुहूर्त देखे ही किया जा सकता है।

सभी पवित्र कार्य जैसे मुंडन, यज्ञोपवीत, सगाई, विवाह , तिलक, गृहप्रवेश आदि सभी मांगलिक कार्य इस दिन अति शुभ फलदायी माने गए हैं।

बसंत पंचमी Basant Panchmi का दिन विवाह और किसी भी नए कार्य के प्रारम्भ के लिए उत्तम माना गया है ।

बसंत पंचमी Basant Panchmi के दिन होलिका का डाँड भी लगाया जाता है , इस दिन छोटे बच्चो को अक्षर ज्ञान, हाथ में कलम थमा कर उनकी शिक्षा की शुरुआत करायी जाती है ।

आज ही के दिन भगवान श्रीराम माता शबरी के आश्रम में आये थे ।

प्राचीन काल में बसंत पंचमी के दिन प्रेम के प्रतीक पर्व के रूप में कामोत्सव, मदनोत्सव, मनाया जाता था। यह दिन प्रेम का, प्रणय का, अपनी दिल की बात रखने का माना जाता था ।

अगर आप किसी से सच्चा प्यार करते है, या अपने किसी मित्र से अपनी गलती की क्षमा माँगना चाहते है तो उसे अपने मन की बात तुरंत कह दें।

आज के दिन किसी विष्णु / कृष्ण मंदिर में में अपनी वाणी में मधुरता, लोकप्रियता और अपने प्रेम की सफलता के लिए पीले फूल एवं इत्र अवश्य ही चढ़ाएँ ।

बसंत पंचमी Basant Panchmi के दिन घर में पीले मीठे चावल बनायें जिसमें अपनी सामर्थ्यानुसार मेवे जैसे काजू, बादाम, किशमिश, नारियल, इलाइची, केवड़ा आदि भी अवश्य ही डालें ।

इस मीठे पुलाव को सबसे पहले घर के मंदिर में भगवान को भोग लगाएं फिर प्रेम पूर्वक परिवार के सभी सदस्य इसे ग्रहण करें । इससे प्रभु के आशीर्वाद से परिवार में अटूट प्रेम बना रहता है घर में स्थाई लक्ष्मी का वास होता है ।

बसंत पंचमी के दिन स्त्रियों / कन्याओं को पीले वस्त्र, पीली चूड़ियाँ पहननी चाहिए , पीले पुष्प से श्रृंगार करना चाहिए इससे जीवन में प्रसन्नता और सौभाग्य आता है ।

बसंत पंचमी के दिन कामदेव का मन्त्र :- “ऊँ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात‍्।” का जाप करने से जातक रूपवान होता है ।

  • नक्षत्र (Nakshatra) – उत्तर भाद्रपद 12.52 AM सोमवार 3 फरवरी तक,
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-          उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के देवता अहिर्बुंधन्य देव, स्वामी शनि देव जी एवं वहीं राशि स्वामी गुरु है ।  

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र 27 नक्षत्रों में 26 वां नक्षत्र है। उत्तर भाद्रपद नक्षत्र वैवाहिक आनंद, सुख समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र  प्रकाश की किरण, संसार को खुशियों का आशीर्वाद देता है।
शनि और गुरु में शत्रुता है। और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के जातको पर जीवन भर शनि और गुरु दोनों का ही प्रभाव रहता है ।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : नीम तथा इस नक्षत्र का स्वाभाव शुभ माना गया है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति धार्मिक, कुशल वक्ता,  यशस्वी, परोपकारी और धनवान होते है।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को सन्तान पक्ष से सुख की प्राप्ति होती है। इनका पारिवारिक जीवन भी समान्यता सुखमय ही रहता है।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति को हनुमान जी की आराधना करनी फलदाई कही गयी है , इनको पीपल की सदैव  /  विशेषकर शनिवार के दिन  तो अवश्य ही सेवा करनी चाहिए ।

उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक क्या हैं 6 और 8, भाग्यशाली रंग बैगनी तथा भाग्यशाली दिन  गुरुवार, मंगलवार और शुक्रवार होता है ।

उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को इस नक्षत्र देवता के नाममंत्र:- ॐ अहिर्बुंधन्याय नमःl  मन्त्र की माला का जाप अवश्य करना चाहिए । ऐसा करने से कार्यो में मनवांछित लाभ की प्राप्ति होती है ।

यदि कोई बहुत ही मुश्किल कार्य में चाहते है सफलता तो बसंत पंचमी के दिन अवश्य ही करे ये उपाय,


घर के बैडरूम में अगर है यह दोष तो दाम्पत्य जीवन में आएगी परेशानियाँ, जानिए बैडरूम के वास्तु टिप्स

  • योग (Yog) – शिव 9.14 AM तक तत्पश्चात सिद्ध
  • योग के स्वामी :-   शिव योग के स्वामी मित्र देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।।
  • प्रथम करण : – विष्टि 9.14 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है । ।
  • द्वितीय करण : – बव 20.02 PM तक तत्पश्चात बालव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 07:09
  • सूर्यास्त – सायं 18:01

    आँखों की रौशनी बढ़ाने, आँखों से चश्मा उतारने के लिए अवश्य करें ये उपाय

  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

  • पंचमी तिथि को बेल का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि पंचमी को बेल का सेवन करने से अपयश मिलता है   ।
  • पंचमी तिथि को कर्ज भी नहीं देना चाहिए, पंचमी को कर्ज देने से धन डूब जाता है तथा धन के आगमन में भी रुकावटें आने लगती है ।
  • पर्व त्यौहार- बसंत पंचमी
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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