मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 5 नवम्बर 2024 का पंचांग,

मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 5 नवम्बर 2024 का पंचांग,


मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,

Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)




पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

आज का पंचांग, Aaj ka Panchangमंगलवार का पंचांग, Mangalvar Ka Panchang,

5 नवम्बर 2024 का पंचांग, 5 November 2024 ka panchang,

हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 194
5
*कलि सम्वत 5124
*अयन – 
दक्षिणायन
*ऋतु – शरद
 ऋतु
*मास –
 कार्तिक माह,
*पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन,

छोटी दीपावली पर अवश्य ही करे ये उपाय, पूरे वर्ष होती रहेगी धन की वर्षा

मंगलवार को मंगल की होरा :-

प्रात: 6.31 AM से 7.26 AM तक

दोपहर 01.00 PM से 1.55 PM तक

रात्रि 19.46 PM से 8.51 PM तक

मंगलवार को मंगल की होरा में हाथ की निम्न मंगल पर दो बूंद सरसो का तेल लगा कर उसे हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें ।

कृषि, भूमि, भवन, इंजीनियरिंग, खेलो, साहस, आत्मविश्वास

और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

दीपावली के दिन इस तरह से करें पूजा, मां लक्ष्मी, गणेश जी की मिलेगी असीम कृपा, अवश्य जानिए दीपावली की आसान पूजन विधि

मंगल देव के मन्त्र

ॐ अं अंगारकाय नम: अथवा

ॐ भौं भौमाय नम:”

जरूर पढ़े :-  करना है शनि देव को प्रसन्न तो शनिवार के दिन अवश्य करें ये उपाय,

धनतेरस पर कुबेर जी की ऐसे करें पूजा, घर पर होगी धन की वर्षा, जानिए कैसे करें कुबेर देव को प्रसन्न,

तिथि :- चतुर्थी 12.16 AM, 6 नवंबर तक

तिथि के स्वामी :- चतुर्थी तिथि के समय विघ्हर्ता गणेश जी है ।

आज विनायक चतुर्थी है । प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना, विनायक चतुर्थी का व्रत सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण करता है।

अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी तो पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

विनायक चतुर्थी की पूजा अमूमन दोपहर काल में की जाती है।

आज गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।

गणेश जी को मोदक / लड्डू, लाल रंग के फूल, दुर्वा (दूब), शमी-पत्र, और केला अति प्रिय है, बुधवार और चतुर्थी को गजानन को यह वस्तुएं अर्पित करने से जीवन में शुभ समय आता है ।

चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है ।

चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है ।

चतुर्थी तिथि को रिक्ता तिथि कहते है इस दिन शुभ कार्यो का प्रारम्भ शुभ नहीं समझा जाता है ।

किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है, और चतुर्थी को बैगन खाने से रोग बढ़ते है ।

आज धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि के इस मन्त्र का जाप करने से रोगो का नाश होता है, आरोग्य और दीर्घ आयु की होती है प्राप्ति

अवश्य जानिए, यह भी जानिए :-  पेट के दर्द करना हो छूमंतर तो तुरंत करें ये उपाय ,

अवश्य पढ़ें :- चाहिए परिवार में सुख-समृद्धि, प्रेम और आरोग्य तो ऐसा होना चाहिए किचन का वास्तु, जानिए किचन के वास्तु टिप्स,

अवश्य जानें कैसे हुआ गणेश जी का अवतरण, कैसे गणेश जी का सर हाथी के सर में बदल गया, कैसे गणपति जी कहलाएं भगवान गजानन

  • नक्षत्र (Nakshatra) – ज्येष्ठा 9.45 AM तक तत्पश्चात मूल
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –  ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इंद्र एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी बुध देव जी है । ।

ज्येष्ठा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 18 वां है।  ‘ज्येष्ठा’ का मतलब होता है ‘बड़ा’। ज्येष्ठा नक्षत्र को गंड मूल नक्षत्र भी कहा जाता है।

देवराज इंद्र को समर्पित यह नक्षत्र तावीज़ या छतरी जैसा लगता है, ज्योतिषियों के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अपने आयु से पूर्व ही शारीरिक तथा मानसिक रूप से अधिक परिपक्व हो जाते हैं।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : निर्गुडी/चीड़ तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। ‘ज्येष्ठा’ नक्षत्र सितारे का लिंग मादा है।  इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर मंगल और बुध दोनों ही ग्रहों का प्रभाव हमेशा रहता है।

इस नक्षत्र में जन्मे जातक बहुत ही ऊंचाइयों पर जाते हैं। यह साहसी, दयालु, परिश्रमी, नेतृत्व करने वाले और समस्याओं को सुलझाने में माहिर होते है।

लेकिन यदि बुध और मंगल खराब हैं तो यह झूठे, धोखेबाज़, क्रोधी, जिद्दी, अल्प मित्र वाले होते  है।

ज्येष्ठा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8,  भाग्यशाली रंग सफ़ेद,  भाग्यशाली दिन  शनिवार और मंगलवार माना जाता है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ इंद्राय नमःl। मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

ज्येष्ठा नक्षत्र के दिन जातको को विष्णु सहस्त्रनाम का जाप, भगवान श्री विष्णु की उपासना करनी चाहिए, इससे बुध्दि और व्यापार के देवता बुद्ध ग्रह अनुकूल होते है ।

ज्येष्ठा नक्षत्र वाले दिन भगवान बुद्ध के मन्त्र ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’। का जाप करने से भी ज्येष्ठा नक्षत्र के शुभ फल प्राप्त होते है ।

धनतेरस के दिन यह खरीदने से घर से दरिद्रता का होगा नाश, लक्ष्मी जी का होगा वास, इस लिए धनतेरस पर यह अनिवार्य रूप से खरीदें,

नित्य गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है

  • योग :- अतिगण्ड 11.28 AM तक तत्पश्चात सुकर्मा
  • योग के स्वामी :-  अतिगण्ड योग के स्वामी चंद्र देव जी लेकिन स्वभाव हानिकारक  है ।
  • प्रथम करण : – वणिज 11.25 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – विष्टि 12.16 AM, 6 नवंबर तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-   विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:36
  • सूर्यास्त – सायं 17:33
  • विशेष –  चतुर्थी को मूली का सेवन नहीं करना चाहिए, चतुर्थी को मूली का सेवन करने से धन का नाश होता है  ।
  • पर्व – त्यौहार- विनायक चतुर्थी

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

5 नवम्बर 2024 का पंचांग, 5 November 2024 ka panchang, mangalwar ka panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang,mangalwar ka rahu kaal, mangalwar ka shubh panchang, panchang, tuesday ka panchang, tuesday ka rahu kaal, आज का पंचांग, मंगलवार का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, ट्यूसडे का पंचांग, ट्यूसडे का राहुकाल, पंचांग, मंगलवार का राहु काल, मंगलवार का शुभ पंचांग,

इस बार नवरात्री में माँ दुर्गा अपने इस वाहन पर सवार होकर आएगी और ऐसा रहेगा उसका फल 

ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..
धन्यवाद ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Comment form message

Aacharya Mukti Narayan Pandey Adhyatma Jyotish paramarsh Kendra Raipur

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 6 नवम्बर 2024 का पंचांग,

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 6 नवम्बर 2024 का पंचांग, आप सभी को लाभ पंचमी, छठ पूजा के दूसरे दिन की हार्दिक शुभकामनायें मंगलवार का ...