मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 12 नवम्बर 2024 का पंचांग,

मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 12 नवम्बर 2024 का पंचांग,

आप सभी को देवउठनी एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं


मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,

Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)




पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

आज का पंचांग, Aaj ka Panchangमंगलवार का पंचांग, Mangalvar Ka Panchang,

12 नवम्बर 2024 का पंचांग, 12 November 2024 ka panchang,

हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 194
5
*कलि सम्वत 5124
*अयन – 
दक्षिणायन
*ऋतु – शरद
 ऋतु
*मास –
 कार्तिक माह,
*पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन,

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन इस उपाय से समस्त मनोकामनाएँ होती है पूर्ण 

मंगलवार को मंगल की होरा :-

प्रात: 6.41 AM से 7.35 AM तक

दोपहर 12.59 PM से 1.53 PM तक

रात्रि 19.40 PM से 8.47 PM तक

मंगलवार को मंगल की होरा में हाथ की निम्न मंगल पर दो बूंद सरसो का तेल लगा कर उसे हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें ।

कृषि, भूमि, भवन, इंजीनियरिंग, खेलो, साहस, आत्मविश्वास

और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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मंगल देव के मन्त्र

ॐ अं अंगारकाय नम: अथवा

ॐ भौं भौमाय नम:”

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तिथि :- एकादशी 16.04 PM तक तत्पश्चात द्वादशी

तिथि के स्वामी :- एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी और द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी है ।

आज मंगलवार 12 नवंबर को अति शुभ वर्ष 2024 की देवोत्थान एकादशी का पर्व है । यह एकादशी, देवउठनी एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी आदि नाम से जानी जाती है।

इस एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु चार मास बाद क्षीर सागर से अपनी योग निद्रा से जागते है और इसी दिन से समस्त शुभ कार्यो का आरम्भ हो जाता है।

इस देव उठनी एकादशी के दिन से ही विवाह, मुंडन, नामकरण आदि मांगलिक कार्यो का योग बनना भी शुरू हो जाता है।

पुराणों के अनुसार इस प्रबोधिनी एकादशी का ब्रत रखने से समस्त तीर्थों के दर्शन, सौ राजसूय यज्ञ और हज़ार अश्मेघ यज्ञ से भी अधिक पुण्य प्राप्त होता है।

विष्णुपुराण के अनुसार इस दिन जो भी जातक भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजा, उनका स्मरण करते हैं उनके समस्त दुख दूर होते हैं. उनके सभी मनोरथ निश्चय ही पूर्ण होते है।

‘प्रबोधिनी एकादशी’के दिन भगवान श्री हरि की विधिपूर्वक आराधना करने से इसका फल तीर्थ, जप और दान आदि के पुण्य से से करोड़ गुना अधिक होता है ।

इस दिन रात्रि जागरण का फल चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण में किये गए स्नान और पुण्य से हज़ार गुना अधिक होता है।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन रात में जागरण करने से कई पीढ़ियों को मरणोपरांत स्वर्ग मिलता है, पितरो को भी स्वर्ग में स्थान मिलता है।

मान्यता है कि इस देव उठनी एकादशी की कथा सुनने से सभी पितरो का क्षण भर में ही उद्धार हो जाता है, सारे कुटुम्ब को पुण्य मिलता है ।

इस एकादशी की कथा सुनने / पढ़ने हज़ारो गायो के दान से भी अधिक पुण्य प्राप्त होता है, समस्त संसारिक सुख मिलते है, अत: हर जातक को इस देव प्रबोधनी एकादशी की कथा अनिवार्य रूप से निश्चय ही सुननी / पढ़नी चाहिए ।

देव उठानी एकादशी/प्रबोधिनी एकादशी के दिन एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल, पकवान, मिष्ठान, बेर, सिंघाड़े, ऋतुफल, नारियल,और गन्ना उस स्थान पर रखकर परात अथवा डलिया से ढक दिया जाता है तथा एक दीपक भी जला दिया जाता है।

रात्रि को परिवार के सभी वयस्क सदस्य देवताओं का भगवान विष्णु सहित सहित विधिवत पूजन करने के बाद प्रात:काल भगवान को शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर जगाते हैं।

इस दिन भगवान विष्णु को घंटे घड़ियालों को बजा कर उठो देवा, बैठो देवा, उँगरिया चटकाओ देवा कह कह कर जागते है । हरि के जागने के बाद ही इस एकादशी से सभी शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं।

देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी मैया और शालिग्राम की पूजा करनी चाहिए। तुलसी माता को लाल चुनरी और सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें।

देवउठनी एकादशी 12 नवंबर से चातुर्मास व्रत नियम समाप्त हो जाएगा ।

देव उठनी एकादशी का प्रारंभः 11 नवंबर 2024 को सांय 06:46 PM से

देव उठनी एकादशी का समापनः मंगलवार, 12 नवंबर 2024 को सांय 4:04 PM तक

देवोत्थान एकादशीः मंगलवार 12 नवंबर 2024 को (उदया तिथि के अनुसार)

देव उठनी एकादशी पारण समय ( व्रत तोड़ने का समय ): बुधवार, 13 नवंबर को सुबह प्रात: 6:50 बजे से प्रात: 09:02 बजे तक

 तुलसी जी को “विष्णु प्रिया” कहा गया है, तुलसी विवाह के महत्त्व जानने से समस्त पापो का नाश होता है,

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  • नक्षत्र (Nakshatra) – पूर्व भाद्रपद 7.52 AM तक तत्पश्चात उत्तराभाद्रपद
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –  पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं ।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं।

नक्षत्रों की श्रेणी में पूर्वाभाद्रपद 25 वां नक्षत्र है। पूर्वाभाद्रपद का अर्थ है ‘पहले आने वाला भाग्यशाली पैरों वाला व्यक्ति’। 

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातक वाकपटु होते है उन्हें भाषण कला में निपुणता होती है ।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र तारे का लिंग पुरुष है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: आंबा, आम, तथा स्वाभाव उग्र होता है ।

इस नक्षत्र में जन्मे जातक आशावादी, ईमानदार, परोपकारी, मिलनसार, भरोसेमंद, धनवान और आत्मनिर्भर व्यक्ति होते हैं।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक विपरीत परिस्थितियों से घबराते नहीं है, वरन अपने सकारत्मक रवैये के कारण यह हर परिस्तिथि को अपने अनुकूल करने की क्षमता रखते है । सामान्यता यह  छल कपट, बेईमानी और नकारात्मक विचारो से दूर रहते हैं। 

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 8, भाग्यशाली रंग स्लेटी,  भाग्यशाली दिन शनिवार और बुधवार है ।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज  नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ अजैकपदे नमः” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के जातको को भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए। उन्हें भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए , इससे जीवन में सभी संकट दूर रहते है ।

इस नक्षत्र में जन्मे जातको को काले कपड़े एवं चमड़े से बनी वस्तुओं का प्रयोग करने से बचना चाहिए ।

धनतेरस के दिन यह खरीदने से घर से दरिद्रता का होगा नाश, लक्ष्मी जी का होगा वास, इस लिए धनतेरस पर यह अनिवार्य रूप से खरीदें,

नित्य गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है

  • योग :- हर्षण 19.10 PM तक तत्पश्चात वज्र
  • योग के स्वामी :-  हर्षण योग के स्वामी भग देव जी और स्वभाव श्रेष्ठ है ।
  • प्रथम करण : – विष्टि 16.04 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
  • द्वितीय करण : – बव 2.35 AM, 13 नवम्बर तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:42
  • सूर्यास्त – सायं 17:29
  • विशेष –  एकादशी के दिन सेम फली, चावल का सेवन और दूसरो के अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  •  एकादशी के दिन चावल खाने से रोग बढ़ते है और दूसरे का अन्न खाने से पुण्य नष्ट होते है ।
  • पर्व – त्यौहार- देवउठनी एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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इस बार नवरात्री में माँ दुर्गा अपने इस वाहन पर सवार होकर आएगी और ऐसा रहेगा उसका फल 

ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ7587346995 )


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