सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 13 जनवरी 2025 का पंचांग,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 13 जनवरी 2025 का पंचांग,

आप सभी को पौष पूर्णिमा, माँ शाकम्भरी जयंती, लोहड़ी के पर्व की हार्दिक शुभकामनायें

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 13 जनवरी 2025 का पंचांग, 13 January 2025 ka Panchang,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

13 जनवरी 2025 का पंचांग, 13 January 2025 ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – पौष माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ,

सोमवार को चन्द्रमा की होरा :-

प्रात: 7.15 AM से 8.07 AM तक

दोपहर 01.22 PM से 2.14 PM तक

रात्रि 7.59 PM से 9.07 PM तक

सोमवार को चन्द्रमा की होरा में अधिक से अधिक चन्द्र देव के मन्त्र का जाप करें। यात्रा, प्रेम, प्रसन्नता, कला सम्बन्धी कार्यो के लिए चन्द्रमा की होरा अति उत्तम मानी जाती है।

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सोमवार के दिन चन्द्रमा की होरा में चंद्रदेव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में चंद्र देव मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

चन्द्रमा के मन्त्र

ॐ सों सोमाय नम:।

ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।

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  • तिथि (Tithi) – पूर्णिमा 3.56 AM, मंगलवार 14 जनवरी तक
  • तिथि का स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी है । 
  • आज वर्ष 2025 की प्रथम पूर्णिमा, अति शुभ पौष माह की पूर्णिमा तिथि है । पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी है ।
  • पौष पूर्णिमा के दिन ही माँ दुर्गा की स्वरुप, माँ शाकम्भरी देवी का प्राकाट्य दिवस भी माना जाता है । उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की शिवालिक पर्वत श्रृंखला मे माँ का प्राकाट्य स्थल, शाकम्बरी माता का मंदिर मौजूद है।
  • माँ शाकम्भरी को शाकाहार की देवी भी कहते है, कहते है कि एक बार पृथ्वी पर बहुत बड़ा अकाल पड़ा था जिसके सर्वत्र हाहाकार मच गया था लोग भूखे मरने लगे थे तब विश्व के कल्याण के लिए देवी ने अन्न, फल और सब्जियां प्रदान की थी जिससे लोगो का भरण पोषण हो सके । इसी कारण माँ को शाकम्भरी देवी के नाम से जाना जाता है ।
  • इस बार पौष पूर्णिमा का और भी अधिक महत्व है क्योंकि इसी दिन से प्रयागराज में महाकुम्भ का भी शुभारम्भ हो रहा है ।
  • पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें।
  • पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
  • पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए।
  • पूर्णिमा तिथि के दिन चन्द्र देव जी के मन्त्र
  • ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:। अथवा
  • ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।
    का जाप करने से कुंडली में चन्द्रमा के शुभ फल मिलने लगते है ।
  • इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।
  • पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।
  • पूर्णिमा के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है।
  • पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
  • तुलसी विवाह का पुण्य लिखने में देवता भी असमर्थ है, जानिए कैसे होता है तुलसी जी और शालिग्राम जी का विवाह,

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आज हर्ष, उल्लास का पवित्र पर्व लोहिड़ी का पर्व है। यह लोहड़ी का त्यौहार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू काश्मीर, हिमांचल प्रदेश के साथ साथ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और लगभग पूरे उत्तर भारत में में धूम धाम के साथ मनाया जाता हैं।

समान्यता यह पर्व मकर संक्रांति से एक या दो दिन पहले पड़ता है। इस पर्व में सूर्यास्त के बाद खुले स्थान पर कंडे, लकड़ियों का ढेर बना कर उसकी पूजा करके आग लगाई जाती है। इसमें प्रत्येक परिवार अग्नि की परिक्रमा करता है।

परिक्रमा करते समय अग्नि में रेवड़ी, मक्की के भुने दाने, मूँगफली आदि अग्नि की भेंट किए जाते हैं तथा प्रसाद के रूप में ये ही चीजें सभी उपस्थित लोगों को बाँटी जाती हैं।

घर लौटते समय ‘लोहड़ी’ में से दो चार दहकते कोयले, प्रसाद के रूप में, घर पर लाने की प्रथा भी है।

जिन परिवारों में लड़के का विवाह होता है अथवा जिन्हें पुत्र प्राप्ति होती है, उनके यहाँ की पहली लोहड़ी का उल्लास देखते ही बनता है। वहाँ पर लोग ढोल की थाप पर थिकरते हुए गिद्दा और भांगड़ा करते हुए लोहड़ी का पर्व मनाते हैं।

यह प्रसिद्ध पर्व  किसानों के लिए बहुत महत्व रखता है। लोहड़ी का त्योहार किसानों के लिए एक नयी समृद्धशाली शुरुआत का प्रतीक है। 

नक्षत्र (Nakshatra) – आद्रा 10.38 AM तक तत्पश्चात पुनर्वसु

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-   आर्द्रा नक्षत्र के देवता रुद्र (शिव) और नक्षत्र के स्वामी राहु जी है । 

आर्द्रा नक्षत्र आकाश मंडल में छठवां नक्षत्र है। यह मिथुन राशि में आता है और राहु का नक्षत्र है। आर्द्रा नक्षत्र कई तारों का समूह न होकर केवल एक तारा है। इसका आकार हीरे अथवा वज्र अथवा आँसू की तरह है।

आद्रा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कृष्णागरू,काला तेंदू और नक्षत्र स्वभाव तीक्ष्ण माना गया है ।

आर्द्रा नक्षत्र आकाश मंडल में छठवां नक्षत्र है। यह मिथुन राशि में आता है और राहु का नक्षत्र है। आर्द्रा नक्षत्र कई तारों का समूह न होकर केवल एक तारा है। इसका आकार हीरे अथवा वज्र अथवा आँसू की तरह है।

आर्द्रा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कृष्णागरू,काला तेंदू और नक्षत्र स्वभाव तीक्ष्ण माना गया है ।

आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे जातको पर राहु का प्रभाव रहता है अत: इन्हे राहु का उपाय अवश्य करना चाहिए । इन्हे अनैतिक कार्यो से सदैव दूर रहना चाहिए अन्यथा इन्हे अपमान अपयश का सामना करना पड़ सकता है ।

आर्द्रा नक्षत्र के पुरुष हंसमुख, जिम्मेदार, आकर्षक व्यक्तित्व वाले, नए नए खोजो वाले लेकिन चालाक और अपना काम निकलने वाले होते है। लेकिन यदि बुध और रा‍हु खराब हो तो जातक घमंडी, बुरे विचारों वाले, पराई स्त्री में आसक्त रहने वाले, दुखी स्वाभाव वाले भी होते हैं।

आर्द्रा नक्षत्र में पैदा हुई महिला बुद्विमान, व्यवहार कुशल और शांतिप्रिय होती हैं। यह खूब खर्चा करने वाली, लेकिन हमेशा मीन मेख निकालने वाली भी होती है।

समान्यता इनके माता-पिता में बहुत ही अनबन रहती है, अर्थात इन्हे घर में कलह देखना पड़ता है।

आर्द्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2, 4, 7 और 9, भाग्यशाली रंग, लाल और बैंगनी,  भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार का माना जाता है ।

आद्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को तथा सभी मनुष्यों को जिस दिन आर्द्रा नक्षत्र हो उस दिन ॐ रुद्राय नम: मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए, इससे आर्द्रा नक्षत्र के शुभ फल मिलते है ।  

आर्द्रा नक्षत्र के जातक के लिए भगवान शिव की आराधना करना शुभदायक होता है।  भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए. सोमवार का व्रत एवं जाप इत्यादि करना उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है। 

अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 
  • योग(Yog) – वैधृति 4.39 AM, मंगलवार 14 जनवरी तक,
  • योग के स्वामी :-     वैधृति योग के स्वामी दिति और स्वभाव हानिकारक है ।
  • प्रथम करण : – विष्टि 16.26 PM तक,
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-     विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।

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  • द्वितीय करण : – बव 3.356 AM, मंगलवार 14 जनवरी तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
  • विशेष – पूर्णिमा और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना, क्रोध करना, हिंसा करना मना है ।
  • ऐसा करने से दुर्भाग्य आता है, दुःख, कलह और दरिद्रता के योग बनते है ।
  • पर्व त्यौहार- पौष पूर्णिमा, माँ शाकम्भरी जयंतीलोहड़ी,
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय संपर्क सूत्र9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ,(07714070168)


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सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 13 जनवरी 2025 का पंचांग,

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