आचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय जी के अनुसार आज सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 4 अप्रैल 2022 का पंचांग,



सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 4 अप्रैल 2022 का पंचांग,

4 अप्रैल 2022 का पंचांग, 4 April 2022 ka Panchang,

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4 अप्रैल 2022 का पंचांग, 4 April 2022 ka Panchang,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2022, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2078,
* शक संवत – 1943,
*कलि संवत 5123
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – चैत्र माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर ।

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  • तिथि (Tithi)- तृतीया 1.54 PM तक तत्पश्चात चतुर्थी
  • तिथि का स्वामी – तृतीया तिथि के स्वामी माँ गौरी, कुबेर देव जी और चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश है। 

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

नवरात्री के तीसरे दिन माँ दुर्गाजी की तीसरी शक्ति माँ चंद्रघंटा की उपासना की जाती है।

माँ चंद्रघंटा के मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र शोभामायन है, इसी लिए माता को चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। माँ का यह स्वरूप अत्यंत कल्याणकारी है। माँ चंद्रघंटा की पूजा से साधक का मणिपुर चक्र जाग्रत होता है।

माता के दस हाथ हैं, माँ के दसों हाथों में कमल, कमंडल, अस्त्र शास्त्र, खड्ग, बाण, तलवार, त्रिशूल आदि अस्त्र सुशोभित है हैं। माता के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। माँ चंद्रघंटा का वाहन सिंह है।

माँ चंद्रघंटा सम्पूर्ण जगत की भय, पीड़ा, और पापो का नाश करती हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मां चंद्रघंटा का एक बहुत प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है। पुराणों में भी इस मंदिर का उल्लेख किया गया है।

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  • नक्षत्र (Nakshatra)- भरणी 14.29 PM तक तत्पश्चात कृतिका
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-  भरणी नक्षत्र के देवता यमराज जी और नक्षत्र के स्वामी शुक्र जी है ।

भरणी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से दूसरा नक्षत्र है और त्रिकोण का प्रतीक है। यह नक्षत्र प्रकृति के स्त्री वाले पहलू को इंगित करता है।

भरणी नक्षत्र बलिदान, ईर्ष्या, सहनशीलता और शुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। यह संयम का एक सितारा माना जाता है और गर्भ का प्रतिनिधित्व करता है।

भरणी नक्षत्र सितारा का लिंग मादा है। भरणी नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आँवला और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।

भरणी नक्षत्र में पैदा होने वाले एक बड़े दिल वाले व्यक्ति माने जाते हैं, यह लोगो की बातो का बुरा नहीं मानते है। आपकी ताकत आपकी मुस्कुराहट है आप हमेशा शांत और प्रसन्न रहते हैं। आप ईमानदार है और सकारात्मक रहते है। इनका पारिवारिक जीवन सुखमय रहता है ।

भरणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, 3 और 12, भाग्यशाली रंग पीला, लाल, और हरा एवं भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार माना जाता है ।

भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को तथा सभी मनुष्यों को जिस दिन भारणी नक्षत्र हो उस दिन नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ यमाय् नमः” l मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए, इससे भारणी नक्षत्र के शुभ फल मिलते है ।

भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को भगवान शंकर जी की आराधना परम फलदाई है, इन्हे इस नक्षत्र के दिन महा मृत्युंजय मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

  अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 

  • योग(Yog) – विष्कम्भ 7.43 AM तक तत्पश्चात प्रीति
  • प्रथम करण : – गर 1.54 PM
  • द्वितीय करण : – वणिज
  • गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
  • विशेष – तृतीया को परवल नहीं खाना चाहिए, तृतीया को परवल खाने से शत्रुओं की वृद्धि होती है।
  • पर्व त्यौहार- नवरात्री का तीसरा दिन, माँ चंद्रघंटा की उपासना
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )
,9425203501+07714070168


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