गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag, 13 अक्टूबर 2022 का पंचांग,


गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag, 13 अक्टूबर 2022 का पंचांग,

गुरुवार का पचांग, श्री विष्णु जी सदा सहाय

करवा चौथ के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 6 अक्टूबर 2022 का पंचांग,

बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahasptivar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

आज का पंचांग, aaj ka panchang, गुरुवार का पंचाग, Guruvar Ka Panchag,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,

13 अक्टूबर 2022 का पंचांग, 6 October 2022 Ka Panchang,


  • गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 13 अक्टूबर 2022 का पंचांग,
  • दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
  • गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।

    गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
  • गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
    इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

    इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,
  • गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
    इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।

यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है।

एकादशी के इन उपायों से पाप होंगे दूर, सुख – समृद्धि की कोई कमी नहीं रहेगी  

  • तिथि (Tithi) :- चतुर्थी
  • तिथि का स्वामी – चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणपति जी है

आज संकष्टी चतुर्थी है । अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी तो पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना, संकष्टी चतुर्थी का व्रत जीवन के संकटो को दूर करके सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण करता है।

आज गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।

चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है, कार्यो में श्रेष्ठ सफलता मिलती है ।

चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है।

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आज करवा चौथ का पर्व है । हिन्दू धर्म विशेषकर उत्तर भारत में करवा चौथ का महत्व बहुत अधिक है ।

कार्तिक माह की कृष्ण चन्द्रोदय चतुर्थी के दिन पत्नियाँ अपने अखंड सौभाग्य की कामना और अपने पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का निर्जल व्रत रखती हैं।

यह व्रत पति पत्नी दोनों के लिए ही एक-दूसरे के प्रति नव प्रणय निवेदन, हर्ष, प्रसन्नता, अपार प्रेम एवं त्याग को लेकर आता है।

करवा चौथ के ब्रत में सौभाग्यवती स्त्रियां भगवान शिव-पार्वती, गणेश और चन्द्रमा का पूजन करती है, और सांयकाल करवा चौथ की कथा कहती – सुनती है।

इस दिन पत्नियाँ सुबह से निर्जल ब्रत रखती है जो रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद उसे अर्घ्य देकर चलनी के अंदर से अपने पति का चेहरा देखकर अपने पति के हाथो से पानी पीकर ही पूर्ण माना जाता है ।

इस दिन उगते हुए चन्द्रमा को जिसमे लालिमा रहती है जल देना ही श्रेयकर होता है ।

व्रत वाले दिन स्त्रियाँ प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन कर श्रंगार करके भगवान शिव-पार्वती के आगे माथा टेककर अपने लिए सौभाग्यवती बने रहने का आशीर्वाद मांगती है क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी भगवान को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था ।

उसके बाद अपनी सास द्वारा दी गयी सरगी के रूप में खाने की वस्तुओं जैसे फल, मिठाई आदि को व्रती महिलाएं प्रातः काल में तारों की छांव में ही ग्रहण कर लेती हैं। तत्पश्चात व्रत आरंभ होता है, जो रात्रि में चंद्रदेव के चलनी से दर्शन करके, उनकी पूजा आरती करके पूर्ण होता है ।

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  • नक्षत्र (Nakshatra) – कृतिका 18.41 PM तक तत्पश्चात रोहिणी
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –   कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि देव और स्वामी सूर्य देव जी है।

कृत्तिका नक्षत्र आकाश मंडल में तीसरा नक्षत्र है जो सात सितारों के एक समूह,आग को दर्शाता है और इसे शक्ति और ऊर्जा का अंतिम स्रोत माना जाता है।

यह नक्षत्र भगवान अग्नि देव द्वारा शासित है । कृत्तिका नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है। कृतिका नक्षत्र का तत्व अग्नी, आराध्य वृक्ष उंबर, औदुंबर और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।

कृत्तिका नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 2, 3 और 9, भाग्यशाली रंग पीला और लाल , भाग्यशाली दिन मंगलवार और रविवार होता है ।

कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज गायत्री मन्त्र “ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्॥” मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए इससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होती है।

कृत्तिका नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को गूलर के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और अपने घर अथवा मंदिर में गूलर के पेड को लगाकर उसकी सेवा करनी चाहिए ।

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शरद पूर्णिमा के दिन इस उपाय से जीवन भर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मिलेगी असीम कृपा,



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योग :- सिद्धि 13.55 PM तक तत्पश्चात व्यतिपात

योग के स्वामी, स्वभाव :- सिद्धि योग के स्वामी भगवान गणेश जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ है, व्यतिपात योग के स्वामी रूद्र देव जी एवं स्वभाव अशुभ माना जाता है।

प्रथम करण :- बव 14.29 PM तक

करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है।

द्वितीय करण :- बालव

करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है।

  • दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:20
  • सूर्यास्त – सायं 17:54
  • विशेष – एकादशी के दिन चावल और दूसरे का अन्न खाना मना है । एकादशी के दिन चावल खाने से रोग और पाप बढ़ते है, एकादशी के दिन दूसरे का अन्न खाने से समस्त पुण्यों का नाश हो जाता है।
  • पर्व त्यौहार– करवा चौथ
  • मुहूर्त (Muhurt) 

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168

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