गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag, 7 सितम्बर 2023 का पंचांग,


गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag, 7 सितम्बर 2023 का पंचांग,

आप सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व की हार्दिक शुभकामनायें

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 7 सितम्बर 2023 का पंचांग,

बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

आज का पंचांग, aaj ka panchang, गुरुवार का पंचाग, Guruvar Ka Panchag,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,

7 सितम्बर 2023 का पंचांग, 7 September 2023 Ka Panchang,

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  • गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 7 सितम्बर 2023 का पंचांग,
  • दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
  • गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।

    गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
  • गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
    इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

    इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,
  • गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
    इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।

यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है।

अवश्य जानिए हनुमान जी के कितने भाई है, उनकी पत्नी और पुत्र का नाम क्या है, 

  • *विक्रम संवत् 2080,
  • * शक संवत – 1945,
    *कलि संवत 5124,
    * अयन – उत्तरायण,
    * ऋतु – वर्षा ऋतु,
    * मास – भाद्रपद माह
    * पक्ष – कृष्ण पक्ष
    *चंद्र बल – मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन ,

गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-

प्रात: 6.01 AM से 7.04 AM तक

दोपहर 13.21 PM से 2.24 PM तक

रात्रि 20.30 PM से 9.27 PM तक

जन्माष्टमी के दिन अवश्य जानिए अपने प्रभु के परिवार के बारे में, भगवान श्री कृष्ण की पटरानियाँ और उनकी कितनी संताने थी 

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आज गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा के समय दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली ( अंगूठे के बगल वाली उंगली ) के नीचे गुरु पर्वत और उस पूरी ऊंगली पर बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य ) I

गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

बृहस्पति देव के मन्त्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।

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  • तिथि (Tithi) :- अष्टमी 16.14 PM तक तत्पश्चात नवमी
  • तिथि का स्वामी – अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलनाथ जी और नवमी तिथि की स्वामी माँ दुर्गा जी है ।

आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महा पर्व है । वर्ष 2023 में जन्माष्टमी का पर्व दो दिन 6 और 7 सितम्बर को मनाया जा रहा है ।

शास्त्रों के अनुसार द्वापर युग में भाद्रपद माह के कृष्‍णपक्ष की अष्‍टमी तिथि में बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में रात्रि 12 बजे मथुरा नगरी में भगवान विष्णु ने कारागार में वासुदेव जी की पत्नी देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था।

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत बुधवार 6 सितंबर की दोपहर 3 बजकर 38 मिनट से हुई थी, जो आज गुरुवार 7 सितंबर शाम 4:15 तक रहेगी।

वहीं, अति शुभ रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत 6 सितंबर सुबह 9:20 से हुई थी, जो गुरुवार 7 सितंबर सुबह 10:25 तक रहेगा ।

अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र साथ ही बुधवार दिन के शुभ संयोग होने के कारण ज्यादातर गृहस्थ जीवन वाले लोगो ने जन्माष्टमी का व्रत 6 सितंबर के दिन रखा है लेकिन जो लोग बुधवार को इस ब्रत को नहीं रख पाएं है वह जन्माष्टमी के ब्रत को आज रख सकते है।

आज 7 सितंबर के दिन उदय तिथि में अष्टमी तिथि होने के कारण वैष्णव संप्रदाय, सन्यासी लोग जन्माष्टमी का व्रत आज करेंगे ।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात्रि में 12 बजे भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म कराया जाता है उसके बाद ही यह व्रत खोला जाता है ।

इसके लिए जन्माष्टमी की रात्रि 12:00 बजे खीरे को दो भागों में काटकर अलग किया जाता है। जिस प्रकार जन्म के समय बच्चों को गर्भनाल काटकर मां से अलग किया जाता है, इसलिए खीरा जन्माष्टमी पूजन में जरूर रखा जाता है।

जन्म के समय उनका दूध, दही, शुद्ध जल से अभिषेक किया जाता है ।

जन्म के पश्चात भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप ‘लड्डू गोपाल; को पालने वाला झूला झुलाया जाता है ।

जन्म के बाद प्रभु को पंचामृत में तुलसी डालकर ( भगवान श्री कृष्ण की पूजा बिना तुलसी के पूर्ण नहीं होती है) व माखन, मिश्री, चावल / सबुतदाने की खीर, पंजीरी, खीरा आदि का भोग लगाएं।

जन्माष्टमी का व्रत अनंत गुना पुण्यदायक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत रखे से हजारों-लाखों पाप नष्ट हो जाते है लेकिन एक जन्माष्टमी का व्रत हजार एकादशी व्रत के पुण्य के बराबर का माना है।

इस दिन सच्‍चे मन से व्रत करते हुए की गई कोई भी मनोकामना पूरी होती है। जन्माष्टमी में भगवान श्री कृष्ण का पूजन इस प्रकार करना चाहिए।

वैसे तो जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारत में हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत विशेषकर मथुरा, वृन्दावन, और गोकुल में इस पर्व की अलग ही धूम देखने को मिलती है।

 जन्माष्टमी के दिन प्रात: दक्षिणावर्ती शंख में दूध / जल भरकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें । इसके बाद यह उपाय हर गुरुवार को करें । इस उपाय को करने वाले जातक से मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इस उपाय को करने से समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती है ।

जन्माष्टमी के दिन घर, कारोबार में भगवान श्री कृष्ण को अति प्रिय मोर पंख अवश्य लेकर आएं । भगवन श्री कृष्ण को मोर पंख अति प्रिय है । मान्यता है कि जिस घर में जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को मोर पंख चढ़ाकर उसे घर में स्थापित किया जाता है उस घर में सुख – समृद्धि, कार्यो में सफलता खिंची चली आती है ।

जन्माष्टमी पर अवश्य जानिए भगवान श्री कृष्ण की नगरी, द्वारिका नगरी कहाँ थी, किसने बसाई, इसके शिल्पकार कौन थे, यह दिखती कैसी थी और यहाँ पर कौन कौन रहते है,

इस तरह से मनाएं जन्माष्टमी का पर्व जीवन में सुख समृद्धि की कभी नहीं होगी कोई कमी

  • नक्षत्र (Nakshatra) – रोहिणी 10.25 AM तक तत्पश्चात मृगशिरा
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –    रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रम्हा और स्वामी चंद्र देव जी है ।

रोहिणी नक्षत्र, नक्षत्रों के क्रम में चौथे स्थान पर है तथा चंद्रमा का केंद्र माना जाता है। ‘रोहिणी’ का अर्थ ‘लाल’ होता है।

इसे आकाश में सबसे चमकीले सितारों में से एक माना जाता है। यह 5 तारों का समूह है, जो धरती से किसी भूसा गाड़ी की तरह दिखाई देता है।

रोहिणी नक्षत्र का आराध्य वृक्ष जामुन और स्वभाव शुभ माना गया है ।

पुराण कथा के अनुसार रोहिणी चंद्र की सत्ताईस पत्नियों में सबसे सुंदर, तेजस्वी, सुंदर वस्त्र धारण करने वाली है। ज्यों-ज्यों चंद्र रोहिणी के पास जाता है, त्यों-त्यों उसका रूप अधिक खिल उठता है।

इस नक्षत्र के जातक पतले, मिलनसार, दृढ़ निश्चयी, बुद्धिशाली, यशवान, ललित कलाओं के प्रेमी, ईश्वर में आस्था रखने वाले, किन्तु झूठ बोलने वाले, स्वार्थी होते है।
रोहिणी नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ सुंदर, भाग्यशाली, पति से प्रेम करने वाली, माता-पिता की आज्ञाकारी, योग्य संतान वाली और ऐश्वर्यवान होती है।

रोहिणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 2, 3, 6 और 9, भाग्यशाली रंग सफेद, पीला और नीला तथा भाग्यशाली दिन शनिवार, शुक्रवार और बुधवार है।

आज रोहिणी नक्षत्र के बीज मंत्र “ऊँ ऋं ऊँ लृं” अथवा “ॐ रौहिण्यै नमः” l का 108 बार जाप करें इससे रोहिणी नक्षत्र को बल मिलेगा।

रोहिणी नक्षत्र में घी, दूध, का दान करना चाहिए।

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योग :- वज्र 10.02 PM तक तत्पश्चात सिद्धि

योग के स्वामी, स्वभाव :-    वज्र योग के स्वामी वरुण जी और स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।

प्रथम करण :- कौलव 16.14 PM तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-  कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है।

द्वितीय करण :- तैतिल

करण के स्वामी, स्वभाव :-  तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है।

  • दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:02
  • सूर्यास्त – सायं 18:36
  • विशेष – अष्टमी को नारियल का सेवन नहीं करना चाहिए, अष्टमी को नारियल का सेवन करने से बुध्दि का नाश होता है  । 
  • पर्व त्यौहार– श्री कृष्ण जन्माष्टमी
  • मुहूर्त (Muhurt) 

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 9425203501+07714070168 )

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