रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 22 सितम्बर 2024 का पंचांग,

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22 सितम्बर 2024 का पंचांग, 22 September 2024 ka Panchang,

अवश्य पढ़ें :-  मनचाही नौकरी चाहते हो, नौकरी मिलने में आती हो परेशानियाँ  तो अवश्य करें ये उपाय 

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

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22 सितम्बर 2024 का पंचांग
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जानिए नवरात्री में कन्या पूजन में माता के किन किन स्वरूपों की पूजा की जाती है

इस लक्ष्मी मंदिर में विश्व में सबसे ज्यादा सोना लगा है, जानिए कहाँ और कैसा है माँ लक्ष्मी का यह अद्भुत मंदिर,

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

घर पर कैसा भी हो वास्तु दोष अवश्य करें ये उपाय, जानिए वास्तु दोष निवारण के अचूक उपाय

रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

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जीवन में कैसी भी हो समस्या जन्माष्टमी के दिन अवश्य करें ये अचूक उपाय

*विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – वर्षा ऋतु,
* मास – अश्विनी माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
* चंद्र बल – वृषभ, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन,

रविवार को सूर्य देव की होरा :-

प्रात: 6.09 AM से 7.10 AM तक

दोपहर 01.14 PM से 2.14 PM तक

रात्रि 20.16 PM से 9.15 PM तक

रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।

सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

गणेश  उत्सव के दिन अवश्य जानें कैसे हुआ गणेश जी का अवतरण, कैसे गणेश जी का सर हाथी के सर में बदल गया, कैसे गणपति जी कहलाएं भगवान गजानन

अवश्य जानिए देव दीपावली किस दिन मनाई जाएगी, देव दीपावली क्यों मनाते है 

सूर्य देव के मन्त्र :-

ॐ भास्कराय नमः।।

अथवा

ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।

  • तिथि (Tithi) – पंचमी 15.43 PM तक तत्पश्चात षष्टी
  • तिथि के स्वामी :- पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता जी और षष्टी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी है ।

  • पञ्चमी तिथि के स्वामी नाग देवता और षष्टी तिथि के स्वामी भगवान शंकर के पुत्र भगवान कार्तिकेय जी है।
  • पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है। पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष दूर होता है, नाग के काटने का भय नहीं रहता है ।
  • पंचमी तिथि के समय भगवान शिव का पूजन शुभ माना गया है, मान्यता है कि भगवान शिव कैलाश में निवास करते हैं। पंचमी तिथि को शिवलिंग का जिस पर नाग बना हो दूध या पंचामृत से अभिषेक करने से नाग देवता प्रसन्न होते है।
  • पंचमी जब शनिवार के दिन होती है, तो वह मृत्युदा योग बनाती है। यह अशुभ योग माना गया है।
  • जब पंचमी तिथि गुरुवार के दिन होती है तो बहुत ही शुभ सिद्धिदा योग बनता है। शास्त्रों के अनुसार सिद्धिदा योग में किए गए कार्य श्रेष्ठ फल प्रदान करते है।
  • प्रत्येक पंचमी के दिन नागो के अति पवित्र और पुण्यदायक नामो 1. अनंत (शेषनाग ), 2. वासुकि, 3. तक्षक, 4. कर्कोटक, 5. पद्म, 6. महापद्म, 7. शंख, 8. कुलिक, 9. धृतराष्ट्र और 10. कालिया का उच्चारण करने से काल सर्प दोष दूर होता है, कोई भी भय निकट नहीं रहता है, बल और साहस की प्राप्ति होती है ।
  • पंचमी को नागो के पौराणिक नाम “अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटल, पिंगल” का कम से कम 11 बार उच्चारण अवश्य ही करें।
  • हिन्दू पंचांग के अनुसार पंचमी  तिथि को  बसंत पंचमी,  रंग पंचमी, विवाह पंचमी, नाग पंचमी, ऋषि पंचमी, सौभाग्य पंचमी आदि कई शुभ पर्व आते है ।
  • पंचमी तिथि पूर्णा तिथियों की श्रेणी में आती है, इस तिथि में समस्त शुभ कार्य सिद्ध होते हैं, किन्तु पंचमी तिथि को कर्ज नहीं देना चाहिए।  
  • पंचमी को बेल खाना निषेध है, मान्यता है कि पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।  
  • इस तिथि का नाम यशोबला भी है, क्योंकि इस दिन भगवान श्री विष्णु जी / भगवान श्रीकृष्ण जी का आंवले, इलाइची, पीले फूलो से पूजन करने से यश,  बल और साहस की प्राप्ति होती है।  

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चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है

  • नक्षत्र (Nakshatra) – कृतिका 23.02 PM तक तत्पश्चात रोहिणी
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-         कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि देव और स्वामी सूर्य देव जी है । ।

कृत्तिका नक्षत्र आकाश मंडल में तीसरा नक्षत्र है जो सात सितारों के एक समूह,आग को दर्शाता है और इसे शक्ति और ऊर्जा का अंतिम स्रोत माना जाता है। यह नक्षत्र भगवान अग्नि देव द्वारा शासित है ।

 कृत्तिका नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है। कृतिका नक्षत्र का तत्व अग्नी, आराध्य वृक्ष उंबर, औदुंबर और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।

कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातक तेजस्वी, सुन्दर, महत्वाकांक्षी, गुणवान, आत्मवश्वासी एवं धर्म पर पूर्ण विश्वास रखने वाले होते हैं। कृतिका नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति विलासता जीवन जीने में विश्वास रखता हैं। यह बड़ी ही आसानी से विपरीत लिंग को आकर्षित कर लेते हैं। इनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।

इनकी सबसे बड़ी कमजोरी इनका जिद्दीपन है और यह कई बार बहुत ही जल्दी लड़ने पर भी उतारू हो जाते है ।

कृत्तिका नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 2, 3 और 9, भाग्यशाली रंग पीला और लाल , भाग्यशाली दिन मंगलवार और रविवार होता है ।

कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज गायत्री मन्त्र  “ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्॥” मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए इससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होती है।

कृत्तिका नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को  गूलर के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और अपने  घर अथवा मंदिर में गूलर के पेड को लगाकर उसकी सेवा करनी चाहिए ।

क्या आप जानते है कि गणेश जी का दाँत कैसे टूटा था, चारो युग में गणेश जी के कौन कौन से वाहन है, अवश्य जानिए गणपति जी के बारे में विशेष बातें


घर के बैडरूम में अगर है यह दोष तो दाम्पत्य जीवन में आएगी परेशानियाँ, जानिए बैडरूम के वास्तु टिप्स

  • योग (Yog) – हर्षण 8.18 AM तक तत्पश्चात वज्र 5.28 AM, 23 सितम्बर तक
  • योग के स्वामी :-     हर्षण योग के स्वामी भग देव जी और स्वभाव श्रेष्ठ है ।
  • प्रथम करण : – तैतिल 15.43 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – गर 2.41 AM 23 सितम्बर तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:10
  • सूर्यास्त – सायं 18:17

    आँखों की रौशनी बढ़ाने, आँखों से चश्मा उतारने के लिए अवश्य करें ये उपाय

  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

  • पंचमी तिथि को बेल का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि पंचमी को बेल का सेवन करने से अपयश मिलता है।
  • पंचमी तिथि को कर्ज भी नहीं देना चाहिए, पंचमी को कर्ज देने से धन डूब जाता है तथा धन के आगमन में भी रुकावटें आने लगती है ।
  • पर्व त्यौहार-
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

मित्रो हम इस साईट के माध्यम से वर्ष 2010 से निरंतर आप लोगो के साथ जुड़े है। आप भारत या विश्व के किसी भी स्थान पर रहते है, अपने धर्म अपनी संस्कृति को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए www.memorymuseum.net के साथ अवश्य जुड़ें, हमारा सहयोग करें ।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

22 सितम्बर 2024 का पंचांग, 22 September 2024 ka panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, panchang, Ravivar Ka Panchang, ravivar ka rahu kaal, ravivar ka shubh panchang, sunday ka panchang, Sunday ka rahu kaal, आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, पंचांग, रविवार का पंचांग, रविवार का राहु काल, रविवार का शुभ पंचांग, संडे का पंचांग, संडे का राहुकाल,

ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)

दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद ।

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 21 सितम्बर 2024 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 21 सितम्बर 2024 का पंचांग,


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 21 सितम्बर 2024 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )

    21 सितम्बर
     2024 का पंचांग, 21 September 2024 ka Panchang,
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।

* विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1945,
* कलि संवत 5124,
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – वर्षा ऋतु,
* मास – 
अश्विन माह,
* पक्ष – 
कृष्ण पक्ष,
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ,

शनिवार को शनि महाराज की होरा :-

प्रात: 6.09 AM से 7.09 AM तक

दोपहर 1.14 PM से 2.15 PM तक

रात्रि 20.16 PM से 9.16 PM तक

शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

जीवन में किसी भी प्रकार के कलंक से बचने, चंद्रमा के दर्शन के दोष को दूर करने के लिए गणेश चतुर्थी के दिन अवश्य करें ये उपाय

शनि देव के मन्त्र :-

ॐ शं शनैश्चराय नमः।

अथवा

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।।

  • तिथि (Tithi)- चतुर्थी 18.13 PM तक तत्पश्चात पंचमी ।
  • तिथि का स्वामी – चतुर्थी तिथि के स्वामी विघ्हर्ता गणेश जी और पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता ही है ।

आज संकट चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी  है । प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकट चतुर्थी कहते है।

इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना, संकट चतुर्थी का व्रत सभी प्रकार के संकटो से रक्षा होती है।

अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी तो पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का दिन, उस दिन के चन्द्रोदय के आधार पर निर्धारित किया जाता है। जिस चतुर्थी तिथि के दिन चन्द्र उदय होता है, संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी उसी दिन रखा जाता है।

संकष्टी चतुर्थी के दिन शाम को चंद्रोदय के बाद गणेश जी और चंद्र देव जी की पूजा की जाती है   ।  यदि उस दिन  बादल के कारण  चन्द्रमा नहीं दिखाई देता है तो, पंचांग के अनुसार चंद्रोदय के समय में पूजा कर लेना चाहिए ।

आज गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।

चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है ।

चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है

चतुर्थी तिथि को रिक्ता तिथि कहते है इस दिन शुभ कार्यो का प्रारम्भ शुभ नहीं समझा जाता है ।

किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है, और चतुर्थी को बैगन खाने से रोग बढ़ते है  ।

अवश्य पढ़ें :- जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा रहना चाहिए आपका बाथरूम, अवश्य जानिए बाथरूम के वास्तु टिप्स

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कैसा भी सिर दर्द हो उसे करें तुरंत छूमंतर, जानिए सिर दर्द के अचूक उपाय

नक्षत्र (Nakshatra) – भरणी 12.36 AM, 22 सितम्बर तक

नक्षत्र के स्वामी :-        भरणी नक्षत्र के देवता यमराज जी और नक्षत्र के स्वामी शुक्र जी है ।

भरणी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से दूसरा नक्षत्र है और त्रिकोण का प्रतीक है। यह नक्षत्र प्रकृति के स्त्री वाले पहलू को इंगित करता है।

भरणी नक्षत्र बलिदान, ईर्ष्या, सहनशीलता और शुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। यह संयम का एक सितारा माना जाता है और गर्भ का प्रतिनिधित्व करता है। भरणी नक्षत्र सितारा का लिंग मादा है। 

भरणी नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आँवला और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।

भरणी नक्षत्र में पैदा होने वाले एक बड़े दिल वाले व्यक्ति माने जाते हैं, यह लोगो की बातो का बुरा नहीं मानते है। आपकी ताकत आपकी मुस्कुराहट है आप हमेशा शांत और प्रसन्न रहते हैं। आप ईमानदार है और सकारात्मक रहते है। इनका पारिवारिक जीवन सुखमय रहता है ।

भरणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, 3 और 12, भाग्यशाली रंग पीला, लाल, और हरा एवं भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार माना जाता है । 

भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को तथा सभी मनुष्यों को जिस दिन भारणी नक्षत्र हो उस दिन नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ यमाय् नमः” l  मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए, इससे भारणी नक्षत्र के शुभ फल मिलते है ।  

भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को भगवान शंकर जी की आराधना परम फलदाई है, इन्हे इस नक्षत्र के दिन महा मृत्युंजय मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

गणेश उत्सव, गणेश चतुर्थी के दिन ऐसे करें गणपति जी की आराधना, स्थापना,  कष्ट होंगे दूर, पूरी होगी सभी मनोकामना  

अगर 50 की जगह 25, 60 की जगह 30 की उम्र चाहते है, जीवन में डाक्टर के पास ना जाना हो तो अवश्य करे ये उपाय   

  • योग (Yog) – व्याघात 11.36 AM तक तत्पश्चात हर्षण
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-  व्याघात योग के स्वामी वायु देव एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – बव 7.40 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – बालव 18.13 PM तक तत्पश्चात कौलव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:09 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18:19 PM
  • विशेष – चतुर्थी को मूली का सेवन नहीं करना चाहिए, चतुर्थी को मूली का सेवन करने से धन का नाश होता है  ।


अवश्य पढ़ें :-राशिनुसार इन वृक्षों की करें सेवा, चमकने लगेगा भाग्य,

  • पर्व त्यौहार- संकष्टी चतुर्थी
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

मित्रो हम इस साईट के माध्यम से वर्ष 2010 से निरंतर आप लोगो के साथ जुड़े है। आप भारत या विश्व के किसी भी स्थान पर रहते है, अपने धर्म अपनी संस्कृति को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए www.memorymuseum.net के साथ अवश्य जुड़ें, हमारा सहयोग करें ।

अगर नित्य पंचाग पढ़ने से आपको लाभ मिल रहा है, आपका आत्मविश्वास बढ़ रहा है, आपका समय आपके अनुकूल हो रहा है तो आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार कोई भी सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।

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आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
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दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद ।


Shukrwar ka panchag, शुक्रवार का पंचांग, 20 सितम्बर 2024 का पंचांग,


Shukrwar ka panchag, शुक्रवार का पंचांग, 20 सितम्बर 2024 का पंचांग,

गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग

शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 20 सितम्बर 2024 का पंचांग,

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    पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

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    20 सितम्बर 2024 का पंचांग20 September  2024 ka Panchang,

  • महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

  • ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥


आज का पंचांग, aaj ka panchang,

दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।

शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय 
“श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।

शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।

  • *विक्रम संवत् 2081,
  • * शक संवत – 1945,
    *कलि संवत – 5124
    * अयन – दक्षिणायन,
    * ऋतु – वर्षा ऋतु,
    * मास – अश्विन माह
    * पक्ष – कृष्ण पक्ष
    *चंद्र बल – मेष, मिथुन, कर्क, तुला,वृश्चिक, कुम्भ,

शुक्रवार को शुक्र देव की होरा :-

प्रात: 6.08 AM से 7.09 AM तक

दोपहर 1.15 PM से 2.15 PM तक

रात्रि 20.17 PM से 9.16 PM तक

 अवश्य जानिए पितृ पक्ष में पित्तरों के निमित जो भी वस्तुएं उन्हे अर्पित की जाती है वह उन्हें उनकी योनि के हिसाब से किस रूप में प्राप्त होती है

दाहिने हाथ के अंगूठे से नीचे के हिस्से ( शुक्र का स्थान ) और अंगूठे पर थोड़ा सा इत्र लगाकर, ( इत्र ना मिले तो उसके बिना भी कर सकते है) बाएं हाथ के अंगूठे से उस हिस्से को शुक्र की होरा में “ॐ शुक्राये नम:” या

‘ॐ द्रांम द्रींम द्रौंम स: शुक्राय नम:।’ मंत्र का अधिक से अधिक जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य )I

यह उपाय आप कोई भी काम करते हुए चुपचाप कर सकते है इसके लिए किसी भी विधि विधान की कोई आवश्यकता नहीं है I

सुख समृद्धि, ऐश्वर्य, बड़ा भवन, विदेश यात्रा, प्रेम, रोमांस, सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए शुक्रवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा में शुक्रदेव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शुक ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शुक्र देव के मन्त्र :-

ॐ शुं शुक्राय नमः।। अथवा

” ॐ द्राम द्रीम द्रौम सः शुक्राय नमः “।।

पितरो का पितृ पक्ष में ऐसे करें तर्पण, पितृ होंगे प्रसन्न, समस्त कार्यो में मिलेगी श्रेष्ठ सफलता

ऐसे करें होलिका दहन, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का होगा संचार, सभी कष्ट रहेंगे दूर, अवश्य जानिए होलिका दहन की विधि,

जरूर पढ़े :- एकादशी के इन उपायों से पाप होंगे दूर, सुख – समृद्धि की कोई कमी नहीं रहेगी,

  • नक्षत्र ( Nakshatra ) : अश्विनी 2.43 AM, 21 सितम्बर तक,

    नक्षत्र के स्वामी :–     अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनीकुमार जी,  नक्षत्र का  स्वामी ग्रह मंगल एवं अधिपति ग्रह केतु जी है ।।

    अश्विन नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से पहला नक्षत्र है और यह नक्षत्र अश्व मुख अर्थात घोड़े के सिर का प्रतीक है। अश्विनी नक्षत्र 3 तारो का समूह है जो अश्विनी नक्षत्र साहस, जीवन, और शक्ति का प्रतीक है।

    अश्विनी एक देवता नक्षत्र है जिसे अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह नाम अश्विनी-कुमारों से संबंधित है जो हिंदू देवता माने जाते हैं।

    अश्विनी नक्षत्र का लिंग पुरुष है। अश्विन नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कुचला और स्वभाव शुभ माना गया है । अश्विन नक्षत्र में जन्मे जातक समान्यता धनवान तथा भाग्यवान होते  है।  

    इस नक्षत्र में चन्द्र देव जी  के होने के कारण जातक को आभूषण से प्रेम रहता है एवं जातक सुन्दर, सुखी और सौभाग्यशाली होता है।

    मान्यता है कि इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक धन, स्त्री,आभूषण तथा पुत्रादि  का पूर्ण सुख प्राप्त करते है।  ऐसे जातक सक्रिय, उत्साही होते है यह अपने फैसलों पर दृढ़ रहते हैं।  

    अश्विनी नक्षत्र के जातको के लिए भाग्यशाली संख्या 2, 7 और 9, भाग्यशाली रंग पीला, मैरून, ऑरेंज, गुलाबी, एवं भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार होता है ।

    आज अश्विनी नक्षत्र के मंत्र “ॐ अश्विनी कुमाराभ्यां नमः” का 108 बार जाप करें इससे अश्विनी नक्षत्र को बल मिलेगा।  

पितृ पक्ष में तिथिनुसार इस तरह से पितरो के निमित घर पर कराएं  ब्राह्मण भोजन, पूरे वर्ष पितरो का मिलेगा आशीर्वाद

जरुर पढ़ें :- पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रो का राजा कहते है जानिए क्यों महत्वपूर्ण है पुष्य नक्षत्र,

  • “हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
    आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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    आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
    आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

    20 सितम्बर 2024 का पंचांग, 20 September 2024 ka Panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, friday ka panchang, panchang, shukrawar ka panchang, Shukravar Ka Panchang, shukrawar ka rahu kaal, shukrwar ka shubh panchang, आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, पंचांग, फ्राइडे का पंचांग, शुक्रवार का पंचांग, शुक्रवार का राहु काल, शुक्रवार का शुभ पंचांग,

    ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
    ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


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Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 19 सितम्बर 2024 का पंचांग,

Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 19 सितम्बर 2024 का पंचांग,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 19 September 2024 Ka Panchang,

बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

आज का पंचांग, aaj ka panchang, गुरुवार का पंचाग, Guruvar Ka Panchag,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,

19 सितम्बर 2024 का पंचांग, 19 September 2024 Ka Panchang,


  • गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 19 September 2024 का पंचांग,
  • दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
  • गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।

    गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
  • गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
    इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

    इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,
  • गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
    इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।

यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है

अवश्य जानिए हनुमान जी के कितने भाई है, उनकी पत्नी और पुत्र का नाम क्या है, 

  • *विक्रम संवत् 2081,
  • * शक संवत – 1945,
    *कलि संवत 5124,
    * अयन – दक्षिणायन,
    * ऋतु – वर्षा ऋतु,
    * मास – अश्विन माह
    * पक्ष – कृष्ण पक्ष
    *चंद्र बल – मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुम्भ, मीन,

गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-

प्रात: 6.08 AM से 7.09 AM तक

दोपहर 01.15 PM से 2.16 PM तक

रात्रि 20.18 PM से 9.17 PM तक

जीवन में स्थाई परिवारिक सुख, सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य के लिए पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय अवश्य ही करें ,जानिए पूर्णिमा के अचूक उपाय

आज गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा के समय दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली ( अंगूठे के बगल वाली उंगली ) के नीचे गुरु पर्वत और उस पूरी ऊंगली पर बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य ) I

गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

बृहस्पति देव के मन्त्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।

अवश्य पढ़ें :- जानिए कैसा हो खिड़कियों का वास्तु , जिससे जिससे वहाँ के निवासियों को मिले श्रेष्ठ लाभ

  • तिथि (Tithi) :- द्वितीया तिथि 12.39 AM 20 सितम्बर तक
  • तिथि का स्वामी – द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्मा जी है ।

द्वितीया तिथि के स्वामी सृष्टि के रचियता भगवान ‘ब्रह्मा’ जी हैं। इसका विशेष नाम ‘सुमंगला’ है। यह भद्रा संज्ञक तिथि है।

सोमवार और शुक्रवार को द्वितीया तिथि मृत्युदा होती है।

लेकिन बुधवार के दिन दोनों पक्षों की द्वितीया में विशेष सामर्थ होता है और यह सिद्धिदा हो जाती है, अर्थात इसमें किये गये सभी कार्य शुभ और सफल होते हैं।

द्वितीया तिथि को चारो वेदो के रचियता ब्रह्मा जी का स्मरण करने से कार्य सिद्ध होते है।

व्यासलिखित पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा को स्वयंभू (स्वयं जन्म लेने वाला) और चार वेदों का निर्माता माना गया है।

ब्रह्मा जी की उत्पत्ति विष्णु की नाभि से निकले कमल से मानी गयी है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी के एक मुँह से हर वेद निकला था।

देवी सावित्री ब्रह्मा जी की पत्नी, माँ सरस्वती ब्रह्मा जी की पुत्री, सनकादि ऋषि, नारद मुनि और दक्ष प्रजापति इनके पुत्र और इनका वाहन हंस है।

ब्रह्मा जी ने अपने चारो हाथों में क्रमश: वरमुद्रा, अक्षरसूत्र, वेद तथा कमण्डलु धारण किया है।

द्वितीया तिथि को ब्रह्मचारी ब्राह्मण की पूजा करना एवं उन्हें भोजन, अन्न, वस्त्र आदि का दान देना बहुत शुभ माना गया है।

भारत के राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्मा जी का विश्व प्रसिद्द मंदिर है, ब्रह्मा जी की पूजा भारत में केवल यहीं पुष्कर तीर्थ के ब्रह्मा मंदिर में ही की जाती है । यहाँ पर ब्रह्मा जी के दर्शन पूजा से समस्त कार्य सिद्ध होने लगते है ।

ऐसा माना जाता है कि पुष्कर तीर्थ को स्वयं सृष्टि के हिंदू देवता ब्रह्मा द्वारा निर्मित किया गया था । इस तीर्थ में हर साल लाखो हिन्दू ब्रह्मा जी के दर्शन, उनकी पूजा करने के लिए आते है ।

शुक्ल पक्ष की द्वितीया में भगवान शंकर जी माँ पार्वती के संग होते हैं इसलिए भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।

लेकिन कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि में भगवान शंकर की पूजा करना उत्तम नहीं माना जाता है।

करना है शनि देव को प्रसन्न तो तो शनि जयंती के दिन अवश्य ही करें ये उपाय

  • नक्षत्र (Nakshatra) – उत्तरभाद्रपद 8.04 AM तक तत्पश्चात रेवती
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –        उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के देवता अहिर्बुंधन्य देव, स्वामी शनि देव जी एवं वहीं राशि स्वामी गुरु है ।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र 27 नक्षत्रों में 26 वां नक्षत्र है। उत्तर भाद्रपद नक्षत्र वैवाहिक आनंद, सुख समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र  प्रकाश की किरण, संसार को खुशियों का आशीर्वाद देता है।

शनि और गुरु में शत्रुता है। और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के जातको पर जीवन भर शनि और गुरु दोनों का ही प्रभाव रहता है ।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : नीम तथा इस नक्षत्र का स्वाभाव शुभ माना गया है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति धार्मिक, कुशल वक्ता,  यशस्वी, परोपकारी और धनवान होते है।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को सन्तान पक्ष से सुख की प्राप्ति होती है। इनका पारिवारिक जीवन भी समान्यता सुखमय ही रहता है।

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति को हनुमान जी की आराधना करनी फलदाई कही गयी है , इनको पीपल की सदैव  /  विशेषकर शनिवार के दिन  तो अवश्य ही सेवा करनी चाहिए ।

उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक क्या हैं 6 और 8, भाग्यशाली रंग बैगनी तथा भाग्यशाली दिन  गुरुवार, मंगलवार और शुक्रवार होता है ।

उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को इस नक्षत्र देवता के नाममंत्र:- ॐ अहिर्बुंधन्याय नमःl  मन्त्र की माला का जाप अवश्य करना चाहिए । ऐसा करने से कार्यो में मनवांछित लाभ की प्राप्ति होती है ।

यदि राशिनुसार सूर्य ग्रहण के उपाय तो भाग्य होगा मजबूत, सारे संकट – कष्ट होंगे दूर, जानिए राशिनुसार सूर्य ग्रहण के अचूक उपाय,



कैसा भी सिर दर्द हो उसे करें तुरंत छूमंतर, जानिए सिर दर्द के अचूक उपा

योग :- वृद्धि 19.19 PM तक तत्पश्चात ध्रुव

योग के स्वामी, स्वभाव :- वृद्धि  योग के स्वामी सूर्य देव एवं स्वभाव शुभ माना जाता है ।

प्रथम करण :- तैतिल 14.28 PM तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-   तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।

द्वितीय करण :- गर 12.39 AM 20 सितम्बर तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-   गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।

  • दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 से 3:00 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:08
  • सूर्यास्त – सायं 18:21
  • विशेष – द्वितीया को बैगन, कटहल और नींबू का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • पर्व त्यौहार
  • मुहूर्त (Muhurt) – श्राद्ध पक्ष की द्वितीया तिथि

अवश्य पढ़ें :- अगर गिरते हो बाल तो ना होएं परेशान तुरंत करें ये उपाय, जानिए बालो का गिरना कैसे रोकें,

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

मित्रो हम इस साईट के माध्यम से वर्ष 2010 से निरंतर आप लोगो के साथ जुड़े है। आप भारत या विश्व के किसी भी स्थान पर रहते है, अपने धर्म अपनी संस्कृति को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए www.memorymuseum.net के साथ अवश्य जुड़ें, हमारा सहयोग करें ।

अगर नित्य पंचाग पढ़ने से आपको लाभ मिल रहा है, आपका आत्मविश्वास बढ़ रहा है, आपका समय आपके अनुकूल हो रहा है तो आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार कोई भी सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।

आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070160)

दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद ।


बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 18 सितम्बर 2024 का पंचांग,

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 18 सितम्बर 2024 का पंचांग,

आप सभी को भाद्रपद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं


बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 18 सितम्बर 2024 का पंचांग,

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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए बुधवार का पंचांग, Budhvar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,


बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


18 सितम्बर 2024 का पंचांग, ( Panchang ), 18 September 2024 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

अवश्य जानिए हनुमान जी के कितने भाई है, उनकी पत्नी और पुत्र का नाम,


बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इस उपाय से शरीर रहेगा निरोगी, शक्ति रहेगी भरपूर, बुढ़ापा पास भी नहीं आएगा, जानिए रोगनाशक दिव्य आहार,

* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

अवश्य पढ़ें :- नित्य अवश्य ही स्मरण करें भगवान भगवान गणपति जी के परिवार के सदस्यों का,

*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 1945
*कलि संवत 5124
*अयन – दक्षिणायन
*ऋतु – वर्षा ऋतु
*मास – भाद्रपद माह
*पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ,

बुधवार को बुध की होरा :-

प्रात: 6.04 AM से 7.06 AM तक

दोपहर 01.19 PM से 2.21 PM तक

रात्रि 20.26 PM से 9.23 PM तक

बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।

ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

अवश्य पढ़ें :- पूरे वर्ष निरोगी काया के लिए सर्दियों में सेवन करें ये आहार,

बुध देव के मन्त्र

“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा

“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”

अक्षय तृतीया के दिन इस वस्तु का दान करने, सेवन करने से समस्त पापो का होता है नाश,

  • तिथि (Tithi) – पूर्णिमा 8.04 AM तक तत्पश्चात प्रतिपदा I
  • तिथि के स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है ।

आज सुबह 8.04 AM तक भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि है, उसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी । भाद्रपद पूर्णिमा के दिन जिन लोगो की पूर्णिमा तिथि को मृत्यु हुई हो उनका श्राद्ध किया जाता है, लेकिन श्राद्ध का प्रारम्भ उसके अगले दिन अश्विन माह की प्रतिपदा तिथि को माना जाता है ।

चूँकि प्रतिपदा तिथि बुधवार सुबह 8.05 AM से प्रारम्भ होकर गुरुवार सुबह तड़के 4.19 AM पर समाप्त हो रही है इसलिए प्रतिपदा का श्राद्ध आज बुधवार को ही किया जायेगा अर्थात श्राद्ध पक्ष का प्रारम्भ आज बुधवार से होगा ।

“मध्याह्ने श्राद्धम् समाचरेत” इसके ​अनुसार श्राद्ध का कार्य दोपहर के समय में ही करना चाहिए, इसी कारण पितरों का श्राद्ध, पिंडदान, आदि 11:30 बजे से दोपहर 03:30 बजे तक करना चाहिए ।

पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें ।

पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।

पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए।

पूर्णिमा तिथि के दिन चन्द्र देव जी के मन्त्र

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:। अथवा

ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।

का जाप करने से कुंडली में चन्द्रमा के शुभ फल मिलने लगते है ।

इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।

पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।

पूर्णिमा के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है।

पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

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आज बुधवार 18 सितंबर का वर्ष 2024 का दूसरा चंद्र ग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा + प्रतिपदा तिथि अर्थात पहले श्राद्ध पर लग रहा है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह चंद्रग्रहण सुबह 06 बजकर 12 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 17 मिनट तक रहने वाला है । चंद्र ग्रहण की अवधि 04 घंटे 04 मिनट की होगी ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह चंद्र ग्रहण मीन राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा ।

चंद्र ग्रहण के प्रारंभ का समय: सुबह 6:12 बजे
चंद्र ग्रहण के समापन का समय: सुबह 10:17 बजे
चंद्र ग्रहण के परमग्रास का समय: सुबह 8:14 बजे
चंद्र ग्रहण का कुल समय: 4 घंटे 5 मिनट तक

पितृपक्ष में पहला श्राद्ध करने वाले लोगो को ग्रहण के बाद ही कोई भी तर्पण, श्राद्धकर्म करना चाहिए ।

यह चंद्र ग्रहण हिंद महासागर, अटलांटिक महासागर, पश्चिमी अफ्रीका, पश्चिमी यूरोप, दक्षिणी अमेरिका और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा, लेकिन भारत में यह किसी भी हिस्से में नहीं दिखाई देगा ।

चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है, सूतक काल में मंदिरो के कपाट बंद कर दिए जाते है, लेकिन जब चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा तो इसका सूतक काल भी मान्य नहीं है ।

अर्थात चूँकि 18 सितम्बर का चंद्र ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए भारत में इसका सूतक काल भी नहीं लगेगा ।

वैसे तो यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन पितृपक्ष के पहले दिन लगने वाले इस ग्रहण को शुभ नहीं माना जा रहा है, चंद्र ग्रहण के समय अधिक से अधिक मंत्रो का मानसिक रूप से जाप करना चाहिए । चंद्र ग्रहण के समय “ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।” अथवा

“ॐ सोम सोमाय नम :” का अधिक से अधिक जाप करना परम फलदाई है ।

नक्षत्र (Nakshatra) – पूर्वाभाद्रपद 11.00 AM तक तत्पश्चात उत्तराभाद्रपद

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-      पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं । 

नक्षत्रों की श्रेणी में पूर्वाभाद्रपद 25 वां नक्षत्र है। पूर्वाभाद्रपद का अर्थ है ‘पहले आने वाला भाग्यशाली पैरों वाला व्यक्ति’। 

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातक वाकपटु होते है उन्हें भाषण कला में निपुणता होती है ।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र तारे का लिंग पुरुष है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: आंबा, आम, तथा स्वाभाव उग्र होता है ।

इस नक्षत्र में जन्मे जातक आशावादी, ईमानदार, परोपकारी, मिलनसार, भरोसेमंद, धनवान और आत्मनिर्भर व्यक्ति होते हैं।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक विपरीत परिस्थितियों से घबराते नहीं है, वरन अपने सकारत्मक रवैये के कारण यह हर परिस्तिथि को अपने अनुकूल करने की क्षमता रखते है । सामान्यता यह  छल कपट, बेईमानी और नकारात्मक विचारो से दूर रहते हैं। 

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 8, भाग्यशाली रंग स्लेटी,  भाग्यशाली दिन शनिवार और बुधवार है ।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज  नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ अजैकपदे नमः” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के जातको को भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए। उन्हें भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए , इससे जीवन में सभी संकट दूर रहते है ।

इस नक्षत्र में जन्मे जातको को काले कपड़े एवं चमड़े से बनी वस्तुओं का प्रयोग करने से बचना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – गण्ड 23.29 PM तक तत्पश्चात वृद्धि
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- गण्ड योग के स्वामी अग्नि एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – बव 08.04 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – बालव 18.11 PM तक तत्पश्चात कौलव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 6.08 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18.22 PM
  • विशेष – पूर्णिमा, संक्रांति, श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना, क्रोध करना, हिंसा करना निषिद्ध कहा गया है । 
  • पर्व त्यौहार- भाद्रपद पूर्णिमाश्राद्ध पक्ष प्रारम्भ

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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