सफ़ेद दाग के उपाय | सफ़ेद दाग के घरेलु उपचार

 सफ़ेद दाग के उपाय | सफ़ेद दाग के घरेलु उपचार

सफेद दाग ( safed dag ) (ल्यूकोडर्मा) एक स्किन / त्‍वचा रोग है। इस रोग से ग्रसि‍त होने पर रोगी के बदन पर विभिन्न स्‍थानों पर अलग-अलग आकार के सफेद दाग हो जाते हैं। शरीर पर सफेद दाग आ जाने पर ज्यादातर व्यकितयों के मन में हीन भावना उत्पन्न हो जाती है । समाज के लोग भी इसे एक कलंक के रूप में देखने लगते हैं । इस रोग से प्रभावि‍त लोगो में ज्‍यादातर लोगो के मन में यह बात घर कर जाती है कि ‍समाज ने उन्‍हें बहि‍ष्‍कृत कर दिया है उन्हें समाज के सामने नहीं जाना चाहिए , जबकि यह धारणा पूरी तरह से गलत है।

यह रोग ना केवल भारत में ही है वरन लगभग पूरे विश्व में इसके मरीज़ है । आज वि‍श्‍व में लगभग दो प्रति‍शत की आबादी इस रोग से प्रभावि‍त हैं, लेकि‍न भारत में तो और भी ज्यादा लगभग चार प्रतिशत लोग इस रोग से ग्रसित है । भारत में राजस्‍थान और गुजरात के कुछ भागों में लगभग पांच से आठ प्रति‍शत तक लोग इस रोग से ग्रस्‍त हैं।

सफ़ेद दाग ( safed dag ) वंशानुगत हो सकते है अथवा किसी प्रकार की एलर्जी से भी यह निकल आते है लेकिन ज्यादातर केसो में यह विरुद्ध आहार के कारण होते है । अर्थात बहुत से खाद्य पदार्थ एक साथ नहीं लेने चाहिए लेकिन भूलवश / अज्ञानता वश उनका सेवन करने से सफ़ेद दाग के होने की सम्भावना सबसे ज्यादा रहती है । जैसे कभी भी दूध , छाछ, लस्सी और दही के साथ मछली का सेवन नहीं करें । ना ही रबड़ी, मिठाई, दूध व दही का एक साथ सेवन करें। इनके एक साथ सेवन करने से यह रोग होने की बहुत ज्यादा सम्भावना होती है ।

कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि हम अपने शरीर के वेगो जैसे मल-मूत्र आदि को जबरन देर तक रोके रहते है इस कारण भी यह रोग पनप सकता है । अत:शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकलने से बिलकुल भी नहीं रोकना चाहिए । इसके अतिरिक्त त्वचा पर सस्ते निम्न श्रेणी के इत्र भी ना लगाएं। पसीने पर डीयो भी नही लगाना चाहिए ।

* बहुत ज्‍यादा गरिष्ठ भोजन (जिसे पचाने में समय लगे) जैसे उडद की दाल, मांस, मछली आदि का ज्यादा और साथ साथ सेवन नहीं करना चाहिए ।

* भोजन में बहुत अधिक खटाई, मिर्च मसाले, तेल और गुड आदि का का सेवन न करें। यह भी ध्यान रखे कि नमक का प्रयोग भी कम ही करना चाहिए ।

* भोजन में बहुत अधिक खटाई, मिर्च मसाले, तेल और गुड आदि का का सेवन न करें। यह भी ध्यान रखे कि नमक का प्रयोग भी कम ही करना चाहिए ।

* सफ़ेद दाग ( safed dag ) होने पर अदरक का सेवन बहुत ही उत्तम माना गया है । नियमित रूप से अदरख का जूस पीने से सफेद दाग में रक्तसंचार बढ़ता है । इसके अतिरिक्त सफ़ेद दाग पर नित्य अदरक का एक छोटा सा टुकड़ा रगड़ना चाहिए । इससे भी सफ़ेद दाग धीरे धीरे हल्के होकर गायब हो जाते हैं।

* ऎलोवेरा जेल को सफ़ेद दाग ( safed dag ) पर लगाने से त्वचा से यह दाग कुछ ही समय में गायब हो जाते है। सफ़ेद दाग होने पर आधा कप ऎलोवेरा जूस को भी सवेरे खाली पेट अवश्य ही पीना चाहिए ।

* सफ़ेद दाग ( safed dag ) के इलाज़ में बथुए के साग को भी बहुत कारगर माना गया है । रोजना किसी ना किसी रूप में बथुआ का सेवन करें । इसके अतिरिक्त बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग को धोना चाहिए ।

* कच्चे बथुआ के पत्तो से दो कप रस निकाल कर उसमें आधा कप तिल का तेल मिलाकर उसे धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल ही बचे तो उसे उतार कर किसी शीशी में भर लें। इसे नित्य लगाते रहें । इसके उपयोग से भी सफ़ेद दाग धीरे धीरे ठीक होने लगते है ।

* उडद की दाल को कुछ समय तक पानी में भिगोकर फिर उसे पीसकर सफेद दाग पर लगातार चार पाँच माह तक लगाने से भी सफ़ेद दाग में बहुत आराम मिलता है ।

* लहसुन और हरड़ का साथ सेवन करने से एवं लहसुन के रस में हरड को घिसकर कर उसका लेप करने से भी बहुत लाभ मिलता है ।

* सफ़ेद दाग ( safed dag ) का रोग होने पर अखरोट खूब खाने चाहिए । अखरोट के खाने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते है। वैसे भी अखरोट का पेड़ अपने आसपास की जमीन को काली कर देता है और त्वचा पर इसका बहुत ही जल्दी असर होता है ।

* सफेद दाग ( safed dag ) के लिये नीम प्रकृति का बहुत बड़ा वरदान है। कुष्ठ जैसे रोग का इलाज भी नीम से संभव है। नीम की पत्ती, फूल, निंबोली आदि सुखाकर उसे पीस लें फिर उसका नित्य सेवन करें ।
सफेद दाग वाले व्यक्ति को नीम का अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए । वह किसी भी तरह से नित्य नीम खायें, ज्यादा से ज्यादा नीम के पेड़ के नीचे रहे, सोये , अथवा अपने बिस्तर पर नीम की पत्तियों को बिछाकर सोयें फिर उन पत्तियों को सूखने पर उसे बदल दें।

* नीम बहुत अच्छा एंटीबायोटिक माना गया है। नीम के आसपास का वातावरण स्वच्छ रहता है। नीम की पत्तियों को जलाकर उसे पीस कर उसकी राख को नीम के तेल में ही मिलाकर सफ़ेद दाग पर लेप करने से भी शीघ्र ही त्वचा साफ होती है । नीम की पत्ती अथवा निम्बोली को पीसकर लगातार चालीस दिन तक सुबह खाली पेट उसका शरबत पियें तो सभी तरह के चर्म रोगो से मुक्ति मिलती है । नीम के रस में नीम की गोंद को पीस कर पीने से ना केवल सफ़ेद दाग वरन गलने वाला घातक कुष्ठ रोग भी ठीक हो जाता है।

* रात को तांबे के बर्तन में पानी को भर कर रखें और सुबह उठ कर खाली पेट पी लें । इसका नियमित सेवन करने से सफ़ेद दाग जड़ से निकल जाते हैं।

* सफ़ेद दाग ( safed dag ) पर तुलसी का तेल लगाने से दाग साफ होते हैं।

* एक मुट्ठी काले चने लगभग 150 मिली पानी में भिगो कर उसमे 2 चम्मच त्रिफला चूर्ण डाल कर उसे 24 घंटे ढक कर रख दे । 24 घंटे बाद वो चबा चबा कर खाये…. इससे सफ़ेद दाग ( safed dag ) जल्दी साफ होते है ।

इस साइट के सभी आलेख शोधो, आयुर्वेद के उपायों, परीक्षित प्रयोगो, लोगो के अनुभवों के आधार पर तैयार किये गए है। किसी भी बीमारी में आप अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य ही लें। पहले से ली जा रही कोई भी दवा बंद न करें। इन उपायों का प्रयोग अपने विवेक के आधार पर करें,असुविधा होने पर इस साइट की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी ।

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आचार्य मुक्ति नारायण पांडेय
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