बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 6 सितम्बर 2023 का पंचांग,

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 6 सितम्बर 2023 का पंचांग,

आप सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व की हार्दिक शुभकामनायें


नन्द के आनंद भयो जय जशोदा लाल की, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की

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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए बुधवार का पंचांग, Budhvar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,


बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


6 सितम्बर 2023 का पंचांग, ( Panchang ), 6 September 2023 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

जन्माष्टमी पर अवश्य जानिए भगवान श्री कृष्ण की नगरी, द्वारिका नगरी कहाँ थी, किसने बसाई, इसके शिल्पकार कौन थे, यह दिखती कैसी थी और यहाँ पर कौन कौन रहते है,

अवश्य जानिए हनुमान जी के कितने भाई है, उनकी पत्नी और पुत्र का नाम,


बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इस उपाय से शरीर रहेगा निरोगी, शक्ति रहेगी भरपूर, बुढ़ापा पास भी नहीं आएगा, जानिए रोगनाशक दिव्य आहार,

* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

अवश्य पढ़ें :- इतने सारे कारण है जिसके कारण अक्षय तृतीया सबसे पुण्यदायक दिन माना गया है, अवश्य जानिए क्यों मनाया जाता है अक्षय तृतीया का पर्व,

*विक्रम संवत् 2080,
*शक संवत – 1945
*कलि संवत 5124
*अयन – उत्तारायण
*ऋतु – वर्षा ऋतु
*मास – भाद्रपद माह
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, कर्क, सिंह, वृश्चिक,धनु, मीन,

बुधवार को बुध की होरा :-

प्रात: 6.01 AM से 7.04 AM तक

दोपहर 13.22 PM से 2.25 PM तक

रात्रि 20.31 PM से 9.28 PM तक

बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।

ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

बुध देव के मन्त्र

“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा

“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”

अक्षय तृतीया के दिन इस वस्तु का दान करने, सेवन करने से समस्त पापो का होता है नाश,

  • तिथि (Tithi) – सप्तमी 3.37 PM तक तत्पश्चात अष्टमी
  • तिथि के स्वामी – सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव जी और अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है ।

सप्तमी के स्वामी भगवान सूर्य देव हैं। इस दिन आदित्यह्रदय स्रोत्र का पाठ अवश्य करें ।

सप्तमी के दिन भगवान सूर्य देव के मन्त्र “ॐ सूर्याय नम:”।। की एक माला का जाप अवश्य ही करें ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का भी दिन माना जाता है, जो समस्त संकटों का नाश करने वाली हैं। अत: इस दिन माँ काली की आराधना, स्मरण अवश्य करें ।

सप्तमी के दिन माँ काली जी के मन्त्र “ॐ क्रीं काल्यै नमः” का जाप करने से समस्त भय और संकट दूर होते है।  

इस तरह से मनाएं जन्माष्टमी का पर्व जीवन में लग जायेगा सुखो का अम्बार 

सूर्य ग्रहण के दिन भूल कर भी ना करें ये काम वरना बनते कार्यो में रुकावटों, धन हानि, झूठे मुकदमो का करना पड़ सकता है सामना,

जीवन में कैसी भी हो समस्या जन्माष्टमी के दिन अवश्य करें ये अचूक उपाय

नन्द के आनंद भयो जय जशोदा लाल की, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की ।।

आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महा पर्व है । शास्त्रों के अनुसार द्वापर युग में भाद्रपद माह के कृष्‍णपक्ष की अष्‍टमी तिथि में बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में रात्रि 12 बजे मथुरा नगरी में भगवान विष्णु ने कारागार में वासुदेव जी की पत्नी देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था।

वर्ष 2023 में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बुधवार 6 सितंबर एवं गुरुवार 7 सितंबर दोनों ही दिन मनाया जायेगा ।

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत बुधवार 6 सितंबर की दोपहर 3 बजकर 38 मिनट पर होगी, जो गुरुवार 7 सितंबर शाम 4:15 तक रहेगी।

वहीं, अति शुभ रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत 6 सितंबर सुबह 9:20 से होगी, जो गुरुवार 7 सितंबर सुबह 10:25 तक रहेगा ।

अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र साथ ही बुधवार दिन के शुभ संयोग में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 6 सितंबर के दिन रखना बहुत ही शुभ रहेगा। इसीलिए गृहस्थ जीवन वाले लोग जन्माष्टमी का व्रत 6 सितंबर के दिन रखेंगे।

वहीं, शास्त्रों के अनुसार, 7 सितंबर के दिन उदय तिथि में अष्टमी तिथि होने के कारण वैष्णव संप्रदाय, सन्यासी लोग जन्माष्टमी का व्रत करेंगे, लेकिन इस दिन मध्य रात में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं होगा 

इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कई दुर्लभ संयोग भी बन रहें है. इस दिन अति शुभ रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, इसमें सर्वार्थ सिद्धि योग तो पूरे दिन ही रहेगा ।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात्रि में 12 बजे भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म कराया जाता है उसके बाद ही यह व्रत खोला जाता है ।

इसके लिए जन्माष्टमी की रात्रि 12:00 बजे खीरे को दो भागों में काटकर अलग किया जाता है। जिस प्रकार जन्म के समय बच्चों को गर्भनाल काटकर मां से अलग किया जाता है, इसलिए खीरा जन्माष्टमी पूजन में जरूर रखा जाता है।

जन्म के समय उनका दूध, दही, शुद्ध जल से अभिषेक किया जाता है ।

जन्म के पश्चात भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप ‘लड्डू गोपाल; को पालने वाला झूला झुलाया जाता है ।

जन्म के बाद प्रभु को पंचामृत में तुलसी डालकर ( भगवान श्री कृष्ण की पूजा बिना तुलसी के पूर्ण नहीं होती है) व माखन, मिश्री, चावल / सबुतदाने की खीर, पंजीरी, खीरा आदि का भोग लगाएं।

जन्माष्टमी का व्रत अनंत गुना पुण्यदायक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत रखे से हजारों-लाखों पाप नष्ट हो जाते है लेकिन एक जन्माष्टमी का व्रत हजार एकादशी व्रत के पुण्य के बराबर का माना है।

इस दिन सच्‍चे मन से व्रत करते हुए की गई कोई भी मनोकामना पूरी होती है। जन्माष्टमी में भगवान श्री कृष्ण का पूजन इस प्रकार करना चाहिए।

वैसे तो जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारत में हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत विशेषकर मथुरा, वृन्दावन, और गोकुल में इस पर्व की अलग ही धूम देखने को मिलती है।

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को बांसुरी अर्पित करें । वास्तु शास्त्र अनुसार जिस घर में लकड़ी की बांसुरी होती है उस घर के लोगों पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है और घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती।

जन्माष्टमी के दिन घर, कारोबार में भगवान श्री कृष्ण को अति प्रिय मोर पंख अवश्य लेकर आएं । भगवन श्री कृष्ण को मोर पंख अति प्रिय है । मान्यता है कि जिस घर में जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को मोर पंख चढ़ाकर उसे घर में स्थापित किया जाता है उस घर में सुख – समृद्धि, कार्यो में सफलता खिंची चली आती है ।

जन्माष्टमी के दिन अवश्य जानिए अपने प्रभु के परिवार के बारे में, भगवान श्री कृष्ण की पटरानियाँ और उनकी कितनी संताने थी 

नक्षत्र (Nakshatra) – कृतिका 9.20 AM तक तत्पश्चात रोहिणी

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-     कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि देव और स्वामी सूर्य देव जी है, रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रम्हा और स्वामी चंद्र देव जी है ।

कृत्तिका नक्षत्र आकाश मंडल में तीसरा नक्षत्र है जो सात सितारों के एक समूह,आग को दर्शाता है और इसे शक्ति और ऊर्जा का अंतिम स्रोत माना जाता है।

यह नक्षत्र भगवान अग्नि देव द्वारा शासित है । कृत्तिका नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।

कृतिका नक्षत्र का तत्व अग्नी, आराध्य वृक्ष उंबर, औदुंबर और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।

कृत्तिका नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 2, 3 और 9, भाग्यशाली रंग पीला और लाल , भाग्यशाली दिन मंगलवार और रविवार होता है ।

कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज गायत्री मन्त्र “ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्॥” मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए इससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होती है।

कृत्तिका नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को गूलर के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और अपने घर अथवा मंदिर में गूलर के पेड को लगाकर उसकी सेवा करनी चाहिए ।

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  • योग (Yog) – हर्षण 22.26 PM तक तत्पश्चात वज्र
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-  हर्षण योग के स्वामी भग देव जी और स्वभाव श्रेष्ठ है ।
  • प्रथम करण : – बव 15.37 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – बालव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 6.01 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18.37 PM
  • विशेष –
  • सप्तमी तिथि को ताड़ के फल का सेवन नहीं करना चाहिए । माना जाता है कि सप्तमी को ताड़ का सेवन करने से रोग बढ़ते है।
  • पर्व त्यौहार- श्री कृष्ण जन्माष्टमी

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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