रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 5 फरवरी 2023 का पंचांग,

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माघ माह की पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें

रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,

5 फरवरी 2023 का पंचांग, 5 February 2023 ka Panchang,

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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
5 फरवरी
 2023 का पंचांग5 February 2023 ka Panchang,

माघ पूर्णिमा के दिन ऐसा करने से होंगी सभी मनोकामनाएं पूरी,

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – माघ माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
* चंद्र बल – वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ,

  • तिथि (Tithi)- पूर्णिमा
  • तिथि के स्वामी :- पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रदेव जी है।

आज अति शुभ माघ माह की पूर्णिमा है । शास्त्रों में माघ माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व है, माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है बताया गया है ।

मान्यता है कि इस दिन स्वर्ग लोक से सभी देवतागण पृथ्वी लोक में भ्रमण करने आते है एवं मनुष्य रूप धारण करके तीर्थ राज प्रयागराज में स्नान, जप तप करते है । इसलिए जो भी मनुष्य इस दिन प्रात: सूर्योदय से पूर्ण संगम अथवा पवित्र नदी अथवा घर में जल में गंगा जल डाल कर स्नान करते है, दान, जप, तप करते है उन पर देवताओं की पूर्ण कृपा बरसती है ।

माघ माह में पड़ने वाले पर्वो जैसे मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी और माघी पूर्णिमा के दिन प्रयाग राज और पवित्र नदियों में स्नान करके लोग आस्था की डुबकी लगाते है ।

ज्योतिषों के अनुसार माघ मास स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप  है। कहते है कि यदि मनुष्य पूरे माघ माह में नियमपूर्वक स्नान ना कर पाया हो या उसने दान पुण्य नहीं किया हो तो भी माघी पूर्णिमा के दिन तीर्थ में स्नान करने, दान देने से संपूर्ण माघ मास के स्नान का पूर्ण फल प्राप्त होता है। 

प्रयागराज में हर साल माघ मेला लगता है, जिसे कल्पवास कहा जाता है । इस माघ मेले में देश-विदेश से लाखो की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं, इस कल्पवास का समापन भी माघ पूर्णिमा के दिन स्नान के साथ हो जाता है ।

आज रवि पुष्य नक्षत्र का निर्माण होने से इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है ।

पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें।

पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।

पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए। इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।

पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।

पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

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  • नक्षत्र (Nakshatra)-  –  पुष्य 12.13 PM तक तत्पश्चात अश्लेषा
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-  पुष्य नक्षत्र के देवता देव गुरु बृहस्पति और स्वामी शनि देव जी है।

आज अति शुभ रवि पुष्य नक्षत्र और माघ पूर्णिमा का अति पुण्य दायक संयोग है, पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रो का राजा भी कहते है, उसमें भी रवि पुष्य नक्षत्र एवं गुरु पुष्य नक्षत्र बहुत ही शुभ माने जाते है।

इस अवसर पर किया गया शुभ कार्य अति लाभ दायक, पुष्टिदायक और चिरस्थाई होता है। इस दिन किये गए कार्य निश्चय ही फलीभूत होते है ।

इस दिन प्रसन्न रहे शुभ वचन ही बोले, क्रोध और हिंसा बिलकुल भी ना करें ।

पुष्य नक्षत्र का नक्षत्र आराध्य वृक्ष: पीपलं तथा नक्षत्र का स्वाभाव शुभ माना जाता है।

पुष्य नक्षत्र के दिन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्त, श्री महा लक्ष्मी अष्टकम का पाठ करना अत्यंत पुण्य दायक माना जाता है ।

पुष्य नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8 और 2, भाग्यशाली रंग लाल, नीला, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और बुधवार होता है ।

पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ बृहस्पतये नम: “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – आयुष्मान 14.42 PM तक तत्पश्चात सौभाग्य
  • योग के स्वामी :-  शुभ योग की स्वामी माँ लक्ष्मी जी और स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है।
  • प्रथम करण : – विष्टि 10.44 AM
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है।
  • द्वितीय करण : – बव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है।
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 07:07
  • सूर्यास्त – सायं 18:03

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  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

  • अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, चतुर्दशी और  श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है।
  • पर्व त्यौहार- माघ माह की पूर्णिमा, पुष्य नक्षत्र

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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