Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 2 जनवरी 2025 का पंचांग,
गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 2 January 2025 Ka Panchang,
बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,
- Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
आज का पंचांग, aaj ka panchang, गुरुवार का पंचाग, Guruvar Ka Panchag,
गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,
2 जनवरी 2025 का पंचांग, 2 January 2025 Ka Panchang,
- गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 2 January 2024 का पंचांग,
- दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
- गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।
गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है । - गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया, - गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।
यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।
गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र उदय के समय इनका नाम लेने से समस्त मनोकामनाएं होती है पूरी,
- *विक्रम संवत् 2081,
- * शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124,
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – पौष माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन,
गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-
प्रात: 7.14 AM से 8.06 AM तक
दोपहर 01.16 PM से 2.08 PM तक
रात्रि 19.52 PM से 9.00 PM तक
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आज गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा के समय दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली ( अंगूठे के बगल वाली उंगली ) के नीचे गुरु पर्वत और उस पूरी ऊंगली पर बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य ) I
गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
बृहस्पति देव के मन्त्र
ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।
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- तिथि (Tithi) :- तृतीया 1.08 AM, 3 जनवरी शुक्रवार तक,
- तिथि का स्वामी – तृतीया तिथि की स्वामी माँ गौरी और कुबेर जी है ।
तृतीया: किसी भी पक्ष की तीसरी तारीख को तृतीया तिथि या तीज कहते है। तृतीया तिथि को जया तिथि भी कहा गया है।
अपने नाम के अनुसार ही यह तिथि सभी शुभ कार्यों में जय दिलाने अर्थात सफलता दिलाने वाली कही गई है। लेकिन बुधवार को तृतीया तिथि होने से मृत्युदा कहलाती है, इसलिए बुधवार की तृतीया को कोई भी नया कार्य शुरु करना शुभ नहीं माना जाता है।
तृतीया तिथि में माँ गौरी जी की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है। तृतीया के दिन माँ गौरी का ध्यान करते हुए उन्हें दूध की मिठाई, फूल और चावल अर्पित करें एवं श्रद्धानुसार घी का दीपक जलाकर ’’ऊँ गौर्ये नमः’’ की एक माला का अवश्य ही जाप करें ।
कुबेर जी भी तृतीया तिथि के स्वामी माने गये हैं। शास्त्रों के अनुसार कुबेर जी देवताओं के कोषाध्यक्ष है अतः इस दिन इनकी भी पूजा करने से जातक को विपुल धन-धान्य, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
कुबेर देव रावण के सौतेले भाई है और या भगवान शिव जी के प्रिय सेवक , परम मित्र भी माने जाती है। घर में कुबेर देवता की फोटो को उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए और इस दिशा को बिलकुल साफ रखना चाहिए ।
शास्त्रों के अनुसार जो भी जातक किसी भी पक्ष की तृतीया को घी का दीपक जलाकर नियम से नीचे दिए गए कुबेर मंत्र का जप दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करता है उसे कुबेर देव की कृपा अवश्य ही प्राप्त होती है, उसे अपने कार्यक्षेत्र , व्यापार में आशातीत सफलता मिलती है।
कुबेर मंत्र: “ऊँ श्रीं, ऊँ ह्रीं श्रीं, ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:”। यदि इस मंत्र का जप किसी शिव मंदिर में अथवा बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठकर करा जाये तो या बहुत अधिक उत्तम होता है, उस जातक को भगवान भोलेनाथ और कुबेर जी दोनों की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है ।
तृतीया को परवल का सेवन नहीं करना चाहिए, तृतीया को परवल का सेवन करने से शत्रुओं में वृद्धि होती है ।
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नक्षत्र (Nakshatra) – श्रवण 23.10 PM तक तत्पश्चात धनिष्ठा,
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी – श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु और सरस्वती जी तथा स्वामी चंद्र देव जी है ।
श्रवण नक्षत्र 22 वें नंबर का नक्षत्र है। यह एक त्रिशूल के जैसा प्रतीत होता है। श्रवण नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आक या मंदार, और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है । श्रावण नक्षत्र का लिंग पुरुष है।
श्रवण नक्षत्र के जातक पर शनि और चंद्र का प्रभाव जीवनभर बना रहता है। श्रवण नक्षत्र के जातक बुद्धिमान और अपने कार्यो में निपुण होते हैं ।
श्रवण नक्षत्र में जन्म होने से जातक सुंदर, दानवान, आज्ञाकारी, सर्वगुण संपन्न, धनवान और अपने क्षेत्र में मान सम्मान प्राप्त करता है।
लेकिन यदि शनि और चंद्र की स्थिति ठीक नहीं है तो ऐसा जातक क्रोधी, कंजूस, भय-शंकित रहने वाला, लापरवाह, आलसी होता है।
यदि शनि और चंद्र कुंडली में एक ही जगह है, तो जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है।
इसलिए जातक को हनुमानजी की सदैव उपासना करना है। जातक को शराब, मांस आदि व्यसनों से दूर रहना चाहिए।
श्रवण नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 8, भाग्यशाली रंग, आसमानी, हल्का नीला, भाग्यशाली दिन गुरुवार, बुधवार और सोमवार माना जाता है ।
श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ श्रवणाय नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
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योग :- सुकर्मा 22.24 PM तक तत्पश्चात धृति,
योग के स्वामी, स्वभाव :- सुकर्मा योग के स्वामी इंद्र जी और स्वभाव शुभ माना जाता है ।।
प्रथम करण :- बव 11.40 AM तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
द्वितीय करण :- बालव 12.43 AM 27 दिसंबर तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।
- दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 07:12
- सूर्यास्त – सायं 17:32
- विशेष – तृतीया तिथि को परवल का सेवन नहीं करना चाहिए, तृतीया तिथि को परवल का सेवन करने से शत्रुओं में वृद्धि होती है।
- पर्व त्यौहार–
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
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आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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