शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 30 सितम्बर 2023 का पंचांग

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 30 सितम्बर 2023 का पंचांग


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 30 सितम्बर 2023 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
    30 सितम्बर
     2023 का पंचांग, 30 September 2023 ka Panchang,
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
  • शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए

    शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती हैशनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।

* विक्रम संवत् 2080,
* शक संवत – 1945,
* कलि संवत 5124,
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – 
अश्विन माह,
* पक्ष – 
कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन,

शनिवार को शनि महाराज की होरा :-

प्रात: 6.13 AM से 7.12 AM तक

दोपहर 13.10 PM से 2.10 PM तक

रात्रि 20.09 PM से 9.10 PM तक

शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शनि देव के मन्त्र :-

ॐ शं शनैश्चराय नमः।

अथवा

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।।

इतने सारे कारण है जिसके कारण अक्षय तृतीया सबसे पुण्यदायक दिन माना गया है, अवश्य जानिए क्यों मनाया जाता है अक्षय तृतीया का पर्व,

  • तिथि (Tithi)- प्रतिपदा 12.21 PM तक तत्पश्चात द्वितीया
  • तिथि का स्वामी – प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी और द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्मा जी है ।

आज प्रतिपदा है । प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव हैं। प्रतिपदा को आनंद देने वाली कहा गया है।

अग्नि देव इस पृथ्वी पर साक्षात् देवता हैं, देवताओं में सर्वप्रथम अग्निदेव की उत्पत्ति हुई थी । ऋग्वेद का प्रथम मंत्र एवं प्रथम शब्द अग्निदेव की आराधना से ही प्रारम्भ होता है।

हिन्दू धर्म ग्रंथो में देवताओं में प्रथम स्थान अग्नि देव का ही दिया गया है। अग्नि देव सोने के भगवान के रूप में वर्णित है।

पुराणों में आठ दिशाओं के आठ रक्षक देवता हैं जिन्हें अष्ट-दिकपाल कहते हैं। इनमें दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) दिशा के रक्षक अग्निदेव हैं। इसीलिए अग्निदेव की प्रतिमा मंदिर के दक्षिण-पूर्वी कोण में स्थापित होती है।

पौराणिक युग में अग्नि देव के ऊपर अग्नि पुराण नामक एक ग्रन्थ भी रचित हुआ। अग्निदेव सब देवताओं के मुख हैं और यज्ञ में इन्हीं के द्वारा देवताओं को समस्त यज्ञ-वस्तु प्राप्त होती है।

अग्निदेव में प्रेम पूर्वक ‘‘स्वाहा‘‘ कहकर दी हुई आहुतियों को अग्नि देव अपनी सातो जिह्वाओं से ग्रहण करते है, इससे तीनो देव ब्रह्मा – विष्णु – महेश तथा समस्त देव स्वत: ही तृप्त हो जाते है ।

अग्नि देव की पत्नी का नाम स्वाहा हैं जो कि दक्ष प्रजापति तथा आकूति की पुत्री थीं। अग्निदेव की पत्नी स्वाहा के पावक, पवमान और शुचि नामक तीन पुत्र और पुत्र-पौत्रों की संख्या उनंचास है।

प्रतिपदा तिथि के दिन अग्नि देव के मन्त्र “ॐ अग्नये स्वाहा” का जाप अवश्य ही करें । शास्त्रों में अग्निदेव का बीजमन्त्र “रं” तथा मुख्य मन्त्र “रं वह्निचैतन्याय नम:” है।

शास्त्रों के अनुसार अग्नि देव की उपासना से धन, धान्य, यश, शक्ति, सुख – समृद्धि प्राप्त होती है, परिवारिक सुख मिलता है ।

अवश्य पढ़ें :- अक्षय तृतीया के दिन अवश्य ही करें ये बहुत ही छोटी सी खरीददारी, घर धन – धान्य से भरा रहेगा,

कैसा भी सिर दर्द हो उसे करें तुरंत छूमंतर, जानिए सिर दर्द के अचूक उपाय

आज पितृ पक्ष का पहला दिन, प्रतिपदा का श्राद्ध है । इस वर्ष 2023 में पितृ पक्ष Pitra Paksh / श्राद्ध पक्ष Shradh Paksh 29 सितम्बर से 14 अक्टूबर को अश्विन अमावस्या तक चलेंगे ।

पितृ पक्ष Pitra Paksh का हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व है। पितृ पक्ष में पित्तरों के लिये किया गया कर्म, श्राद्ध कर्म कहलाता है।

शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य पित्तरों के नाम पर श्राद्ध तथा पिण्डदान नहीं करता है उसे हिन्दु नहीं माना जा सकता है।

शास्त्रों में लिखा है कि “समयानुसार श्राद्ध Shradh, तर्पण Tarpan करने से कुल में कोई दुःखी नहीं रहता। पितरों की पूजा Pitron Ki Puja करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशु, सुख और धन-धान्य प्राप्त करता है।”

“देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्त्व है। देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी है।”

शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में हमारे पितृ, अपने लोक से धरती पर अपने अपने घरो में अपने परिजनों, वंशजो के निकट आते है और उनसे अपने प्रति श्राद्ध, तर्पण, ब्राह्मण भोजन, दान आदि की अपेक्षा करते है ।

पितृ पक्ष में पितृ गण तर्पण, श्राद्ध से जल और तिल पाकर तृप्त / प्रसन्न होकर करने वाले को आशीर्वाद देते है, उसके जीवन से सभी दुखो को दूर कर देते है ।

हिन्दु धर्म शास्त्रों में- वसु, आदित्य और रुद्र इन तीन देवताओं को क्रमशः पितृ, पितामह और प्रपितामह का पोषण प्रतिनिधि माना है। हमारे विवाह में भी गात्रोच्चारण में पितृ, पितामह, प्रपितामह इन तीनों का ही उल्लेख होता है।

हमारे पूर्वजों की मौत के बाद हमें उनकी आगे की यात्रा के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है, वे कहाँ, किस रूप में है, उन्होंने जन्म लिया है या नहीं, जन्म लिए है तो कहाँ किसी को कुछ भी पता नहीं होता है, लेकिन यह हमारा कर्तव्य है की हम उन्हें जीवित भी खुश रखें और उनकी मृत्यु के बाद भी।

Pitra Tarpan एक अद्भुत मौका है जिसमें हम मनुष्य देवताओं, हमारे आदि पितृ वसु, रुद्र और आदित्य, के माध्यम से चाहे हमारे पितृ कहीं भी किसी भी रूप में क्यों ना हो, उनको सूक्ष्म माध्यम से हमारे द्वारा किये गए श्राद्ध कर्म, तर्पण को पित्रों के पास उत्तम रूप मे पहुंचा देते हैं।

पितृ पक्ष में पितरो का श्राद्ध उनकी तिथि के अनुसार ही करें लेकिन पितृ पक्ष में  पितरों का तर्पण Pitron Ka Tarpan  नित्य प्रात: अनिवार्य रूप से करना चाहिए ।

राहुकाल में तर्पण, श्राद्ध वर्जित है अत: इस समय में उपरोक्त कार्य नहीं करने चाहिए ।

श्राद्ध, पिंड दान Pind Daan करते समय साफ हल्के पीले या सफ़ेद वस्त्र ही धारण करें, काले, लाल, नीले वस्त्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

जिन लोगो की कुंडली में पितृदोष है, जिनके जीवन में अस्थिरताएँ रहती है, बनते काम बिगड़ जाते है घर में रोग, कलह,आर्थिक संकट रहते है उन्हें पितृ पक्ष के इन विशेष दिनों का अवश्य ही लाभ उठाना चाहिए ।

पितृपक्ष में जातक पितरों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करके बड़ी ही आसानी से अपने पितृदोष pitrdosh को दूर कर सकता है । शास्त्रों के अनुसार पितृदोष pitrdosh दूर होते ही जीवन में सुख-शांति, धन समृद्धि, परिवारिक सुखों के योग प्रबल होते है ।


नक्षत्र (Nakshatra) – रेवती 21.08 PM तक तत्पश्चात अश्विनी

नक्षत्र के स्वामी :-       रेवती नक्षत्र का स्वामी बुद्धि के कारक बुध देव जी एवं इस  नक्षत्र के देवता “पूषा” हैं जो सूर्य भगवान का ही एक रूप है। 

रेवती नक्षत्र की गणना गंडमूल नक्षत्रों में की जाती है । इस नक्षत्र में जन्मे जातको को विष्णु भगवान की पूजा अवश्य करनी चाहिए ।

इन्हे नित्य विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से जीवन में श्रेष्ठ सफलता की प्राप्ति होती है ।

रेवती नक्षत्र का आराध्य वृक्ष महुआ और स्वभाव मृदु माना गया है ।

रेवती नक्षत्र में जन्म लेने वाले स्त्री और पुरुष दोनों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों के प्रति अधिक आकर्षण होता है। इनके दोस्तों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों की अच्छी संख्या होती है।

रेवती नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 5, भाग्यशाली रंग भूरा, और भाग्यशाली दिन शनिवार और गुरुवार होता है ।

रेवती नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को इस नक्षत्र देवता के नाममंत्र:- “ॐ रेवत्यै नमः”l मन्त्र की माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

अगर 50 की जगह 25, 60 की जगह 30 की उम्र चाहते है, जीवन में डाक्टर के पास ना जाना हो तो अवश्य करे ये उपाय   

  • योग (Yog) – ध्रुव 16.27 PM तक तत्पश्चात व्याघात
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-  ध्रुव योग की स्वामी भूमि एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – कौलव 12.21 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-   कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – तैतिल 22.57 PM तक तत्पश्चात गर
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है।
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:13 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18:09 PM
  • विशेष : प्रतिपदा के दिन कद्दू / पेठे का सेवन नहीं करना चाहिए, प्रतिपदा के दिन इनका सेवन करने से धन की हानि होती है


नवरात्री में माँ दुर्गा की स्वरूप कन्याओं की इस तरह से पूजा, अवश्य जानिए नवरात्री में कन्या पूजन की सही विधि

  • पर्व त्यौहार- पितृ पक्ष प्रारम्भ,
  • मुहूर्त (Muhurt) – प्रतिपदा का श्राद्ध

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

30 सितम्बर 2023 का पंचांग, 30 September 2023 ka panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, panchang, saturday ka panchang, shanivar ka panchang, Shaniwar Ka Panchag, shanivar ka rahu kaal, shanivar ka shubh panchang, आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, पंचांग, शनिवार का पंचांग, शनिवार का राहु काल, शनिवार का शुभ पंचांग, सैटरडे का पंचांग,

ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 94252 03501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)

दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद ।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Comment form message

Aacharya Mukti Narayan Pandey Adhyatma Jyotish paramarsh Kendra Raipur

रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 29 सितम्बर 2024 का पंचांग,

रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 29 सितम्बर 2024 का पंचांग, सोमवार का पंचांग शनिवार का पंचांग रविवार का पंचांग , Raviwar Ka Panchag, 29...