रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 15 जनवरी 2023 का पंचांग,

रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 15 जनवरी 2023 का पंचांग,

आप सभी को मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनायें

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रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,

15 जनवरी 2023 का पंचांग, 15 January 2023 ka Panchang,

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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
15 जनवरी
 2023 का पंचांग15 January 2023 ka Panchang,

मकर संक्रांति के दिन करे ये उपाय, हर संकट हर बाधा का होगा निवारण, मिलेंगे मनवाँछित लाभ

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – माघ माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
* चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर

  • तिथि (Tithi)- अष्टमी 19.45 PM तक तत्पश्चात नवमी
  • तिथि के स्वामी :- अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और नवमी तिथि की स्वामी माँ दुर्गा जी है।

अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है।

 अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है।अष्टमी तिथि को भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है ।

अष्टमी तिथि जया तिथि कहलाती है। अष्टमी तिथि का नाम कलावती भी कहा गया है। मान्यता कि अष्टमी तिथि में किये गए कार्यो में सफलता मिलती है ।

अष्टमी तिथि को  पूजा में  भगवान शिव को नारियल का भोग अर्पित करें अथवा शिवजी भगवान के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद में नारियल का उपयोग करें लेकिन अष्टमी को नारियल का सेवन ना करें।

अष्टमी तिथि को ॐ नम: शिवाये मन्त्र का अधिक से अधिक जाप अवश्य करें ।

अष्टमी तिथि को दुर्गा जी की आराधना भी शुभ मानी गई है । अष्टमी तिथि में जन्मे जातकों को भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

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आज मकर संक्रांति का महा पर्व है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते है। सूर्य देव का उत्तरायण होना बेहद शुभ माना जाता है ।

इस वर्ष 2023 को भगवान सूर्य 14 जनवरी शनिवार को मकर राशि में रात्रि 2.53 बजे प्रवेश करेंगे।

चूँकि सूर्यास्त होने के बाद सूर्य का मकर राशि में परिवर्तन होगा इसीलिए इस वर्ष 2023 को मकर संक्रांति माघ माह की अष्टमी तिथि, 15 जनवरी रविवार को उदया तिथि में मनाई जाएगी ।

15 जनवरी को पूरे दिन ही मकर संक्रांति के पर्व का मान रहेगा। प्रात: से मध्याह्न तक का समय स्नान व दान के लिए विशेष पुण्य फलदायक रहेगा ।

मकर संक्रांति पर तिल-स्नान को अत्यंत पुण्यदायक बतलाया गया है। शास्त्रो के अनुसार इस दिन तिल – स्नान करने वाला मनुष्य सात जन्म तक आरोग्य को प्राप्त करता है, जातक रूपवान होता है उसे किसी भी रोग का भय नहीं होता है ।

आरोग्य की कामना करने वालें मनुष्य को चाहिए कि इस तिल का उबटन बना कर उसे पूरे शरीर पर लगाए फिर स्नान करे इससे पूरे वर्ष स्वास्थय लाभ मिलता है।

इस दिन तीर्थों, मन्दिर, देवालय में देव दर्शन, एवं पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है।

इस दिन प्रातः उगते हुए सूर्य को तांबे के लोटे के जल में कुंकुम, अक्षत, तिल तथा लाल रंग के फूल डालकर अध्र्य दें। अध्र्य देते समय “ऊँ घृणि सूर्याय नम:” मंत्र का जप जरुर करते रहें। इस प्रकार सूर्य को अध्र्य देने से मन की सभी इच्छाएँ अवश्य ही पूर्ण हो जाती है ।

शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन गुड़ एवं कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करना बहुत शुभ माना जाता है।

इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड़ और पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाने से भी भगवान सूर्यदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

विष्णु धर्मसूत्र के अनुसार मकर संक्रांति के दिन तिल का अधिक से अधिक प्रयोग करें, आरोग्य, सुख एवं समृद्धि के लिये तिल का प्रयोग….. ।

* स्नान से पहले तिल के तेल से मालिश करने,
* तिल का उबटन लगाने से समस्त पाप नष्ट होते है।
* मकर संक्रांति के दिन तिल के जल से स्नान करें
* पितरो की शांति हेतु तिल युक्त जल से उनका तर्पण करें,
* तिल का दान,
* तिल का भोजन करने से जीवन में सफलता के मार्ग खुलते है।

हमारे शास्त्रों के अनुसार इस दिन किए गए दान का सहस्त्रों गुना पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन कंबल, गर्म वस्त्र, घी, दाल-चावल की कच्ची खिचड़ी और तिल आदि का दान विशेष रूप से फलदायी माना गया है।

मकर संक्रांति के दिन साफ लाल कपड़े में गेहूं व गुड़ बांधकर किसी जरूरतमंद अथवा ब्राह्मण को दान देने से भी व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।

  • नक्षत्र (Nakshatra)-  – चित्रा 19.12 PM तक तत्पश्चात स्वाति
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-  चित्रा नक्षत्र के देवता विश्‍वकर्मा जी एवं चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव जी है।

चित्रा नक्षत्र नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 14 वां है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चित्रा नक्षत्र का शासक ग्रह चंद्रमा जी है।

यह एक मोती या उज्ज्वल गहने की तरह है जो चमकते प्रकाश सा हमारे भीतर की आत्मा का प्रतीक है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : बेल तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। चित्रा नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।

चित्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 5, 6 और 9, भाग्यशाली रंग, काला, भाग्यशाली दिन रविवार और बुधवार माना जाता है ।

चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चित्रायै नमः”l। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – सुकर्मा 11.51 AM तक तत्पश्चात धृति
  • योग के स्वामी :-  सुकर्मा योग के स्वामी इंद्र जी और स्वभाव शुभ माना जाता है।
  • प्रथम करण : – बालव 7.39 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है।
  • द्वितीय करण : – कौलव 19.45 PM तक तत्पश्चात तैतिल
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है।
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 07:15
  • सूर्यास्त – सायं 17:46

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  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

  • अष्टमी को नारियल का सेवन नहीं करना चाहिए, अष्टमी को नारियल का सेवन करने से बुध्दि का नाश होता है  ।
  • पर्व त्यौहार- मकर संक्रांति

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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वर्ष 2024 में किस दिन मनाएं मकर संक्रांति 14 जनवरी को या 15 जनवरी को, क्या है दान का सर्वश्रेष्ठ समय

ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय  9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )07714070168

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