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कार्तिक पूर्णिमा स्नान, kartik purnima snan,
वैसे तो पूरे कार्तिक माह Kartik Maah में ही स्नान का विशेष महत्व है लेकिन कार्तिक पूर्णिमा स्नान, kartik purnima snan का और भी ज्यादा महत्व माना गया है ।
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान भी कहते है । शास्त्रों के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व गंगा स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य के समस्त पाप धुल जाते हैं निश्चय ही सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
वर्ष 2024 में कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर शुक्रवार को है ।
पंचांग के अनुसार इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा तिथि शुक्रवार 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर शुरू हो रही है जो शनिवार 16 नवंबर को सुबह तड़के 3 बजे तक रहेगी । इसलिए उदयातिथि के आधार पर कार्तिक पूर्णिमा का पर्व शुक्रवार 15 नवंबर को मनाया जायेगा ।
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कार्तिक पूर्णिमा में किए स्नान का फल ……..
एक हजार बार किए गंगा स्नान के समान,
सौ बार माघ स्नान के समान,
वैशाख माह में नर्मदा नदी पर करोड़ बार स्नान के समतुल्य होता है।
जो फल कुम्भ में प्रयाग में स्नान करने पर मिलता है, वही फल कार्तिक माह Kartik Maah में किसी भी पवित्र नदी के तट पर स्नान करने से प्राप्त होता है।
कार्तिक पूर्णिमा Kartik Purnima में सूर्योदय से पूर्व स्नान से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है सूर्योदय होने के पश्चात् स्नान का महत्व कम हो जाता है। अतः इस दिन सभी मनुष्यो को सूर्योदय से पूर्व अवश्य ही स्नान करना चाहिए ।
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ऋषि अंगिरा ने स्नान के बारे में लिखा है कि इस दिन जातक शास्त्रों के नियमों का पालन करते हुए स्नान करते समय सबसे पहले हाथ पैर धो लें फिर आचमन करके हाथ में कुशा लेकर स्नान करें, क्योंकि यदि स्नान में कुशा और दान करते समय हाथ में जल व जप करते समय संख्या का संकल्प नहीं किया जाए तो कर्म फलों से सम्पूर्ण पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है ।
दान देते समय जातक हाथ में जल लेकर ही दान करें। इसी प्रकार यदि जातक यज्ञ और जप कर रहा हैं तो पहले संख्या का संकल्प कर लें फिर जप और यज्ञादि कर्म करें।
इस दिन जातक को माँ गंगा, भगवान शिव, विष्णु जी और सूर्य देव का स्मरण करते हुए नदी या तालाब में स्नान के लिए प्रवेश करना चाहिए । स्नान करते समय आधा शरीर तक जल में खड़े होकर विधिपूर्वक स्नान करना चाहिए।
गृहस्थ व्यक्ति को काला तिल तथा आंवले का चूर्ण लगाकर , जल में गंगा जल, आंवले का रस डालकर स्नान करने से असीम पुण्य की प्राप्ति होती है
लेकिन विधवा तथा संन्यासियों को तुलसी के पौधे की जड़ में लगी मिट्टी को लगाकर ही स्नान करना चाहिए।
इस दौरान भगवान विष्णु जी के
ॐ अच्युताय नम:,
ॐ केशवाये नम:,
ॐ अनंताय: नम:
मन्त्रों का लगातार जाप करते रहना चाहिए। ( यदि घर पर स्नान करे तो पानी में गंगा जल अवश्य ही डालें ) स्नान के पश्चात भगवान सूर्य देव को अर्घ्य भी अवश्य ही दे ।
कार्तिक पूर्णिमा Kartik Purnima के दिन गंगा स्नान के बाद दीपदान, हवन, यज्ञ, अपनी समर्थानुसार पूर्ण श्रद्धा के साथ दान और गरीबों को भोजन आदि करने से जातक, उसके परिजनों, पूर्वजो को भी सभी पापों से छुटकारा मिलता है ।
इस दिन किये जाने वाले अन्न, धन और वस्त्र दान का भी बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है।
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर अगर कृतिका नक्षत्र हो तो इसे महा कार्तिकी कहा जाता है और अगर इस दिन भरणी व रोहिणी नक्षत्र हो तो इसका विशेष फल मिलता है। शास्त्रों में लिखा है इस दिन भरणी नक्षत्र में स्नान, पूजा, दान आदि से समस्त सुख और ऐश्वर्यों की निश्चय ही प्राप्ति होती है ।
इस दिन चंद्रोदय के समय या उसके बाद रात्रि में मंगल ग्रह के स्वामी भगवान कार्तिकेय की माताओं- शिवा, संभूति, प्रीति, संतति, अनसूया और क्षमा आदि छह कृत्तिकाओं का पूजन अवश्य ही करना चाहिए।
कहते है कि इस दिन जो भी दान किया जाता हैं हमें उसका अनंत गुना लाभ मिलता है, इसका पुण्य कभी भी समाप्त नही होता है ।
इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन जीवन में शुभ फलो,समस्त सांसारिक सुखो के लिए प्रत्येक मनुष्य को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य ही करना चाहिए और घर के सभी छोटे बड़े सदस्यो से भी दान अवश्य करवाये ।
त्रिकार्तिकी :——-
शास्त्रो के अनुसार कार्तिक मास की महिमा अपरम्पार है । यदि कोई किसी कारणवश पूरे कार्तिक मास का व्रत न कर पाए / इस माह के नियमो का पालन ना कर पाय तो यदि वह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अन्तिम तीन दिन त्रयोदशी, चतुर्दशी तथा पूर्णिमा तिथियों पर भी कार्तिक मास के नियमों का पूर्ण विधि से पालन करे तो उसे पूरे कार्तिक मास स्नान का पुण्य मिलता है।
ये तीनो तिथियाँ अति पुष्करिणी कही गयी हैं और यह तीन दिनों का व्रत / संकल्प ‘त्रिकार्तिकी` कहलाता है।
कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म के आलावा सिख धर्म में भी बहुत महत्व है । कार्तिक पूर्णिमा को सिख धर्म में प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है, दरअसल, इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इसीलिए इसे गुरु पर्व भी कहा जाता है।
ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)
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