बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 31 अगस्त 2022 का पंचांग,

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आप सभी को गणेश उत्सव / गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें


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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
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बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


31 अगस्त 2022 का पंचांग, ( Panchang ), 31 August 2022 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

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बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

आज गणेश उत्सव, गणेश चतुर्थी के दिन ऐसे करें गणपति जी की आराधना, कष्ट होंगे दूर, पूरी होगी सभी मनोकामना

*विक्रम संवत् 2079,
*शक संवत – 1944
*कलि संवत 5124
*अयन – उत्तारायण
*ऋतु – वर्षा ऋतु 
*मास – भाद्रपद माह
*पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ,

  • तिथि (Tithi)- चतुर्थी 15.22 PM तक तत्पश्चात पंचमी
  • तिथि के स्वामी – चतुर्थी तिथि के स्वामी गणपति गणेश जी और पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता जी है।

भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से 10 दिनों तक गणेश उत्सव Ganesh Utsav का पर्व पूरे धूम- धाम से मनाया जाता है। इन दस दिनों में विघ्नहर्ता भगवान गणपति जी की विशेष पूजा का विधान है।

गणेश पुराण के अनुसार गणेश उत्सव Ganesh Utsav / गणेश चतुर्थी Ganesh Chaturthi में भगवान गणपति जी की पूर्ण श्रद्धा से विधिपूर्वक पूजा करने से गणेश जी की अपने भक्तों के सारे कष्ट, अनेक सारे संकट हर लेते है उसकी समस्त मनोकामनाए पूर्ण करते है।

शास्त्रो के अनुसार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न में भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था । भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल में होने के कारण ही गणेश पूजा के लिये मध्याह्न ( दोपहर ) के समय को सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है।

गणेश चतुर्थी Ganesh Chaturthi के दिन बहुत से लोग अपने अपने घरों में भगवान गणेश जी Ganesh ji की नई मूर्ति को स्थापित करते हैं एवं अंतिम दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है।

गणेश जी की मूर्ति चित्र स्थापित करते समय नीचे लाल रंग का नया कपड़ा बिछाकर उस पर फूलो का आसान तैयार करें फिर उसके ऊपर गणपति जी की मूर्ति अथवा चित्र स्थापित करें । स्थापना / पूजा के दौरान “गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।

तत्पश्चात गणपित जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके, लड्डुओं या मोदक का भोग लगाकर फल, मिष्ठान, नारियल, पंचमेवा, घी, शहद, पान, कलावा अर्पित करें ।

चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है, कार्यो में श्रेष्ठ सफलता मिलती है ।

गणेश पूजा / स्थापना का शुभ मुहूर्त –

बुधवार, 31 अगस्त प्रात: 6 बजे से प्रात: 9 बजे तक

बुधवार, 31 अगस्त प्रात: 11 बजकर 24 मिनट से अपराह्न 01 बजकर 54 मिनट तक

विजय मुहूर्त-   2 बजकर 44 मिनट से 3 बजकर 34 मिनट तक

गणेश विसर्जन की तिथि – शुक्रवार 9 सितंबर 2022 को  अनंत चतुदर्शी के दिन

गणेश चतुर्थी को भूल कर भी “इस लिए ना करें चन्द्रमा के दर्शन”, अपयश, झूठा लांछन का करना पड़ सकता है सामना

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी जिसे गणेश चौथ या कलंक चतुर्थी भी कहते है इस दिन चंद्र देव का दर्शन करना बिलकुल मना है।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन भूल कर भी चन्द्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए क्योंकि इस द्दिन चंद्रमा के दर्शन करने से व्यक्ति के उपर भविष्य में कलंक या चोरी का इल्जाम लग सकता है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि भगवान श्री गणेश ही ने चंद्र देव अर्थात चन्द्रमा की गलती के कारण उन्हें शाप दिया था ।

स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने भी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन किये तो उन्हें भी कलंक का सामना करना पड़ा था ।

नक्षत्र (Nakshatra) – चित्रा

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-   चित्रा नक्षत्र के देवता विश्‍वकर्मा जी एवं चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव जी है ।   

चित्रा नक्षत्र नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 14 वां है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चित्रा नक्षत्र का शासक ग्रह चंद्रमा जी है। यह एक मोती या उज्ज्वल गहने की तरह है जो चमकते प्रकाश सा हमारे भीतर की आत्मा का प्रतीक है।

चित्रा नक्षत्र कलात्मकता, रचनात्मकता का प्रतीक है, इसीलिए इस नक्षत्र के लोग अपने क्षेत्र में बहुत ही प्रवीण होते है वह साधारण चीज़ को भी और भी अधिक खूबसूरत, विशेष बनाते है, उसके मूल्य को बढ़ा देते हैं।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : बेल तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। चित्रा नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।

चित्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 5, 6 और 9, भाग्यशाली रंग, काला, भाग्यशाली दिन रविवार और बुधवार माना जाता है ।

चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चित्रायै नमः”l। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

जीवन में किसी भी प्रकार के कलंक से बचने, चंद्रमा के दर्शन के दोष को दूर करने के लिए गणेश चतुर्थी के दिन अवश्य करें ये उपाय 

अवश्य पढ़ें :- चाहिए परिवार में सुख-समृद्धि, प्रेम और आरोग्य तो ऐसा होना चाहिए किचन का वास्तु, जानिए किचन के वास्तु टिप्स 

  • योग (Yog) – शुक्ल 22.48 PM तक तत्पश्चात ब्रह्म
  • प्रथम करण : – विष्टि 15.22 PM तक
  • द्वितीय करण : – बव
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 5.58 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18.44 PM
  • विशेष – चतुर्थी को मूली का सेवन नहीं करना चाहिए, चतुर्थी को मूली का सेवन करने से धन का नाश होता है।
  • पर्व त्यौहार- गणेश चतुर्थी Ganesh Chaturthi,

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 07714070168
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष  विशेषज्ञ ) 


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