सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 19 अगस्त 2024 का पंचांग,

आप सभी को रक्षाबंधन, सावन के पाँचवे सोमवार, सावन माह की पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 19 अगस्त 2024 का पंचांग, 19 August 2024 ka Panchang,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

19 अगस्त 2024 का पंचांग, 19 August 2024 ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – वर्षा ऋतु,
* मास – श्रावण माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ,

सोमवार को चन्द्रमा की होरा :-

प्रात: 5.52 AM से 6.57 AM तक

दोपहर 01.29 PM से 2.34 PM तक

रात्रि 8.45 PM से 9.40 PM तक

सोमवार को चन्द्रमा की होरा में अधिक से अधिक चन्द्र देव के मन्त्र का जाप करें। यात्रा, प्रेम, प्रसन्नता, कला सम्बन्धी कार्यो के लिए चन्द्रमा की होरा अति उत्तम मानी जाती है।

सोमवार के दिन चन्द्रमा की होरा में चंद्रदेव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में चंद्र देव मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

चन्द्रमा के मन्त्र

ॐ सों सोमाय नम:।

ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।

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  • तिथि (Tithi) – पूर्णिमा तिथि 11.57 PM तक तत्पश्चात प्रतिपदा
  • तिथि का स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी है ।
  • आज सावन माह की पूर्णिमा, रक्षाबंधन का महापर्व, सावन का अंतिम सोमवार का अति शुभ संयोग है ।
  • श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन / राखी का पर्व ना केवल भारत में वरन विश्व के बहुत से हिस्सों में जहाँ भारतीय रहते है हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है।
  • इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र / राखी बांधकर उनके कल्याण, उन्नति की कामना करती है और भाई हर हाल में आजीवन अपनी बहन की रक्षा , उसके सुख-सौभाग्य के लिए वचन देते है ।
  • इस साल 2024 को सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि सोमवार 19 अगस्त को सुबह 03 बजकर 07 मिनट पर प्रारंभ हो रही है जो 19 अगस्त को ही रात्रि 11 बजकर 57 मिनट तक रहेगी।
  • लेकिन पूर्णिमा के साथ ही भद्रा 19 अगस्त को सुबह 05 बजकर 53 मिनट से शुरू हो जाएगी जो दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक रहेगी ।
  • ऐसे में रक्षाबंधन का शुभ समय भद्रा के पश्चात सोमवार 19 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 32 मिनट से पूरे दिन बहने अपने भाइयों को राखी बांध सकती है ।
  • शास्त्रों के अनुसार सावन माह की पूर्णिमा के दिन जो जातक अपनी बहन / मुंहबोली बहन / पुरोहित से राखी बंधवाता है उसकी सभी संकटो से अवश्य ही रक्षा होती है ।
  • इस दिन राखी बँधवाने के बाद अपनी सामर्थ्यानुसार अपनी बहन / पुरोहित को उपहार देकर उन्हें संतुष्ट अनिवार्य रूप से करना चाहिए ।
  • राखी / रक्षा सूत्र बांधते समय बहनों को अपने भाइयों के सौभाग्य हेतु निम्न मन्त्र का उच्चारण अवश्य ही करना चाहिए, तभी रक्षासूत्र प्रभावशाली बनता है । जब उसे मंत्रों के साथ बांधा जाए।
  • राखी बांधने का मंत्र :-
  • येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबलः।
    तेन त्वां प्रतिबध्नामि, रक्षे! मा चल! मा चल!!’

  • इसका अर्थ है- अर्थात् जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को धर्म के बंधन में बांधा गया था, उसी रक्षासूत्र से मैं तुमको बाँधती हूं, यह तुम्हारी रक्षा करेगा । हे रक्षे! (राखी / रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो। हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना, इनकी हर मुश्किल में रक्षा करना ।
  • पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें।
  • पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
  • पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए।
  • पूर्णिमा तिथि के दिन चन्द्र देव जी के मन्त्र
  • ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:। अथवा
  • ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:
  • का जाप करने से कुंडली में चन्द्रमा के शुभ फल मिलने लगते है ।
  • इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।
  • पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।
  • पूर्णिमा के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है।
  • पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
  • जीवन में समस्त संकटो को दूर करने, सफलता का द्वार खोलने के लिए नवरात्री के मंगलवार को अवश्य ही करें ये उपाय

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आज सावन माह का पाँचवा और अंतिम सोमवार है । श्रवण माह भगवान भोलाथ जी को अत्यंत प्रिय है, सावन में भगवान आशुतोष जी की आराधना परम फलदाई है ।

मान्यता है भगवान शिव भक्तो द्वारा इस माह किये गए ब्रत, पूजा, अभिषेक आदि से अति प्रसन्न होते है। सावन माह को हर्ष उल्लास का महीना कहा गया है और शिव भक्तो के लिए यह माह और भी विशेष होता है। 

सावन के महीने में दसो दिशाएं हर-हर बम-बम , हर हर महादेव के जयकारे से गूँजने लगती है , प्रत्येक भक्त देवताओं में सबसे भोले भगवान भोलेनाथ को मनाकर, उन्हें प्रसन्न करके उनकी कृपा प्राप्त करना चाहता है। 

अमूमन सावन माह में 4 सोमवार पड़ते हैं लेकिन इस बार सावन माह में पांच सोमवार का पड़ना शुभ संकेत माना जा रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार इस संयोग में भक्तों को भगवान शिवजी की पूजा, अर्चना, अभिषेक करने से परम सुखो की प्राप्ति होगी।

श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को शिव के निमित्त व्रत किए जाते हैं।

श्रावण मास के सोमवारों में शिव के व्रतों, पूजा और शिव जी की आरती का विशेष महत्त्व है। शिव के ये व्रत शुभदायी और फलदायी होते हैं। इन व्रतों को करने वाले सभी भक्तों से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं ।

सावन के सोमवार के दिन शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर गंगा जल मिला जल चढ़ाकर, दूध, दही, शहद,घी, चीनी से अभिषेक करके चावल और काले तिल चढ़ाएं । फिर शिवलिंग का बेल पत्र, शमी पत्र, मदार और सफ़ेद पुष्प से श्रृंगार करें ।

इस दिन शिवलिंग का दूध, शहद, घी से अभिषेक करके अक्षत ( चावल ) चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा से सभी संकटो का नाश होता है, जीवन सुखमय होता है।

रक्षा बंधन के दिन राखी बांधते समय बहने बोले यह मन्त्र, भाइयों की सदैव होगी हर संकटो से होगी रक्षा 

नक्षत्र (Nakshatra) – श्रवण 8.11 AM तक तत्पश्चात धनिष्ठा, अगले दिन 20 अगस्त 5.46 AM तक,

  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-  श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु और सरस्वती जी तथा स्वामी चंद्र देव जी है ।

श्रवण नक्षत्र 22 वें नंबर का नक्षत्र  है। यह एक त्रिशूल के जैसा प्रतीत होता है। श्रवण नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आक या  मंदार, और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है । श्रावण नक्षत्र का लिंग पुरुष है।

श्रवण नक्षत्र के जातक पर शनि और चंद्र का प्रभाव जीवनभर बना रहता है।  श्रवण नक्षत्र के जातक बुद्धिमान और अपने कार्यो में निपुण होते हैं । 

श्रवण नक्षत्र में जन्म होने से जातक सुंदर, दानवान, आज्ञाकारी, सर्वगुण संपन्न, धनवान और अपने क्षेत्र में मान सम्मान प्राप्त करता है।

लेकिन यदि शनि और चंद्र की स्थिति ठीक नहीं है तो ऐसा जातक क्रोधी, कंजूस, भय-शंकित रहने वाला, लापरवाह, आलसी होता है। 

यदि शनि और चंद्र कुंडली में एक ही जगह है, तो जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है।

 इसलिए जातक को हनुमानजी की सदैव उपासना करना है। जातक को शराब, मांस आदि व्यसनों से दूर रहना चाहिए।

श्रवण नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 8, भाग्यशाली रंग, आसमानी, हल्का नीला, भाग्यशाली दिन गुरुवार, बुधवार और सोमवार माना जाता है ।

श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ श्रवणाय नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

जीवन में कैसी भी हो समस्या रक्षाबंधन के दिन अवश्य करें ये अचूक उपाय

  अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 
  • योग(Yog) – शोभन 00.46 AM, 20 अगस्त तक तत्पश्चात अतिगण्ड
  • योग के स्वामी :-    शोभन योग के स्वामी बृहस्पति देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।
  • प्रथम करण : – विष्टि 1.34 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।

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  • द्वितीय करण : – बव 11. 57 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
  • विशेष – पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।
  • पूर्णिमा के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है।
  • पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
  • पर्व त्यौहार- रक्षाबंधन, सावन का सोमवारसावन माह की पूर्णिमा
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


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