मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 24 सितम्बर 2024 का पंचांग,

मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 24 सितम्बर 2024 का पंचांग,


मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang,

Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)




पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग (Mangalvar Ka Panchang)।

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

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24 सितम्बर 2024 का पंचांग, 24 September 2024 ka panchang,

हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

  • दिन (वार) – मंगलवार Mangalwar के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।

    मंगलवार Mangalwar को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।

    मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।

    इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,

    मंगलवार के व्रत से सुयोग्‍य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।

    मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।

    एकादशी के इन उपायों से पाप होंगे दूर, सुख – समृद्धि  की कोई कमी नहीं रहेगी 

*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 194
5
*कलि सम्वत 5124
*अयन – 
दक्षिणायन
*ऋतु – वर्षा
 ऋतु
*मास –
 अश्विन माह,
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर,

मंगलवार को मंगल की होरा :-

प्रात: 6.10 AM से 7.10 AM तक

दोपहर 01.13 PM से 2.13 PM तक

रात्रि 20.14 PM से 9.13 PM तक

मंगलवार को मंगल की होरा में हाथ की निम्न मंगल पर दो बूंद सरसो का तेल लगा कर उसे हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें ।

कृषि, भूमि, भवन, इंजीनियरिंग, खेलो, साहस, आत्मविश्वास

और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

पितृ पक्ष में तिथिनुसार इस तरह से पितरो के निमित घर पर कराएं  ब्राह्मण भोजन, पूरे वर्ष पितरो का मिलेगा आशीर्वाद

मंगल देव के मन्त्र

ॐ अं अंगारकाय नम: अथवा

ॐ भौं भौमाय नम:”

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अगर पूरी करनी चाहते है अपनी सभी मनोकामनाएं तो अवश्य ही घर पर लगाएं यह वृक्ष

तिथि :- सप्तमी 12.38 PM तक तत्पश्चात अष्टमी

तिथि के स्वामी :- सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव जी और अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है ।

सप्तमी के स्वामी भगवान सूर्य देव हैं। इस दिन आदित्यह्रदय स्रोत्र का पाठ अवश्य करें ।

सप्तमी तिथि को शुभ प्रदायक माना गया है, इस तिथि में जातक को सूर्य का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है ।

  सप्तमी तिथि में जन्मा जातक भाग्यशाली, गुणवान, तेजयुक्त होता है उसकी काबिलियत से उसे सभी क्षेत्रो में सम्मान प्राप्त होता  है।

सप्तमी के दिन भगवान सूर्य देव के मन्त्र “ॐ सूर्याय नम:”।। की एक माला का जाप अवश्य ही करें ।

सप्तमी का विशेष नाम ‘मित्रपदा’ है।  सप्तमी को काले, नीले वस्त्रो को धारण नहीं करना चाहिए।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का भी दिन माना जाता है, जो समस्त संकटों का नाश करने वाली हैं। अत: इस दिन माँ काली की आराधना, स्मरण अवश्य करें ।

सप्तमी के दिन माँ काली जी के मन्त्र “ॐ क्रीं काल्यै नमः” का जाप करने से समस्त भय और संकट दूर होते है।  

 सप्तमी तिथि के दिन उत्साह से भरे,  शुभ मंगल कार्य करना शुभ माना जाता है।  किसी नए स्थान की यात्रा करना, नए कार्यो को करने के लिए भी यह तिथि शुभ मानी जाती है।  

नए वस्त्र एवं गहनों को धारण करना, विवाह, नृत्य- संगीत जैसे काम करना भी इस दिन उत्तम होता है। चूड़ा कर्म, अन्नप्राशन, उपनयन जैसे शुभ संस्कार इस तिथि समय पर किए जाते हैं ।

सप्तमी की दिशा वायव्य मानी गयी है ।

सप्तमी तिथि को ताड़ के फल का सेवन नहीं करना चाहिए । माना जाता है कि सप्तमी को ताड़ का सेवन करने से रोग बढ़ते है ।

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  • नक्षत्र (Nakshatra) – मृगशिरा 21.54 PM तक तत्पश्चात आद्रा
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –  मृगशिरा नक्षत्र के देवता ‘चंद्र देव’ एवं नक्षत्र स्वामी: ‘मंगळ देव’ जी है ।

नक्षत्रों के गणना क्रम में मृगशिरा नक्षत्र का स्थान पांचवां है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल होने के कारण इस नक्षत्र में जन्मे जातको पर मंगल का प्रभाव अधिक रहता है। यह नक्षत्र एक हिरण के सिर जैसा प्रतीत होता है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष खैर तथा स्वाभाव शुभ माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र सितारा का लिंग तटस्थ है।

चन्द्रमा का असर होने के कारण इस राशि के जातक कल्पनाशील, भावुक, सौंदर्य प्रेमी, बुद्धिमान, परिश्रमी, उत्साहीऔर ज्ञानवान होते हैं।

लेकिन आप लोगो पर शक बहुत करते है, व्यापार में साझेदारी करने से इन्हे अधिकतर नुकसान ही उठाना पड़ता है । इस नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ हंसमुख, धनवान, जीवन साथी के प्रति समर्पित लेकिन उस पर हावी रहती है ।

मृगशिरा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, भाग्यशाली रंग, चमकीला भूरा, कत्थई रंग,  भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार का माना जाता है ।

मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चन्द्रमसे नम:” मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए ।

मॄगशिरा नक्षत्र के जातको को माँ पार्वती की आराधना अत्यंत शुभ फलदाई है ।  मॄगशिरा नक्षत्र के दिन चावल और दही के दान से भी इस नक्षत्र के अशुभ फलो को दूर किया जा सकता है ।

 अवश्य जानिए पितृ पक्ष में पित्तरों के निमित जो भी वस्तुएं उन्हे अर्पित की जाती है वह उन्हें उनकी योनि के हिसाब से किस रूप में प्राप्त होती है

नित्य गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है

  • योग :- व्यतिपात 1.27 PM तक तत्पश्चात 25 सितम्बर तक
  • योग के स्वामी :- व्यतिपात योग के स्वामी रूद्र देव जी एवं स्वभाव अशुभ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – बव 12.38 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – बालव 12.19 AM, 25 सितम्बर तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-   बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:11
  • सूर्यास्त – सायं 18:15
  • विशेष –  सप्तमी को ताड़ का सेवन नहीं करना चाहिए  । इस दिन ताड़ का सेवन करने से रोग लगते है । 
  • पर्व – त्यौहार-

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


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