शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 25 मार्च 2022 का पंचांग,

गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग
शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag,
25 मार्च 2022 का पंचांग, 25 March 2022 ka Panchang,
शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,
- Panchang, पंचाग, Panchang 2022, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, शुक्रवार का पंचांग, Shukravar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,

- महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
आज का पंचांग, aaj ka panchang,
- दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
- *विक्रम संवत् 2078 ,
- * शक संवत – 1943,
*कलि संवत – 5123
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – चैत्र माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन,
- अष्टमी 22.04 PM तक तत्पश्चात नवमी (Tithi)-
- तिथि के स्वामी – अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और नवमी तिथि की स्वामिनी माँ दुर्गा जी है।
अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है।
अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है।अष्टमी तिथि को भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है ।
अष्टमी तिथि जया तिथि कहलाती है। अष्टमी तिथि का नाम कलावती भी कहा गया है।मान्यता कि अष्टमी तिथि में किये गए कार्यो में सफलता मिलती है । लेकिन चैत्र महीने के दोनों पक्षों में पड़ने वाली अष्टमी तिथि शून्य कही गई है।
अष्टमी तिथि को पूजा में भगवान शिव को नारियल का भोग अर्पित करें अथवा शिवजी भगवान के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद में नारियल का उपयोग करें लेकिन अष्टमी को नारियल का सेवन ना करें।
अष्टमी तिथि को ॐ नम: शिवाये मन्त्र का अधिक से अधिक जाप अवश्य करें ।
अष्टमी तिथि को दुर्गा जी की आराधना भी शुभ मानी गई है । अष्टमी तिथि में जन्मे जातकों को भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
अष्टमी तिथि में किसी भी प्रकार की ललित कला और विद्याएं सीखना अत्यन्त शुभ माना गया है।
परिवार में सुख शांति चाहते है तो अवश्य ही करें ये उपाय,
नक्षत्र ( Nakshatra ) : मूल 16.07 PM तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा
नक्षत्र के स्वामी :– मूल नक्षत्र के देवता निॠति (राक्षस) एवं स्वामी केतु जी है ।
मूल नक्षत्र का नक्षत्र मंडल में 19वां स्थान है। ‘मूल’ का अर्थ ‘जड़’ होता है। ज्योतिष शास्त्र में गंडमूल नक्षत्र के अंतर्गत अश्विनी, रेवती, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र को रखा गया है।
ज्योतिषियों का मानना है कि अगर बच्चे का जन्म गंडमूल नक्षण में हो तब उस की शांति अवश्य करा लेनी चाहिए अन्यथा इसका अशुभ परिणाम प्राप्त होता है।
गंडमूल नक्षत्र में जन्म लेने पर भी अगर लड़के का जन्म रात में और लड़की का जन्म दिन में हो, तब मूल नक्षत्र का प्रभाव समाप्त हो जाता है। लेकिन यदि बच्चे का जन्म अगर मंगलवार अथवा शनिवार के दिन हुआ है तो इसके अशुभ प्रभाव बढ़ जाते हैं।
मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक को रविवार को छोड़कर सदैव या समय समय पर पीपल के वृक्ष में प्रसाद और जल चढ़ाते रहना चाहिए । मूल नक्षत्र सितारे का लिंग तटस्थ है।
मूल नक्षत्र का आराध्य वृक्ष साल और नक्षत्र का स्वभाव तीक्ष्ण माना गया है ।
मूल नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 7, भाग्यशाली रंग, सुनहरा और क्रीम, भाग्यशाली दिन शनिवार, मंगलवार और बुधवार का माना जाता है ।
मूल नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ निॠतये नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
योग(Yog) : वरीयान
प्रथम करण : – बालव 11.06 AM तक
द्वितीय करण :- कौलव 22.04 PM तक तत्पश्चात तैतिल
- गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 से 12:00 तक।
- सूर्योदय -प्रातः 06:20
- सूर्यास्त – सायं : 18:35
- विशेष – अष्टमी को नारियल का सेवन ना करें।
- पर्व त्यौहार-
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।25 मार्च 2022 2022 का पंचांग, 25 March 2022 ka Panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, friday ka panchang, panchang, shukrawar ka panchang, Shukravar Ka Panchang, shukrawar ka rahu kaal, shukrwar ka shubh panchang, आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, पंचांग, फ्राइडे का पंचांग, शुक्रवार का पंचांग, शुक्रवार का राहु काल, शुक्रवार का शुभ पंचांग
ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )9425203501+07714070168
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