Shukrwar ka panchag, शुक्रवार का पंचांग, 13 दिसंबर 2024 का पंचांग,


Shukrwar ka panchag, शुक्रवार का पंचांग, 13 दिसंबर 2024 का पंचांग,

गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग

शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 13 दिसंबर 2024 का पंचांग,

शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

    1:- तिथि (Tithi)
    2:- वार (Day)
    3:- नक्षत्र (Nakshatra)
    4:- योग (Yog)
    5:- करण (Karan)


    पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

    जानिए, Shukravar Ka Panchang, शुक्रवार का पंचांग, आज का पंचांग, aaj ka panchang,

    13 दिसंबर 2024 का पंचांग13 December  2024 ka Panchang,

  • महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

  • ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥


आज का पंचांग, aaj ka panchang,

दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।

शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय 
“श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।

शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।

  • *विक्रम संवत् 2081,
  • * शक संवत – 1946,
    *कलि संवत – 5126
    * अयन – दक्षिणायन,
    * ऋतु – शरद ऋतु,
    * मास – मार्गशीर्ष माह
    * पक्ष – शुक्ल पक्ष
    *चंद्र बल – वृषभ, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन,

शुक्रवार को शुक्र देव की होरा :-

प्रात: 7.05 AM से 7.56 AM तक

दोपहर 01.07 PM से 1.58 PM तक

रात्रि 19.42 PM से 8.50 PM तक

मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन भैरव नाथ  प्रकट हुए थे, जानिए भगवान भैरव नाथ के व्रत व पूजा का विशेष विधान

दाहिने हाथ के अंगूठे से नीचे के हिस्से ( शुक्र का स्थान ) और अंगूठे पर थोड़ा सा इत्र लगाकर, ( इत्र ना मिले तो उसके बिना भी कर सकते है) बाएं हाथ के अंगूठे से उस हिस्से को शुक्र की होरा में “ॐ शुक्राये नम:” या

‘ॐ द्रांम द्रींम द्रौंम स: शुक्राय नम:।’ मंत्र का अधिक से अधिक जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य )I

यह उपाय आप कोई भी काम करते हुए चुपचाप कर सकते है इसके लिए किसी भी विधि विधान की कोई आवश्यकता नहीं है I

सुख समृद्धि, ऐश्वर्य, बड़ा भवन, विदेश यात्रा, प्रेम, रोमांस, सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए शुक्रवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा में शुक्रदेव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शुक ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शुक्र देव के मन्त्र :-

ॐ शुं शुक्राय नमः।। अथवा

” ॐ द्राम द्रीम द्रौम सः शुक्राय नमः “।।

भैरव अष्टमी के दिन ऐसे करें भैरव नाथ को प्रसन्न समस्त भय और कष्ट होंगे दूर 

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  • आज मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष ब्रत है । पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी गुरुवार 12 दिसंबर की रात्रि 10:26 से प्रारम्भ होगी, जो शुक्रवार 13 दिसंबर की रात्रि 7:40 तक रहेगी । उदया तिथि के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष का शुक्र प्रदोष व्रत शुक्रवार 13 दिसंबर को रखा जाएगा ।

    मान्यता है कि जो जातक प्रदोष का व्रत रख कर संध्या के समय शंकर जी की आराधना करते हैं उन्हें योग्य जीवन साथी मिलता है, दाम्पत्य जीवन में प्रेम और सहयोग बना रहता है ।

    मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती का पूजन करने से जीवन में सुख – सौभाग्य की वर्षा होती है, साथ ही जातक के सभी संकट दूर हो जाते हैं । ।

    प्रदोष व्रत में सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक पूजा करने का विशेष महत्त्व है । इस दिन सम्पूर्ण शिव परिवार का पूजन करने से भगवान शिव अपने भक्त पर बहुत प्रसन्न होते है ।

    प्रदोष व्रत को महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं।प्रदोष ब्रत रखने वाले जातक के पूरे परिवार पर भगवान भोलनाथ और माँ पार्वती की सदैव असीम कृपा बनी रहती है ।

    प्रदोष को प्रदोष कहने के शास्त्रों में एक मिलती है। माना जाता है कि एक बार चंद्र देव को क्षय रोग हो गया, जिसके कारण उन्हें बहुत कष्ट हो रहा था।

    अपने रोग के निवारण के लिए चंद्र देव जी भगवान शिव के पास गए, प्रभु ने चंद्र देव के क्षय रोग का निवारण त्रयो करके उन्हें त्रियोदशी के दिन ही पुन:जीवन प्रदान किया था तभी से इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा है । 

    प्रदोष व्रत में फलाहार किया जाता है इस व्रत में अन्न, चावल, लाल मिर्च, सादा नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

    नक्षत्र ( Nakshatra ) : भरणी 7.50 AM तक तत्पश्चात कृतिका नक्षत्र,

    नक्षत्र के स्वामी :–     भरणी नक्षत्र के देवता यमराज जी और नक्षत्र के स्वामी शुक्र जी है ।

    भरणी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से दूसरा नक्षत्र है और त्रिकोण का प्रतीक है। यह नक्षत्र प्रकृति के स्त्री वाले पहलू को इंगित करता है।

    भरणी नक्षत्र बलिदान, ईर्ष्या, सहनशीलता और शुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। यह संयम का एक सितारा माना जाता है और गर्भ का प्रतिनिधित्व करता है। भरणी नक्षत्र सितारा का लिंग मादा है। 

    भरणी नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आँवला और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।

    भरणी नक्षत्र में पैदा होने वाले एक बड़े दिल वाले व्यक्ति माने जाते हैं, यह लोगो की बातो का बुरा नहीं मानते है। आपकी ताकत आपकी मुस्कुराहट है आप हमेशा शांत और प्रसन्न रहते हैं। आप ईमानदार है और सकारात्मक रहते है। इनका पारिवारिक जीवन सुखमय रहता है ।

    भरणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, 3 और 12, भाग्यशाली रंग पीला, लाल, और हरा एवं भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार माना जाता है । 

    भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को तथा सभी मनुष्यों को जिस दिन भारणी नक्षत्र हो उस दिन नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ यमाय् नमः” l  मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए, इससे भारणी नक्षत्र के शुभ फल मिलते है ।  

    भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को भगवान शंकर जी की आराधना परम फलदाई है, इन्हे इस नक्षत्र के दिन महा मृत्युंजय मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

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  • “हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
    आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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