शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 2 नवंबर 2024 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 2 नवंबर 2024 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग

आप सभी को गोवर्धन पूजा, अन्नकूट की हार्दिक शुभकामनायें जय श्री राधे


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 2 November 2024 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )

    2 नवंबर
     2024 का पंचांग, 2 November 2024 ka Panchang,
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।

* विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1946,
* कलि संवत 5126,
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – 
कार्तिक माह,
* पक्ष – 
शुक्ल पक्ष,
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,,

शनिवार को शनि महाराज की होरा :-

प्रात: 6.24 AM से 7.29 AM तक

दोपहर 12.59 PM से 1.54 PM तक

रात्रि 19.44 PM से 8.49 PM तक

शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

ऐसे मनाएं गोवर्धन पूजा का पर्व, भगवान श्री कृष्ण की मिलेगी असीम कृपा, धन – धान्य की कभी नहीं होगी कोई कमी

शनि देव के मन्त्र :-

ॐ शं शनैश्चराय नमः।

अथवा

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।।

  • तिथि (Tithi)- प्रतिपदा 20.21 PM तक तत्पश्चात द्वितीय ।
  • तिथि का स्वामी – प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी और द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्मा जी है ।

आज गोवर्धन पूजा, अन्नकूट का पर्व है । शास्त्रों के अनुसार एक बार भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को देवराज इंद्र के क्रोध के कारण हो रही मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को 7 दिन तक अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाया था।

उनके सुदर्शन चक्र के प्रभाव के कारण ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी, तब इंद्र देव को अपने कार्य से पछतावा हुआ और उन्होंने श्री कृष्ण जी से क्षमा मांगकर वर्षा बंद कर दी ।

लगातार हो रही मूसलाधार वर्षा के कारण भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे पृथ्वी पर रखा और इसी लिए हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट का पर्व मनाने की आज्ञा दी।

तभी से यह पर्व गोवर्धन पूजा या ‘अन्नकूट’ के नाम से मनाया जाने लगा।

आज के दिन यथा शक्ति विभिन्न प्रकार की साग (चौदह शाकों हो तो अति उत्तम है), सब्जियों से घी में बने पुलाव से भगवान को भोग लगाकर उसके बाद सबके साथ मिल जुल कर प्रसन्नता से प्रसाद रूप में ग्रहण करने से भी घर में प्रेम एवं धन धान्य की व्रद्धि होती है ।

इस दिन घर की रसोई में स्त्रियों को बड़े चाव से विभिन्न पकवान बनाने चाहिए ।

इस दिन श्री कृष्ण भगवान को पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें तुलसी, पीले फूल चदतकर उनकी पूजा करें उन्हें फल, मिठाई, नैवेद्य , लौंग, इलाइची, सिंघाड़ा, आँवला और घर के बने पकवानों का भोग लगाकर उनकी आरती करें ।

इस दिन घर के सभी सदस्य एक साथ बैठकर भगवान का प्रशाद ( भोजन ) करें इससे उस परिवार में प्रेम और सहयोग बना रहता है, बड़ो को पूरा सम्मान मिलता है , संतान संस्कारी, आज्ञाकारी बनती है घर में अन्न धन की कोई भी कमी नहीं रहती है ।

इस दिन को गौ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, आज के दिन गायों की सेवा करने का, उनकी पूजा करने उन्हें तजा भोजन कराने, गुड़ खिलाने का बहुत महत्व है ।

माना जाता है की इस दिन सच्चे मन से गायों की सेवा करने से उस व्यक्ति के घर वर्ष भर किसी भी प्रकार से दूध , घी या अन्य भोज पदार्थ की कमी नहीं होती है दूसरे शब्दों में स्थायी रूप से आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है ।

भगवान श्रीकृष्ण जी को गायों से बहुत प्रेम था मान्यता है कि गाय की सेवा करने से समस्त पापो का नाश हो जाता है, उस व्यक्ति पर श्री कृष्ण जी की असीम कृपा रहती है, गाय मां के समान है जो व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं निश्चय ही पूर्ण करती है।

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नक्षत्र (Nakshatra) – विशाखा 5.58 AM, 3 नवम्बर तक

नक्षत्र के स्वामी :-        विशाखा नक्षत्र के देवता इंद्राग्नी ( इंद्र और अग्नि ) और स्वामी बृहस्पति देव जी है ।

विशाखा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 16वां है।

विशाखा नक्षत्र देवी राधा के साथ सम्बंधित है जो उनकी प्रसन्नता को दर्शाता है, भगवान श्री कृष्ण के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।

विशाखा नक्षत्र वास्तव में पत्तियों से सजाया गया एक तोरण द्वार का प्रतीक है, जिसका मुख्य रूप से विवाह समारोहों में आवश्यकता है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : कटाई, नागकेशर तथा स्वाभाव अशुभ माना गया है। विशाखा नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर बृहस्पति देव जी का प्रभाव बना रहता है।

विशाखा नक्षत्र वालो को कभी धन की कमी नहीं सताती, या धन की परेशानी हो भी तो अधिक समय तक नहीं रहती।  विशाखा नक्षत्र वाले लोग बहुत भाग्यवान होते हैं।

विशाखा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों में अपने परिवार के प्रति विशेष लगाव रहता है। इन्हे एकल परिवार की बजाय संयुक्त परिवार में रहना ज्यादा पसंद होता है ।

विशाखा नक्षत्र वाले जातको के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 9,  भाग्यशाली रंग, सुनहरा,  भाग्यशाली दिन  मंगलवार, शुक्रवार और गुरुवार माना जाता है ।

विशाखा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ इंद्राग्नीभ्यां नमः” अथवा “ॐ विशाखाभ्यां नमः”। मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

धनतेरस के दिन यह खरीदने से घर से दरिद्रता का होगा नाश, लक्ष्मी जी का होगा वास, इस लिए धनतेरस पर अवश्य ही यह अनिवार्य रूप से खरीदें,

अगर 50 की जगह 25, 60 की जगह 30 की उम्र चाहते है, जीवन में डाक्टर के पास ना जाना हो तो अवश्य करे ये उपाय   

  • योग (Yog) – आयुष्मान 11.21 AM तक तत्पश्चात सौभाग्य
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-   आयुष्मान योग के स्वामी चंद्र देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – किस्तुघ्न 07.21 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    किस्तुघ्न करण के स्वामी मरुत और स्वभाव क्रूर है । ।
  • द्वितीय करण : – बव 20.21 PM तक तत्पश्चात बालव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-   बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:29 AM
  • सूर्यास्त – सायं 17:41 PM
  • विशेष – दशमी के दिन कलम्बी, परवल का सेवन नहीं करना चाहिए । ।


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  • पर्व त्यौहार- गोवर्धन पूजा, अन्नकूट
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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