Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 31 अक्टूबर 2024 का पंचांग,

Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 31 अक्टूबर 2024 का पंचांग,

आप सभी को दीपावली के महा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 31 October 2024 Ka Panchang,

बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

आज का पंचांग, aaj ka panchang, गुरुवार का पंचाग, Guruvar Ka Panchag,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,

31 अक्टूबर 2024 का पंचांग, 31 October 2024 Ka Panchang,


  • गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 24 October 2024 का पंचांग,
  • दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
  • गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।

    गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
  • गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
    इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

    इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,
  • गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
    इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।

यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है

पितृ पक्ष में तिथिनुसार इस तरह से पितरो के निमित घर पर कराएं  ब्राह्मण भोजन, पूरे वर्ष पितरो का मिलेगा आशीर्वाद, 

  • *विक्रम संवत् 2081,
  • * शक संवत – 1945,
    *कलि संवत 5124,
    * अयन – दक्षिणायन,
    * ऋतु – शरद ऋतु,
    * मास – कार्तिक माह
    * पक्ष – कृष्ण पक्ष
    *चंद्र बल – वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ,

गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-

प्रात: 6.27 AM से 7.24 AM तक

दोपहर 01.01 PM से 1.57 PM तक

रात्रि 19.49 PM से 8.53 PM तक

छोटी दीपावली पर अवश्य ही करे ये उपाय, पूरे वर्ष होती रहेगी धन की वर्षा

आज गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा के समय दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली ( अंगूठे के बगल वाली उंगली ) के नीचे गुरु पर्वत और उस पूरी ऊंगली पर बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य ) I

गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

बृहस्पति देव के मन्त्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।

अवश्य पढ़ें :- जानिए कैसा हो खिड़कियों का वास्तु , जिससे जिससे वहाँ के निवासियों को मिले श्रेष्ठ लाभ

  • तिथि (Tithi) :- चतुर्दशी 3.52 PM तक तत्पश्चात अमावस्या
  • तिथि का स्वामी – चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव जी है ।

आज दीपावली का महा पर्व है, इस साल दिवाली 31 अक्टूबर को है या 1 नवम्बर को इस बारे में काफी भ्रम की स्थिति बानी है । दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है, और इस बार 31 अक्टूबर की रात में ही अमावस्या होगी।

ऐसे में लक्ष्मी पूजा भी 31 अक्टूबर को की जाएगी, लेकिन अगर अमावस्या 1 नवंबर को प्रदोष काल में होती, तो दिवाली उस दिन मनाना उचित होता, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा ।

पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 बजे से शुरू होगी । एक नवंबर को अमावस्या शाम 6.16 बजे तक ही है ।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन संध्या में प्रदोष काल किया जाता है जो 31 अक्टूबर को तो मिल रहा है लेकिन 1 नवम्बर को प्रदोष काल का समय नहीं मिल पा रहा है, इसलिए इसके बाद लक्ष्मी पूजन नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि दिवाली 31 अक्टूबर को मनाना शुभ है।

इस बार दीपावली पर गजकेसरी, आयुष्मान, सौभाग्य योग और लक्ष्मी योग का निर्माण हो रहा है जी कि बहुत ही शुभ साबित होगा ।

दिवाली के दिन लक्ष्मी – गणेश जी, कुबेर देव और देवराज इंद्र की पूजा करना अत्यंत फलदाई है । मान्यता है कि दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त विशेषकर प्रदोष काल में लक्ष्मी – गणेश जी की पूजा करने से पूरे वर्ष सुख – सौभाग्य की प्राप्ति होती है, धन का आगमन लगातार बना रहता है ।

पूजन के समय गृह स्वामी हलके पीले, केसरी और स्त्री लाल या पीली साड़ी और घर के बाकि सदस्य भी हलके कपडे पहन कर ही पूजा में बैठे ।

दिवाली पूजा में विशेष रूप से माँ लक्ष्मी की आराधना की जाती है। माता लक्ष्मी का दूसरा नाम कमला है, यह विष्णु प्रिय भी कही गयी है । यह कमल के आसन पर हाथ में कमल को धारण किये हुए विराजमान है। लक्ष्मी जी दीपावली के दिन समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी ।

इस दिन घर एवं व्यापारिक प्रतिष्टान के मुख्य द्वार के दोनों ओर दीवार पर शुभ – लाभ , स्वास्तिक , ॐ , आदि सौभाग्य चिन्हों को सिंदूर से अंकित करें तत्पश्चात उस पर पुष्प रोली चड़ाकर प्रार्थना करनी चाहिए ।

दिवाली पूजन का पूजन घर के पूजा कक्ष में अथवा तिजोरी रखने वाले कक्ष में करना उत्तम होता है ।

दिवाली पूजन में कमल गट्टा, पीली सरसों, शहद, साबुत धनिया, पीली कौडिय़ां, गोमती चक्र, नाग केसर, साबुत हल्दी की गांठ, कमल का फूल आदि का अवश्य प्रयोग करें I

लक्ष्मी गणेश, कुबेर जी की पूजा के साथ साथ, यदि घर में स्फुटिक श्री यंत्र, दक्षिण वर्ती शंख, नौ ग्रह यंत्र और यदि कोई अन्य भी यंत्र हो उनकी भी अवश्य ही पूजा करें ।

दीवाली के दिन बही खाता, तुला आदि की भी अवश्य जी पूजा करनी चाहिए । दीपावली की पूजा के बाद पूरे घर के कोने कोने को दीपको के प्रकाश से प्रकाशित करना चाहिए । दीपावली की पूजा में घर के मंदिर में एक दिया ऐसा जलाये जो सारी रात जलाता रहे ।

दीपावली के दिन किसी भी विष्णु मंदिर में ऊंचाई पर पीली त्रिकोण आकृति कि पताका / पीला झण्डा इस प्रकार लगा दे कि वह लगातार लहराती रहे तो उसका भाग्य शीघ्र चमक जाता है ।

दीपावली के दिन इस तरह से करें पूजा, मां लक्ष्मी, गणेश जी की मिलेगी असीम कृपा, अवश्य जानिए दीपावली की आसान पूजन विधि

  • नक्षत्र (Nakshatra) – चित्रा 12.45 AM 1 नवम्बर तक,
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –        चित्रा नक्षत्र के देवता विश्‍वकर्मा जी एवं चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव जी है ।

चित्रा नक्षत्र नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 14 वां है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चित्रा नक्षत्र का शासक ग्रह चंद्र देव जी है।  

यह एक मोती या उज्ज्वल गहने की तरह है जो चमकते प्रकाश सा हमारे भीतर की आत्मा का प्रतीक है।  27 नक्षत्रों में चित्रा नक्षत्र सबसे ज्यादा चमकने वाला नक्षत्र भी बताया जाता है ।

चित्रा नक्षत्र कलात्मकता, रचनात्मकता का प्रतीक है, इसीलिए इस नक्षत्र के लोग अपने क्षेत्र में बहुत ही प्रवीण होते है वह साधारण चीज़ को भी और भी अधिक खूबसूरत, विशेष बनाते है,  उसके मूल्य को बढ़ा देते हैं।

चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले पुरुष बहुत मेहनती होते हैं। इसके बावजूद सफलता प्राप्त करने में इन्हें 32 साल की उम्र तक संघर्ष करना पड़ता है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : बेल तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। चित्रा नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।

चित्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 5, 6 और 9,  भाग्यशाली रंग, काला,  भाग्यशाली दिन रविवार और बुधवार माना जाता है ।

चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चित्रायै नमः”l। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

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योग :- विष्कम्भ 9.51 AM तक तत्पश्चात प्रीति,

योग के स्वामी, स्वभाव :- विष्कम्भ योग के स्वामी यम एवं स्वभाव हानिकारक है ।

प्रथम करण :- शकुनि 3.52 PM तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-   शकुनि करण की स्वामी माँ काली और स्वभाव क्रूर है । ।

द्वितीय करण :- चतुष्पाद 5.06 AM, 1 नवम्बर तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-   चतुष्पाद करण के स्वामी रूद्र और स्वभाव क्रूर है ।

  • दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:32
  • सूर्यास्त – सायं 17:36
  • विशेष – अमावस्या,  श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, तुलसी जी, किसी भी तरह के फूल पत्ती को तोड़ना, सहवास करना निषिद्ध है। 
  • पर्व त्यौहार– दीपावली का महापर्व 
  • मुहूर्त (Muhurt) 

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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