रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 2 नवम्बर का पंचांग 2025 का पंचांग,
आप सभी को तुलसी विवाह पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,
2 नवम्बर 2025 का पंचांग, 2 November 2025 ka Panchang,
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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।
रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
2 नवम्बर 2025 का पंचांग, 2 November 2025 ka Panchang,
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भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।
👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

* विक्रम संवत् – 2082, वर्ष
* शक संवत – 1947, वर्ष
* कलि संवत 5127, वर्ष
* कलयुग – 5127, वर्ष
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – कार्तिक माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
* चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ ,
रविवार को सूर्य देव की होरा :-
प्रात: 6.28 AM से 7.25 AM तक
दोपहर 01.03 PM से 01.55 PM तक
रात्रि 20.01 PM से 9.07 PM तक
रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।
सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
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सूर्य देव के मन्त्र :-
ॐ भास्कराय नमः।।
अथवा
ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
- तिथि (Tithi) – एकादशी 07.21 AM तक तत्पश्चात द्वादशी तिथि,
- तिथि के स्वामी :- एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी और द्वादशी तिथि के स्वामी भगवन श्री हरी विष्णु जी है ।
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आज सुबह 07.21 AM तक एकादशी तिथि है । शास्त्रों के अनुसार एकादशी तिथि भगवान श्री विष्णु जी को अति प्रिय है । एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी / श्री कृष्ण जी की आराधना की जाती है।
शास्त्रों के अनुसार एकादशी का ब्रत रखने वाला जातक भगवान विष्णु जी को बहुत प्रिय होता है ।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी के मन्त्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” अथवा ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। का आशिक से अधिक जाप करना चाहिए ।
एकादशी के दिन विष्णु जी की तुलसी जी अर्पित करके पूजा करनी चाहिए, लेकिन तुलसी जी को एकादशी के दिन नहीं वरन एक दिन पूर्व दशमी तिथि को ही तोड़ना चाहिए ।
एकादशी के दिन जल में आँवले का चूर्ण या आँवले का रस डाल कर स्नान करने से समस्त पापो का नाश होता है।
एकादशी के दिन रात्रि में भगवान विष्णु के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और एक दीपक ऐसा जलाएं जो रात भर जलता रहे।
एकादशी के दिन चावल और दूसरे का अन्न खाना मना है । एकादशी के दिन चावल खाने से रोग और पाप बढ़ते है, एकादशी के दिन दूसरे का अन्न खाने से समस्त पुण्यों का नाश हो जाता है ।
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आज अति पुण्यदायक तुलसी शालिग्राम जी के विवाह का शुभ अवसर है अर्थात तुलसी विवाह का पर्व है । शास्त्रो के अनुसार हर जातक को जीवन में एक बार तुलसी विवाह तो अवश्य ही करना चाहिए। इससे इस जन्म के ही नहीं वरन पूर्व जन्मो के पापो का भी नाश होता है, पुण्य संचय होते है।
तुलसी जी भगवान श्री विष्णु जी को अत्यंत प्रिय है । विष्णु जी की पूजा में तुलसी जी अनिवार्य रूप में होती है अर्थात तुलसी जी के बिना विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है ।
मान्यता है कि तुलसी की नित्य प्रात:, सांय पूजा अर्चना करने उनसे अपनी बात कहने से तुलसी के माध्यम से जातक की प्रार्थना भगवान श्री विष्णु तक अवश्य ही पहुँचती है, कहते है कि तो जातक तुलसी जी की आराधना करता है, भगवान किसी की बात सुनें या न सुनें, लेकिन तुलसी जी की के भक्तो की हर हाल में सुनते हैं।
तुलसा जी व शालिग्राम जी का विवाह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को ( कहीं कहीं देवोत्थान / देवप्रबोधिनी एकादशी को ) किया जाता है। देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु क्षीर सागर से जागते है और इसी दिन से समस्त मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाते है।
तुलसी विवाह / तुलसी पूजा करने से जातक को वियोग नहीं होता है, बिछुड़े / नाराज सगे संबंधी भी करीब आ जाते हैं।
तुलसी विवाह / तुलसी पूजा से जातक को इस पृथ्वी में सभी सुख प्राप्त होते है , उसके जीवन में कोई भी संकट नहीं आता है, उसे भगवान श्री विष्णु एवं तुलसी माँ की पूर्ण कृपा मिलती है ।
तुलसी विवाह में तुलसी जी का विवाह भगवान श्री विष्णु जी के स्वरुप शलिग्राम जी से किया जाता है ।
शालिग्राम को भगवान विष्णु का ही अवतार माना गया हैं। शालिग्राम नेपाल में गंडकी नदी के तल में पाए जाने वाले चिकने, अंडाकार, काले रंग के पत्थर को कहते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, एक बार तुलसी मां ने भगवान श्री विष्णु को श्राप से पत्थर बना दिया था, तुलसी जी के इस श्राप से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु ने शालिग्राम का अवतार लेकर तुलसी जी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी / द्वादशी तिथि को विवाह किया था ।
आज ॐ तुलसये नम: मन्त्र का अधिक से अधिक जप करना चाहिए, आज रविवार है रविवार को तुलसी जी तोडा नहीं जाता है इसलिए ना तो आज तुलसी जी पर जल चढ़ाएं और ना तुलसी जी के पत्तो को तोड़ें ।
आज तुलसी जी को लाल नई चुनरी अवश्य ही चढ़ाएं तुलसी जी की पूजा करने / तुलसी विवाह करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है ।

नक्षत्र :- पूर्वभाद्रपद 17.03 PM तक तत्पश्चात उत्तरा भाद्रपद।
नक्षत्र के स्वामी :- पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं।
नक्षत्रों की श्रेणी में पूर्वाभाद्रपद 25 वां नक्षत्र है। पूर्वाभाद्रपद का अर्थ है ‘पहले आने वाला भाग्यशाली पैरों वाला व्यक्ति’।
पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातक वाकपटु होते है उन्हें भाषण कला में निपुणता होती है ।
पूर्व भाद्रपद नक्षत्र तारे का लिंग पुरुष है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: आंबा, आम, तथा स्वाभाव उग्र होता है ।
इस नक्षत्र में जन्मे जातक आशावादी, ईमानदार, परोपकारी, मिलनसार, भरोसेमंद, धनवान और आत्मनिर्भर व्यक्ति होते हैं।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक विपरीत परिस्थितियों से घबराते नहीं है, वरन अपने सकारत्मक रवैये के कारण यह हर परिस्तिथि को अपने अनुकूल करने की क्षमता रखते है । सामान्यता यह छल कपट, बेईमानी और नकारात्मक विचारो से दूर रहते हैं।
पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 8, भाग्यशाली रंग स्लेटी, भाग्यशाली दिन शनिवार और बुधवार है ।
पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ अजैकपदे नमः” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।
पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के जातको को भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए। उन्हें भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए , इससे जीवन में सभी संकट दूर रहते है ।
इस नक्षत्र में जन्मे जातको को काले कपड़े एवं चमड़े से बनी वस्तुओं का प्रयोग करने से बचना चाहिए ।
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- योग (Yog) – व्याघात 23.11 PM तक तपश्चात हर्षण
- योग के स्वामी :- व्याघात योग के स्वामी वायु देव एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
- प्रथम करण : – विष्टि 07.31 AM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
- द्वितीय करण : – बव 18.24 PM तक तत्पश्चात बालव
- करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।।
- ब्रह्म मुहूर्त : 4.42 AM से 5.04 AM तक
- विजय मुहूर्त : 13.55 PM से 14.39 PM तक
- गोधूलि मुहूर्त : 17.35 PM से 18.01 PM तक
- अमृत काल :- अमृत काल 9.29 AM से 11.05 तक
- दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
- गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
- सूर्योदय – प्रातः 06:34
- सूर्यास्त – सायं 17:35
आँखों की रौशनी बढ़ाने, आँखों से चश्मा उतारने के लिए अवश्य करें ये उपाय - विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।
रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।
एकादशी के दिन सेम फली, चावल का सेवन और दूसरो के अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए ।
एकादशी के दिन चावल खाने से रोग बढ़ते है और दूसरे का अन्न खाने से पुण्य नष्ट होते है ।
द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना, मसूर का सेवन करना वर्जित है।
- पर्व त्यौहार- तुलसी विवाह
- मुहूर्त (Muhurt) –
एकादशी के इन उपायों से पाप होंगे दूर, सुख – समृद्धि की कोई कमी नहीं रहेगी
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।
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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )
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