सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 14 अक्टूबर 2024 का पंचांग,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 14 अक्टूबर 2024 का पंचांग,

आप सभी को पापकुंशा एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 14 अक्टूबर 2024 का पंचांग, 14 October 2024 ka Panchang,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

14 अक्टूबर 2024 का पंचांग, 14 October 2024 ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – अश्विन माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ,

सोमवार को चन्द्रमा की होरा :-

प्रात: 6.21 AM से 7.19 AM तक

दोपहर 01.04 PM से 2.01 PM तक

रात्रि 7.57 PM से 8.59 PM तक

सोमवार को चन्द्रमा की होरा में अधिक से अधिक चन्द्र देव के मन्त्र का जाप करें। यात्रा, प्रेम, प्रसन्नता, कला सम्बन्धी कार्यो के लिए चन्द्रमा की होरा अति उत्तम मानी जाती है।

सोमवार के दिन चन्द्रमा की होरा में चंद्रदेव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में चंद्र देव मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

चन्द्रमा के मन्त्र

ॐ सों सोमाय नम:।

ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।

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  • तिथि (Tithi) – एकादशी तिथि 6.41 AM तक तत्पश्चात द्वादशी
  • तिथि का स्वामी – एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी और द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री वि ष्णु जी है।
  • आज सुबह 6.41 AM तक एकादशी, पापकुंशा एकादशी तत्पश्चात द्वादशी तिथि है है । पाप कुंशा एकादशी का ब्रत अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन रखा जाता है ।
  • इस बार पापांकुशा एकादशी का व्रत दो दिन है, रविवार को गृहस्थ जन एकादशी का ब्रत रखेंगे और आज सोमवार को साधु संन्यासी के लिए एकादशी का ब्रत होगा ।
  • पापकुंशा एकादशी तिथि 13 अक्टूबर को प्रात: 9 बजकर 08 मिनट से प्रारम्भ होकर 14 अक्टूबर को प्रात: 6 बजकर 41 मिनट तक रहेगी । एकादशी व्रत का पारण आज सोमवार 14 अक्‍टूबर को किया जाएगा ।
  • शास्त्रों के अनुसार पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से समस्त पापो का नाश होता है, पाप मिटते हैं, सुख – समृद्धि की प्राप्ति होती है और अंत में मोक्ष मिलता है ।
  • एकदशी के दिन तुलसी जी को जल देने से पाप लगता है । मान्यता है कि विष्णु जी अति प्रिय तुलसी जी भी उनके लिए एकादशी का व्रत करती हैं , और जल देने से तुलसी जी का ब्रत खंडित हो जाता है, इसलिए एकादशी के दिन तुलसी जी पर जल चढ़ाना वर्जित है ।
  • शास्त्रों के अनुसार एकादशी तिथि भगवान श्री विष्णु जी को अति प्रिय है । एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी / श्री कृष्ण जी की आराधना की जाती है।
  • एकादशी के दिन जल में आँवले का चूर्ण या आँवले का रस डाल कर स्नान करने से समस्त पापो का नाश होता है।
  • एकादशी के दिन रात्रि में भगवान विष्णु के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और एक दीपक ऐसा जलाएं जो रात भर जलता रहे।
  • एकादशी के दिन चावल और दूसरे का अन्न खाना मना है । एकादशी के दिन चावल खाने से रोग और पाप बढ़ते है, एकादशी के दिन दूसरे का अन्न खाने से समस्त पुण्यों का नाश हो जाता है ।
  • जीवन में समस्त संकटो को दूर करने, सफलता का द्वार खोलने के लिए नवरात्री के मंगलवार को अवश्य ही करें ये उपाय

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नक्षत्र (Nakshatra) – शतभिषा 12.43 AM, 15 अक्टूबर तक

  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-  शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुण देव जी और शतभिषा के स्वामी राहु जी है । 

शतभिषा नक्षत्र का स्थान आकाश मंडल के नक्षत्रो में 24 वां है।। ‘शतभिषा’ का अर्थ है ‘सौ चिकित्सक’ अथवा ‘सौ चिकित्सा’। यह एक चक्र, एक बैल गाड़ी जो चिकित्सा का प्रतीक है जैसा प्रतीत होता है। ऐसे जातक पर राहु और शनि का प्रभाव रहता है।

 शताभिषा नक्षत्र सितारे का लिंग तटस्थ है। शताभिषा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: कदंब, तथा स्वाभाव चर होता है ।

यदि कुंडली में राहु और शनि का प्रभाव अच्छा है तो जातक दार्शनिक, वैज्ञानिक, अच्छे आचरण वाला, आत्मविश्वास से भरा हुआ, महत्वाकांक्षी, साहसी, सदाचारी, दाता, धार्मिक लेकिन कठोर स्वाभाव वाला होता है।

लेकिन राहु के खराब होने पर जातक तंत्र मन्त्र पर बहुत विश्वास रखने वाला, वहमी, शक्की, पराई स्त्री पर आसक्त रहने वाला, कलह प्रिय, घर से दूर रहने की चाह रखने वाला, घर वालो को दुःख देने वाला होता है । 


अत: शतभिषा नक्षत्र के जातको को राहु को अपने अनुकूल करने का उपाय अवश्य जी करना चाहिए ।

शतभिषा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 4 और 8, भाग्यशाली रंग हरा और नीला, भाग्यशाली दिन शुक्रवार, शनिवार और सोमवार होता है ।

शतभिषा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज  नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ वरुणाय नमः “ या नक्षत्र नाम मंत्र :- “ॐ शतभिषजे नमः” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

शतभिषा नक्षत्र के जातको को  भगवान शंकर जी की उपासना करने से आशातीत सफलता मिलती है ।

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अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 
  • योग(Yog) – गण्ड 18.01 PM तक तत्पश्चात वृद्धि
  • योग के स्वामी :-    गण्ड योग के स्वामी अग्नि एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – विष्टि 06.41 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।

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  • द्वितीय करण : – बव 17.15 PM तक तत्पश्चात बालव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
  • विशेष – एकादशी के दिन सेम फली, चावल का सेवन और दूसरो के अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  •  एकादशी के दिन चावल खाने से रोग बढ़ते है और दूसरे का अन्न खाने से पुण्य नष्ट होते है ।
  • द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना,  मसूर का सेवन करना  वर्जित है।
  • द्वादशी के दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दिन यात्रा करने से धन हानि एवं असफलता की सम्भावना रहती है।  
  • पर्व त्यौहार- पापकुंशा एकादशी
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 7587346995
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )


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