शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 18 मार्च 2022 का पंचांग,
गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग
शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag,
18 मार्च 2022 का पंचांग, 18 March 2022 ka Panchang,
शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,
आप सभी को रंगो के पर्व होली की हार्दिक शुभकामनायें
- Panchang, पंचाग, Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, शुक्रवार का पंचांग, Shukravar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,

- महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
आज का पंचांग, aaj ka panchang,
- दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
- *विक्रम संवत् 2078 ,
- * शक संवत – 1943,
*कलि संवत – 5123
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – फाल्गुन माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन,
- पूर्णिमा 12.47 तक तत्पश्चात प्रतिपदा (Tithi)- नवमी
- तिथि के स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रदेव जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है ।
आज फाल्गुन माह की पूर्णिमा है । पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है।
पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें। पूर्णिमा को श्री सूक्त का, श्री महालक्ष्मी का पाठ करने से माँ लक्ष्मी की असीम कृपा मिलती है।
पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए। इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।
पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।
पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
परिवार में सुख शांति चाहते है तो अवश्य ही करें ये उपाय,
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सूर्यास्त के बाद होलिका दहन होता है। उसके अगले दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन लोग सुबह सूखे और गीले रंगों से होली खेलते हैं, जिसे धुलंडी कहते है।
होली दहन के दूसरे दिन, लोग विभिन्न रंगों के गुलाल या रंगीन पानी से एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते है। होली हर्ष – उल्लास का पर्व है, शास्त्रों के अनुसार होली खेलने से देवताओं के आशीर्वाद मिलता है, कुंडली के ग्रहो के दुष्प्रभाव दूर होते है।
होली के दिन रंग खेलने से पहले सबसे पहले भगवान को रंग अर्पित करके तत्पश्चात घर के बुजर्गो को रंग का टीका लगाकर उनका आशीर्वाद लेकर ही होली खेलना चाहिए ।
होली के दिन सभी मतभेदों को भुला कर प्रसन्न चित होकर एक दूसरे को रंग लगाना चाहिए, सभी गिले शिकवों को भुला देना चाहिए।
होली के ये उपाय बदल देंगे आपका जीवन, सभी सोचे हुए काम होंगे पूरे,
नक्षत्र ( Nakshatra ) : उत्तरा फाल्गुनी
नक्षत्र के स्वामी :– उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के देवता आर्यमन और स्वामी सूर्य, बुध देव जी है ।
आकाश मंडल में उत्तरा फाल्गुनी को 12 वां नक्षत्र माना जाता है। ‘उत्तरा फाल्गुनी’ का अर्थ है ‘बाद का लाल नक्षत्र’।
यह एक बिस्तर या बिस्तर के पिछले दो पाए को दर्शाता है जो आराम और विलासिता के जीवन का प्रतीक है।
यह नक्षत्र रोमांस, कामुक, ऐश्वर्य, रोमांच और अनैतिक आचरण को प्रदर्शित करता है। इस नक्षत्र काआराध्य वृक्ष : पाकड़ तथा स्वाभाव शुभ माना गया है।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर सूर्य और बुध का प्रभाव बना रहता है।
उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 12, भाग्यशाली रंग, चमकदार नीला, भाग्यशाली दिन बुधवार, शुक्रवार, और रविवार माना जाता है ।
उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ अर्यमणे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
सुख – सौभाग्य के लिए राशिनुसार खेलें होली, जानिए किस रंग से आपको होली खेलना बहुत ही शुभ रहेगा
योग(Yog) : गण्ड 23.15 PM तक तत्पश्चात वृद्धि
प्रथम करण : – बव 12.45 PM तक
द्वितीय करण :- बालव
- गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 से 12:00 तक।
- सूर्योदय -प्रातः 06:28
- सूर्यास्त – सायं : 18:31
- विशेष – पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।
- पर्व त्यौहार- होली
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।18 मार्च 2022 2022 का पंचांग, 18 March 2022 ka Panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, friday ka panchang, panchang, shukrawar ka panchang, Shukravar Ka Panchang, shukrawar ka rahu kaal, shukrwar ka shubh panchang, आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, पंचांग, फ्राइडे का पंचांग, शुक्रवार का पंचांग, शुक्रवार का राहु काल, शुक्रवार का शुभ पंचांग
ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )07714070168+9425203501
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