गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag, 28 सितम्बर 2023 का पंचांग;

गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag, 28 सितम्बर 2023 का पंचांग;

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 28 सितम्बर 2023 का पंचांग,

बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

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गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,

28 सितम्बर 2023 का पंचांग, 28 September 2023 Ka Panchang,

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  • गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 28 सितम्बर 2023 का पंचांग,
  • दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
  • गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।

    गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
  • गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
    इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

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  • गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
    इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।

यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है।

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  • *विक्रम संवत् 2080,
  • * शक संवत – 1945,
    *कलि संवत 5124,
    * अयन – उत्तरायण,
    * ऋतु – वर्षा ऋतु,
    * मास – भाद्रपद माह
    * पक्ष – शुक्ल पक्ष
    *चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ,

गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-

प्रात: 6.08 AM से 7.09 AM तक

दोपहर 13.15 PM से 2.15 PM तक

रात्रि 20.17 PM से 9.16 PM तक

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आज गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा के समय दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली ( अंगूठे के बगल वाली उंगली ) के नीचे गुरु पर्वत और उस पूरी ऊंगली पर बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य ) I

गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

बृहस्पति देव के मन्त्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।

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  • तिथि (Tithi) :- चतुर्दशी 18.49 PM तक तत्पश्चात पूर्णिमा
  • तिथि का स्वामी – चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी है ।

चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं।

अतः प्रत्येक मास की चतुर्दशी विशेषकर कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव जी की पूजा, अर्चना एवं रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, भक्तो के सभी संकट दूर होते है ।

चतुर्दशी तिथि में रात्रि में शिव मंत्र या जागरण करना बहुत उत्तम रहता है।

चतुर्दशी तिथि में जन्मा जातक समान्यता धर्मात्मा, धनवान, यशस्वी, साहसी, परिश्रमी तथा बड़ो का आदर सत्कार करने वाला होता है।

चतुर्दशी तिथि में जन्मे लोगों को क्रोध बहुत आता है। इस तिथि में जन्मे जातक साहसी और परिश्रमी होते हैं। इन लोगों को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है तभी इन्हे सफलता हाथ लगती है।

चतुर्दशी तिथि में जन्मे जातकों को नित्य भगवान शंकर की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

चतुर्दशी तिथि को समस्त संकटो से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र – ‘ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्” का जाप करना अत्यंत फलदाई रहता है ।

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भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनन्त चतुर्दशी कहा जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।

इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला 14 गांठ वाले सूत्र अनन्त सूत्र को बांधा जाता है। अनंत जिसका ना आदि हो और ना ही अंत हो, अर्थात वे ही भगवान श्री विष्णु जी है।

अनंत चतुर्दशी के दिन ही 10 दिवसीय गणेशोत्सव का समापन होता है, और इस दिन भगवान गणेश का विसर्जन भी किया जाता है । शास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु ने चौदह लोकों की रक्षा के लिये चौदह रूप का धारण किया था ।

इस दिन भगवान श्री विष्णु जी के अनंत रूप की पूजा करके, संकल्प लेकर 14 गांठ वाले सूत्र ( रेशमी / सूती धागे का ) को श्री विष्णु जी को समर्पित करके फिर पूजा के बाद उसे अपने हाथो मे बांधा जाता है ।

मान्यता है कि इस अनंत सूत्र को हाथो में बाँधने से समस्त संकटों का नाश होता है और सुख समृद्धि घर मे बनी रहती है । इसे पुरुषो को अपने दाएं हाथ और स्त्रियों को अपने बाएं हाथ में बांधना चाहिए ।

कहा जाता है कि जब पाण्डव धृत क्रीड़ा में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्त चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी।

धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदीके साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्त सूत्र धारण किया। अनन्त चतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए।

अनंत चतुर्दशी के दिन गुरुवार रहेगा, जोकि भगवान विष्णु का प्रिय दिन माना जाता है । अत: गुरुवार के दिन अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करना बहुत शुभ रहेगा । इसके अलावा इस दिन वृद्धि योग रहेगा और पूरे दिन रवि योग रहेगा।

इस दिन नमक को खाना वर्जित माना जाता है ।

  • नक्षत्र (Nakshatra) – पूर्व भाद्रपद
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –   पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं ।

नक्षत्रों की श्रेणी में पूर्वाभाद्रपद 25 वां नक्षत्र है। पूर्वाभाद्रपद का अर्थ है ‘पहले आने वाला भाग्यशाली पैरों वाला व्यक्ति’।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातक वाकपटु होते है उन्हें भाषण कला में निपुणता होती है ।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र तारे का लिंग पुरुष है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: आंबा, आम, तथा स्वाभाव उग्र होता है ।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 8, भाग्यशाली रंग स्लेटी, भाग्यशाली दिन शनिवार और बुधवार है ।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ अजैकपदे नमः” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के जातको को भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए। उन्हें भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए , इससे जीवन में सभी संकट दूर रहते है ।

इस नक्षत्र में जन्मे जातको को काले कपड़े एवं चमड़े से बनी वस्तुओं का प्रयोग करने से बचना चाहिए ।

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योग :- गण्ड 23. 55 PM तक तत्पश्चात वृद्धि

योग के स्वामी, स्वभाव :-   गण्ड योग के स्वामी अग्नि एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।

प्रथम करण :- वणिज 18.49 PM तक

करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है।

द्वितीय करण :- विष्टि

करण के स्वामी, स्वभाव :-  विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है।

  • दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:12
  • सूर्यास्त – सायं 18:11
  • विशेष – चतुर्दशी के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है ।
  • पर्व त्यौहार– अनंत चतुर्दशी
  • मुहूर्त (Muhurt) 

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 94252 03501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168 )

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