सम्पूर्ण वास्तुशास्त्र

 सम्पूर्ण वास्तुशास्त्र

Sampurn Vastushastra ka mahtav

इस संसार में हर व्यक्ति चाहता है कि वह जीवन में खूब सफलता प्राप्त करें । उसे धन, यश, ऐश्वर्य, प्रसन्नता, अच्छा परिवार, अच्छा स्वास्थ्य सभी कुछ प्राप्त हो, इसके लिए वह दिन रात मेहनत करता है, सदैव प्रयत्नशील रहता है लेकिन फिर भी सभी को उपरोक्त सुख सुविधाओं की प्राप्ति नहीं ही होती है । कई बार जब बहुत जी तोड़ मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिलती है, जीवन में अस्थिरता रहती है या कोई ना कोई परेशानी लगी ही रहती है तो व्यक्ति निराश होने लगता है,

लेकिन इसका कारण उसके भवन, कार्यालय स्थल का वास्तु दोष हो सकता है । जी हाँ,जिस जगह हम अपने जीवन का अधिकांश, महत्वपूर्ण समय बिताते है अगर उसी में दोष है तो लाख चाह कर भी, बहुत प्रयास के बाद भी हमें अपने परिश्रम का श्रेष्ठ परिणाम मिलने में आशंका बनी रहती है ।

Kalash One Imageपहले समय में भवन की आयु न्यूनतम 100 वर्ष मानी जाती थी । भवन के स्वामी के पुत्र पौत्र आदि उसमे मिलकर लम्बे समय तक निवास करते थे , उस भवन के साथ लोगो की बहुत सी यादें जुड़ी होती थी और कोई भी व्यक्ति चाहे जितना भी संकट में क्यों ना हो वह उसको बेचने के बारे में सोचता भी नहीं था परन्तु यह बहुत ही खेद का विषय है कि आज वास्तु / ज्योतिष के अनुसार भवन की आयु घट कर लगभग 40 वर्ष ही रह गयी है

Kalash One Imageआज आपके बनाये हुए भवन में आपका पुत्र तो शायद आपके साथ रहे लेकिन आपके पौत्र पौत्रियां बड़े होते ही अपना नया ठिकाना ढूंढने लगते है उनकी भावनाएँ आपके बनाये हुए भवन के साथ जुड़ नहीं पाती है और यदि कोई भी आर्थिक संकट आया नहीं या परिवार में बटवारा हुआ तो सबसे पहले लोग अपना निवास ही बेचने लगते है। कुछ समय के बाद अपने बनाये हुए भवन में आप अकेले ही रह जाते है । इन सबका एक प्रमुख कारण वास्तु के नियमो की पूर्णतया अवहेलना करना है ।
ध्यान दीजिये यदि हमारा भवन वास्तु के अनुरूप है तो वहाँ पर ना केवल परस्पर प्रेम, हर्ष, उल्लास और निरोगिता ही रहेगी वरन वहाँ के निवासीयों के विद्धवान, संसकारी होने की भी बहुत सम्भावना बड़ जाती है। उन्हें जीवन में धन यश और सफलता की भी आसानी से प्राप्ति हो जाती है ।

Kalash One Imageयह ब्रह्माण्ड और हम सभी मनुष्य पंच तत्व से बने है। इन पंच तत्वों जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश का इस पूरी सृष्टि, समस्त जीवों पर गहन प्रभाव है। अगर इनका संतुलन बिगड़ा रहता है तो जीवन में सदैव परेशानियाँ बनी ही रहती है । लेकिन वास्तु द्वारा इन्ही पंच तत्वों जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश के बीच की परस्पर क्रिया को ध्यान में रखकर इस प्रकृति के साथ संतुलन बनाते हुए निश्चय ही श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ।Kalash One Imageवास्तु विज्ञानं भारत का अत्यंत प्राचीन ज्ञान है जिसकी हमारे ऋषि मुनियों ने अपने अथक प्रयास से मानव जीवन को सुगम बनाने के लिए रचना की है।

Kalash One Imageवास्तु ‘वस’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है वास करना । वास्तु का संस्कृत में अर्थ है मनुष्य एवं देवताओं का निवास स्थान ।

वास्तु केवल भवन निर्माण कला ही नहीं है वरन वास्तु में सम्पूर्ण देश, राज्य, नगर, भवन, हमारे बैठने ,सोने, खाना बनाने, भण्डारण, पूजा स्थल, स्नानघर आदि एवं निर्माण कार्यों में प्रयुक्त सभी सामग्रियाँ आती है ।
इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण है कि वास्तु के सिद्धांतों का पालन करके बनाये गए निर्माणों में धन यश एवं मनवांछित सफलता की अल्प प्रयासों से ही प्राप्ति हो जाती है ।
Kalash One Imageभारतीय शास्त्रों में प्रत्येक छोटे बड़े स्थान के देवता के रूप में वास्तुपुरुष को मान्यता दी गयी है । किसी भी भवन के निर्माण के समय वास्तु पुरुष की पूजा अनिवार्य मानी जाती है जिससे भवन के निवासियों को जीवन में सभी तरह के सुखों के साथ साथ धर्म, अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति हो।
प्रत्येक भवन में वास्तुपुरुष का अस्तित्वं माना जाता है । वास्तुपुरुष भवन में अपने हाथ पैरों को एक विशेष स्तिथि में मोड़कर उलटे लेते रहते है । भवन में वास्तु पुरुष का सर ईशान कोण एवं उनके पैर नैत्रत्य कोण में माने जाते है।


वास्तु दोष :- अगर आपके भवन में रहने वाले लोग बार बार बीमार पड़ते है, उस भवन में रहने वालो के बीच आये दिन कलह रहती है, पर्याप्त मेहनत के बावजूद भी धन की कमी रहती है, अनावश्यक खर्चो का सामना करना पड़ता है, बनते हुए कार्यों में अड़चने आ जाती है, संतान मनमाना कार्य करती है, भवन में रहने वाले तनाव में रहते है, भवन में भय लगना है, रात में बुरे बुरे सपने आते है, भवन के आसपास ऊळ्ळू या चिमगादड़ नज़र आते है तो आपके भवन में वास्तु दोष हो सकता है इसका तुरंत उपाय करें अन्यथा शायद जीवन भर पछताने के सिवाय कुछ भी हाथ ना लगे ।

यहाँ पर हमने अलग अलग विषयों पर सम्पूर्ण भवन, दुकान, कार्यालय आदि के वास्तु टिप्स / उपाय और बिना तोड़ फोड़ के वास्तु दोष निवारण के उपाय बताये है हमें आशा है की इन जानकारियों से आप अपने भवन, कार्य स्थल को वास्तु अनुरूप बना कर निश्चय ही श्रेष्ठ जीवन यापन कर सकेंगे ।


इस साइट पर हम वास्तु के कुछ बहुत ही आसान नियमों को बता रहे है जिनका पालन करके सभी मनुष्य अल्प प्रयासों से ही अपने जीवन के स्तर को अपनी क्षमताओं के अनुसार और भी ऊँचा उठा सकते है ।

आचार्य मुक्ति नारायण जी के अनुसार प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की आराधना, पंचामृत / दूध / जल से अभिषेक करने से संकट दूर होते है, समस्त सुख प्राप्त होते है ।
अपनी किसी भी जिज्ञासा ,
समस्या के समाधान ,श्रेष्ठ लाभ के यहाँ पर रजिस्टैशन करें ,हमसे जुड़ें हमारा ज्योतिष परामर्श निश्चय ही आपके
जीवन में सुखद परिवर्तन लेकर आयेगा ॥
आचार्य मुक्ति नारायण पांडेय
अध्यात्म ज्योतिष परामर्श कैद्र रायपुर छ्तीसगढ़
मोवोइल्स नंबर :9425203501+7000121183+07714070168


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