शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 3 मार्च 2023 का पंचांग,
आप सभी को आमलकी एकादशी या रंगभरी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं
गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग
शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 3 मार्च 2023 ka Panchang,
शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,
- Panchang, पंचाग, Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, शुक्रवार का पंचांग, Shukravar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,
3 मार्च 2023 का पंचांग, 3 March 2023 ka Panchang,
जीवन में सुख समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न,
- महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
आज का पंचांग, aaj ka panchang,
- दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
- *विक्रम संवत् 2079 ,
- * शक संवत – 1944,
*कलि संवत – 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – फाल्गुन माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ,
- तिथि, (Tithi) :- एकादशी 9.11 AM तक तत्पश्चात द्वादशी
- तिथि के स्वामी – एकादशी तिथि के स्वामी भगवान विश्वदेव जी और द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी है ।
आज अति पुण्यदायक आमलकी एकादशी / रंग भरी एकादशी है । इस बार आमलकी एकादशी / रंग भरी एकादशी 2 और 3 मार्च दोनों ही दिन है एकादशी तिथि 2 मार्च गुरुवार को प्रात: 6.42 AM से प्रारम्भ हो रही है जो 3 मार्च शुक्रवार 9.11 AM तक रहेगी ।
चूँकि आज 3 मार्च शुक्रवार को उदया तिथि के दिन एकादशी है इसलिए एकादशी का ब्रत आज 3 मार्च शुक्रवार को रखना ही श्रेयकर है ।
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी या रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
कहा जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन से ही होली के पर्व की शुरुआत हो जाती है, जो अगले 6 दिनों तक पूरे देश में बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है ।
मान्यता है कि इसी एकादशी के दिन भगवान शंकर विवाह के बाद माता पार्वती के साथ काशी पहुँचे थे और उनके स्वागत में काशीवासियों ने अबीर गुलाल उड़ाकर रंग खेला था इसी लिए इस एकादशी को रंग भरी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
इस एकादशी के दिन काशी में बाबा विश्वनाथ जी का भव्य श्रंगार किया जाता है जो केवल रंग भरी एकादशी, दीपावली. अन्नकूट और महाशिवरात्रि के दिन ही होता है ।
इस दिन भगवान भोलेनाथ जी अपनी प्रतिमाओं के साथ काशी भ्रमण में निकलकर जनमानस को आशीर्वाद देते है ।
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शास्त्रों के अनुसार इसी आँवला एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी ने सृष्टि की रचना के लिए भगवान ब्रह्मा जी और आँवले के वृक्ष को जन्म दिया था ।
आंवले के वृक्ष को भगवान श्री विष्णु जी ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है ।
मान्यता है कि इस एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने, विष्णु जी को आंवला अर्पित करने, आंवले का दान करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है अंत में विष्णु लोक की प्राप्ति होती है ।
नक्षत्र ( Nakshatra ) : पुनर्वसु 15.43 PM तक तत्पश्चात पुष्य
नक्षत्र के स्वामी :– पुनर्वसु नक्षत्र के देवता अदिति (पृथ्वी देवी), बृहस्पति, एवं नक्षत्र के स्वामी गुरु बृहस्पति जी है।
पुनर्वसु अर्थ पुन: शुभ या पुन: बसना होता है। पुनर्वसु नक्षत्र आकाश मंडल में 7वां नक्षत्र है।
यह मर्यादा पुरषोतम भगवान श्री राम जी का जन्म नक्षत्र है। मान्यता है कि पुनर्वसु जातक के यहा केवल पुत्र ही होता है।
पुनर्वसु प्रत्येक कार्य के शुभारम्भ के लिए, नयी शुरुआत के लिए श्रेष्ठ होता है।
पुनर्वसु नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: बांस / बांबू और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है ।
पुनर्वसु नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3, भाग्यशाली रंग, सुनहरा, भाग्यशाली दिन गुरुवार का माना जाता है ।
पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ आदित्याय नम:”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
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योग(Yog) :- सौभाग्य 18.45 PM तक तत्पश्चात शोभन
योग के स्वामी, स्वभाव :- सौभाग्य योग के स्वामी ब्रह्मा जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है।
प्रथम करण : – विष्टि 9.11 AM तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है।
द्वितीय करण :- बव 22.27 PM तक तत्पश्चात बालव
करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है।
- गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 से 12:00 तक।
- सूर्योदय -प्रातः 06:45
- सूर्यास्त – सायं : 18:22
- विशेष – एकादशी के दिन सेम फली, चावल का सेवन और दूसरो के अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन चावल खाने से रोग बढ़ते है और दूसरे का अन्न खाने से पुण्य नष्ट होते है ।
द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना निषिद्ध है। द्वादशी के दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दिन यात्रा करने से धन हानि एवं असफलता की सम्भावना रहती है। द्वादशी के दिन मसूर का सेवन वर्जित है।
- पर्व त्यौहार- रंग भरी एकादशी / आमलकी एकादशी
- मुहूर्त (Muhurt) –
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“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।3 मार्च 2023 2022 का पंचांग, 3 March 2023 ka Panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, friday ka panchang, panchang, shukrawar ka panchang, Shukravar Ka Panchang, shukrawar ka rahu kaal, shukrwar ka shubh panchang, आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, पंचांग, फ्राइडे का पंचांग, शुक्रवार का पंचांग, शुक्रवार का राहु काल, शुक्रवार का शुभ पंचांग,
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