Guru purnima ke upay, गुरु पूर्णिमा के उपाय, Guru purnima 2024,

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आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा, Guru Purnima कहते है। मान्यता है कि बिना गुरु के सद्गति नहीं मिलती है, जिसने गुरु दीक्षा नहीं ली है इस संसार रूपी सागर में उसकी नाव सदैव तुफानो में ही फंसी रहती है । उसको पूर्ण रूप से सुख की प्राप्ति नहीं होती है, जीवन में सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक, कोई ना कोई कमी लगी ही रहती है ।

इसलिए मनुष्य जीवन में गुरु का सनिग्ध्य पाना नितांत आवश्यक है। गुरु से मिलने के बाद ही उसे मानसिक शांति और आत्मिक संतोष की प्राप्ति होती है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों में गुरु को ईश्वर से भी ऊँचा स्थान दिया गया है। गुरु की आज्ञा सर्वोपरि माननी चाहिए, उन पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि वह भी आपका सच्चा मार्गदर्शक होता है ।

आषाढ़ पूर्णिमा ‘/ गुरु पूर्णिमा, Guru Purnima, 21 जुलाई दिन रविवार को मनाई जाएगी।

इस दिन संस्कृत के प्रकांड पंडित महर्षि वेद व्यास जी का जन्म दिवस भी मनाया जाता है, अत: आषाढ़ पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा, Vyas Purnima भी कहा जाता है । इन्होने विश्व प्रसिद्द महाभारत, 6 शास्त्रों एवं 18 पुराणों की रचना की थी।

इस लिए मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा, जानिए गुरु पूर्णिमा का महत्त्व,

महर्षि वेद व्यास जी ने वेदों को विभाजित किया, इसी कारण इनका नाम वेद व्यास प्रसिद्ध हुआ । शास्त्रों के अनुसार महाभारत ग्रंथ का लेखन भगवान् गणपति गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास से सुन सुनकर ही किया था।

शास्त्रों मेँ गुरु-महिमा का बहुत बखान किया गया है लेकिन वर्तमान समय मेँ इसका बहुत प्रचार करना उचित नहीँ है । क्योंकि आजकल बहुत से संत महात्मा लोग गुरु-महिमा / इस पवित्र नाम / पद के कारण अपना स्वार्थ भी सिद्ध करते हैँ । इसमेँ कलयुग की भी भूमिका है; क्योँकि शास्त्रों के अनुसार कलियुग का मित्र अधर्म है- ‘कलिनाधर्ममित्रेण’ (पद्मपुराण, उत्तर॰ 193 । 31) ।

गुरु पूर्णिमा के दिन इन ऋषियों के नामो का स्मरण करने से समस्त पापो का होगा नाश ,  

संत कबीर दास जी ने भी कहा है कि – ‘हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर॥’

अर्थात भगवान के रूठने पर तो गुरू की शरण में जाने पर हमारी रक्षा जो सकती है किंतु गुरू के रूठने पर संसार में कहीं भी शरण मिलना सम्भव नहीं है।

गुरु स्वयं अपनी बड़ाई नहीं करता है । यदि कोई गुरु स्वयं ही अपनी महिमा की बातेँ कहता है, अपनी कही हुई बातो का, अपनी पुस्तकोँ का प्रचार करता है तो वह फिर कैसे दूसरोँ का भला कर सकता है । यही कारण है कि आज कई जगहों में गुरुओं को भी संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा है । इस लिए अपना गुरु बनाते हुए इस बात का भी ध्यान अवश्य ही रखें ।

सच्चा गुरु सीधे आपके दिल में उतर जायेगा, आप उसके बारे में सोचना शुरू कर देंगे, उन का साथ, उनका स्पर्श, उनकी वाणी से आपका रोम रोम पुलकित हो जायेगा। आपके दिमाग से समस्त संशय, समस्त अंधकार गायब हो जायेगा, समस्त चिताएं छूमंतर होने लगेगी, आपके विचारों का दायरा बहुत ज्यादा बड़ जायेगा ।

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गुरु के महत्व के बारे में महान संत कबीर दास जी का एक दोहा बड़ा ही प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा था कि – 

गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥

हिन्दू धर्म शास्त्रों में संस्कृत के एक श्लोक में भी गुरु को परम ब्रह्म की उपमा दी गयी है –
गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरु: साक्षात्परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम:।।


अर्थात- गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शिव है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को हम प्रणाम करते है। वर्तमान युग में सच्चे, सदाचारी और अपने शिष्यों की निस्वार्थ भाव से कल्याण की भावना रखने वाले गुरु थोड़ा मुश्किल से मिलते हैं। सौभाग्शाली हैं वह लोग जिन्हें सच्चे गुरु मिले है । जानिए Guru purnima ke upay, गुरु पूर्णिमा के उपाय,

Guru purnima ke upay, गुरु पूर्णिमा के उपाय


* गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima)के दिन बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रांत: सूर्योदय से पूर्व जल में हल्दी, शहद, सफेद सरसों, नागरमोथा नामक वनस्पति व थोड़े से पीले फूल पानी में डालकर नहाना चाहिए।

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* गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के दिन भोजन में केसर का प्रयोग करें और स्नान के बाद नाभि तथा मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं।

* गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के दिन अपने गुरु के पास जाये उनको पुष्प भेंट करें उनका माल्यापर्ण करें, उन्हें अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य से फल, मिष्ठान, वस्त्र , और उपहार आदि अर्पित करके उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हुए उनका आशीर्वाद, उनकी कृपा दृष्टि अवश्य ही प्राप्त करें ।

* गुरु पूर्णिमा के दिन (Guru Purnima ke Din) अगर आपका कोई गुरु नहीं है तो अपने इष्ट देव को अपना गुरु मान के उनका पूजन कारण और प्रसाद चढ़ाएं।

* इस दिन हर मनुष्य को अपने गुरु को अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार कोई ना कोई उपहार, दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद अवश्य ही लेना चाहिए इससे वर्ष भर गुरु की कृपा से समस्त कार्य निर्विघ्न संपन्न होते है ।

* भगवान विष्णु इस जगत के पालनहार, समस्त ब्रह्मांड के गुरु हैं। इस दिन भगवान विष्णुजी का पूजन अवश्य ही करें और उनसे जीवन में कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें। गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के दिन भगवान विष्णु के चित्र के सामने या किसी भी मंदिर में गाय के घी का दीपक अवश्य ही जलाएं ।

* इस दिन भगवान श्री विष्णु जी को पीले पुष्प अर्पित करके पीले फलों एवं मिठाई का भोग लगाएं। भगवान विष्णु जी को तुलसी जी अबश्य अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं।

* गुरु पूर्णिमा के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें एवं पूजा करने के बाद अंत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।

* गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के दिन गुरु यंत्र बनवाकर उसे शुभ मुहूर्त में अपने घर पर स्थापित करें । नित्य गुरु यंत्र को प्रणाम करने, बृहस्पति देव के मन्त्र का जाप करने से जीवन में शुभता आती है भाग्य प्रबल होता है ।

बृहस्पति एकाक्षरी बीज मंत्र- ऊं बृं बृहस्पतये नम:।

बृहस्पति तांत्रिक मंत्र- ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।। का अधिक से अधिक जाप करें, इससे धर्म और ज्ञान की प्राप्ति होती है ।
इसके अलावा इस दिन गायत्री मंत्र ” ॐ भूर्भुव स्वः। तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात् “॥ का जाप करने से भी शुभ फल मिलता है, भाग्य मजबूत होता है ।

* इस दिन गाय की सेवा भी करनी चाहिए, गाय को गुड़ चना, हरा चारा खिलाने से परिवारिक सुख और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है , कार्यों में आ रही अड़चने दूर होती है ।

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* अपने व्यापार / कारोबार में तेजी लाने के लिए समस्त संकटो को दूर करने के लिए इस दिन किसी गरीब असहाय को पीले अनाज, पीले वस्त्र, पीली मिठाई दक्षिणा के साथ दान करना चाहिए।

* इस दिन केले के एवं पीपल के वृक्ष की पूजा करें।

* इस दिन चाँदी का टुकड़ा अपने घर की भूमि में दबाएं । गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) से शुरू कर हर गुरुवार को चमेली के 9 फूल बहते हुए जल में प्रवाहित करना चाहिए।

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 आचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय

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