Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 7 नवम्बर 2024 का पंचांग,
गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 7 November 2024 Ka Panchang,
बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,
- Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
आज का पंचांग, aaj ka panchang, गुरुवार का पंचाग, Guruvar Ka Panchag,
गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,
7 नवम्बर 2024 का पंचांग, 7 November 2024 Ka Panchang,
- गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 7 November 2024 का पंचांग,
- दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
- गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।
गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है । - गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया, - गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।
यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।
गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है।
पितृ पक्ष में तिथिनुसार इस तरह से पितरो के निमित घर पर कराएं ब्राह्मण भोजन, पूरे वर्ष पितरो का मिलेगा आशीर्वाद,
- *विक्रम संवत् 2081,
- * शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124,
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – कार्तिक माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ,
गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-
प्रात: 6.37 AM से 7.32 AM तक
दोपहर 12.59 PM से 1.53 PM तक
रात्रि 19.42 PM से 8.48 PM तक
छोटी दीपावली पर अवश्य ही करे ये उपाय, पूरे वर्ष होती रहेगी धन की वर्षा
आज गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा के समय दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली ( अंगूठे के बगल वाली उंगली ) के नीचे गुरु पर्वत और उस पूरी ऊंगली पर बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य ) I
गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
बृहस्पति देव के मन्त्र
ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।
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- तिथि (Tithi) :- षष्टी 12.34 AM, 8 नवम्बर तक
- तिथि का स्वामी – षष्टी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी है ।
षष्ठी (छठ) के देवता भगवान भोलेनाथ और माँ पार्वती के बड़े पुत्र और देवताओं के सेनापति कार्तिकेय जी है, लेकिन वह पार्वतीजी के गर्भ से नहीं जन्मे है ।
दक्षिण भारत में इन्हे भगवान मुरुगन के रूप में पूजा जाता है। यह दक्षिण भारत के तमिल नाडु राज्य के रक्षक देव भी माने जाते हैं।
भारत के आलावा विश्व के अन्य देशों जैसे श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर आदि में भी कार्तिकेय जी को इष्ट देव के रूप में स्वीकार किया गया है।
भगवान कुमार कार्तिकेय जी के 6 मुख हैं, कार्तिकेय जी को युवा और बाल्य रूप में ही पूजा जाता है। भगवान कार्तिकेय जी को सदेव युवा रहने का वरदान प्राप्त है ।
भगवान कार्तिकेय जी अवतार रूप मे ब्रम्हचारी माने गए हैँ। ऋषि जरत्कारू और राजा नहुष के बहनोई हैं और जरत्कारू और इनकी छोटी बहन मनसा देवी के पुत्र महर्षि आस्तिक के मामा ।
स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान कार्तिकेय ने देवताओं और असुरो के संग्राम में देवताओं का नेतृत्व कर राक्षस तारकासुर का संहार किया।
तारकासुर के वध करने के बाद कार्तिकेय जी को देवताओ से सदैव युवा रहने का वरदान प्राप्त हुआ ।
इस तिथि में कार्तिकेय जी की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपवान, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला हो जाता है। यह यशप्रदा अर्थात सिद्धि देने वाली तिथि हैं।
भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तो को बल और साहस की प्राप्ति होती है, विवाद, मुक़दमो में सफलता मिलती है, शत्रु परास्त होते है।
कार्तिकेय गायत्री मंत्र : – ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात’. यह मंत्र हर प्रकार के दुख एवं कष्टों का नाश करने के लिए प्रभावशाली है ।
षष्टी को नीम का सेवन नहीं करना चाहिए । षष्टी को नीम का सेवन करने से नीच योनि मिलती है ।
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नक्षत्र (Nakshatra) – पूर्वाषाढ़ा 11.47 AM तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा,
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी – पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के देवता (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता) और स्वामी शुक्र देव है ।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र 20वें नंबर का नक्षत्र है। ‘पूर्वाषाढ़ा’ का अर्थ है ‘विजय से पूर्व’। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के देवता (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता) और स्वामी शुक्र देव है ।
शुक्र का प्रभाव पड़ने से जातक आकर्षक, प्रेम करने वाला, तथा जिंदादिल इंसान होता है।
यह हाथी दांत या हाथ का पंखा जैसा नज़र आता है जो कि शक्ति और विजय को दर्शाता है।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का लिंग पुरुष है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष वेत और नक्षत्र का स्वभाव उग्र माना गया है ।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक निडर, आक्रामक, भगवान से डरने वाले, विनम्र, ईमानदार, पाखंड से कोसों दूर,संकल्प शक्ति वान होते हैं।
लेकिन यदि कुंडली में गुरु और शुक्र अशुभ हो तो ऐसे जातक बेहद जिद्दी, अस्थिर, झगड़ालू, निर्णय नहीं लेने वाले होते है इन्हे आर्थिक कठनाई लगी रहती है ।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 6, भाग्यशाली रंग, काला, गहरा भूरा, भाग्यशाली दिन रविवार, शनिवार, शुक्रवार और गुरुवारका माना जाता है ।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ पूर्वाषाढाभ्यां नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
जीवन में निरंतर शुभ समय के लिए पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के जातको को माँ लक्ष्मी, माँ ललिता और देवी त्रिपुर सुंदरी की पूजा उपासना करनी चाहिए. ।
लक्ष्मी सहस्त्रनाम, ललिता सहस्त्रनाम, कनकधारा स्त्रोत, महालक्ष्मी अष्टक का पाठ करना जातक के लिए कल्याणकारी होता है. ।
इसके अतिरिक्त पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के जातको को नित्य भगवान शंकर जी की आराधना भी बहुत शुभ फलदाई होती है ।
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संध्या अर्घ्य छठ पर्व के यह तीसरे दिन होता है, यह चैत्र या कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है।
आज छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का महत्त्व माना जाता है कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद में ठेकुआ चावल के लड्डू बनाये जाते है।
शाम के समय एक बाँस की टोकरी, जिसे दउरा कहते है, में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने वाले सूप को सजाकर, उसमें नारियल,पांच प्रकार के फल,और पूजा का अन्य सामान रखकर लोग इसे लेकर पैदल ही घाट पर जाते है और सामूहिक रूप से सूर्य को अर्घ्य देते है।
सूर्यास्त से कुछ समय पहले सूर्य देव की पूजा का सारा सामान लेकर घुटने भर पानी में जाकर खड़े हो जाते है और डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा करते है।
संध्या के समय सूर्य भगवान् को जल और दूध से अर्घ्य दिया जाता है एवं छठी मैया की प्रसाद से भरे हुए सूप से पूजा आराधना की जाती है।
इस दिन संध्या को जल में कमर तक जाकर डूबते हुए सूर्य और दूसरे दिन उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर उनसे अपने और अपने परिवार के लिए आशीर्वाद मांगते है।
योग :- धृति 9.52 AM तक तत्पश्चात शूल,
योग के स्वामी, स्वभाव :- धृति योग के स्वामी जल एवं स्वभाव श्रेष्ठ है । ।
प्रथम करण :- कौलव 12.41 PM तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है ।
द्वितीय करण :- तैतिल 12.34 AM, 8 नवम्बर तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।
- दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 06:38
- सूर्यास्त – सायं 17:32
- विशेष – षष्ठी के दिन नीम की पत्ती खाना, दातुन करना या किसी भी तरह से नीम का सेवन नहीं करना चाहिए ।
- इस दिन नीम का सेवन करने से नीच योनि की प्राप्ति होती है।
- पर्व त्यौहार–
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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