शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 25 अक्टूबर 2025 का पंचांग,
Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 25 October 2025 ka Panchang,
- Panchang, पंचाग, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang, saturday ka panchang।
- शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
25 अक्टूबर 2025 का पंचांग, 25 October 2025 ka Panchang,
- शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
- दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
- शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
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- शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
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- शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
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*विक्रम संवत् – 2082,
* शक संवत – 1947,
* कलि संवत – 5127,
* कलयुग 5127 वर्ष
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – कार्तिक माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष,
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ,
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शनिवार को शनि महाराज की होरा :-
प्रात: 6.28 AM से 7.24 AM तक
दोपहर 01.05 PM से 2.05 PM तक
रात्रि 19.58 PM से 8.59 PM तक
शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
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शनि देव के मन्त्र :-
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
अथवा
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
- तिथि (Tithi)- चतुर्थी 3.48 AM रविवार 26 अक्टूबर तक ।
- तिथि का स्वामी – चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणपति जी है ।
आज विनायक चतुर्थी तिथि है। प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते है । चतुर्थी तिथि के स्वामी देवताओं में प्रथम पूज्य, भगवान शिव और माता पार्वती के सबसे छोटे पुत्र भगवान गणेश जी माने गए हैं।
इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना से निश्चय ही समस्त मनोवाँछित फलो की प्राप्ति होती है।
अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी तो पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा दोपहर के समय में की जाती है ।
मान्यता है कि किसी भी कार्य के प्रारम्भ में विघ्हर्ता की पूजा आराधना करने से सभी ग्रह दोष शांत होते है ।
चतुर्थी को गणपित जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।
गणेश जी को मोदक / लड्डू, लाल रंग के फूल, दुर्वा (दूब), शमी-पत्र, और केला अति प्रिय है, बुधवार और चतुर्थी को गजानन को यह वस्तुएं अर्पित करने से जीवन में शुभ समय आता है ।
चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है, कार्यो में श्रेष्ठ सफलता मिलती है ।
चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है ।
चतुर्थी तिथि को रिक्ता तिथि कहते है इस दिन शुभ कार्यो का प्रारम्भ शुभ नहीं समझा जाता है ।
किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है, और चतुर्थी को बैगन खाने से रोग बढ़ते है ।
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नक्षत्र (Nakshatra) – अनुराधा 07.51 AM तक तत्पश्चात ज्येष्ठा,
नक्षत्र के स्वामी :- अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्र, भैरव जी तथा स्वामी शनि देव जी है ।
अनुराधा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 17 वां है। आकाश मंडल में अनुराधा 4 तारों का समूह मंडल है।
यह एक कमल का फूल जैसा लगता है जो हर परिस्तिथि में खिलने की क्षमता का प्रतीक है। यह सुरक्षा और शक्ति का भी प्रतीक है।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : मौलश्री तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। अनुराधा नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर शनि और मंगल दोनों ही ग्रहों का प्रभाव हमेशा रहता है।
इस नक्षत्र में जन्मे जातक आकर्षक, बुद्धिमान, बहादुर, परिश्रमी, नेतृत्व करने वाले, भरोसेमंद, ऊर्जावान तथा धार्मिक होते है।
लेकिन शनि – मंगल के शुभ ना होने पर जातक के जीवन में बहुत अस्थिरता रहती है, वह स्वार्थी, कठोर, क्रूर स्वभाव, असंतुष्ट, और बहुत चिंता करने वाला हो सकता है ।
अनुराधा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8, भाग्यशाली रंग लाल, सुनहरा और भूरा, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और गुरुवार माना जाता है ।
अनुराधा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ अनुराधाभ्यो नमः। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें, सूर्य देव के नामों का स्मरण करें ।
इस नक्षत्र के जातको को भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा करने से भी शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
- योग (Yog) – शोभन योग पूरी रात्रि तक,
- योग के स्वामी, स्वभाव :- शोभन योग के स्वामी बृहस्पति देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।
- प्रथम करण : – वणिज 14.34 PM तक,
- करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
- द्वितीय करण : – विष्टि 3.48 AM रविवार 26 अक्टूबर तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
- ब्रह्म मुहूर्त : 4.46 AM से 5.37 AM तक
- विजय मुहूर्त : 13.57 PM से 14.42 PM तक
- गोधूलि मुहूर्त : 17.42 PM से 18.07 PM तक
- अमृत काल : अमृत काल 12.54 AM से 02.42 AM रविवार 26 अक्टूबर तक
- गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 06:28 AM
- सूर्यास्त – सायं 17:42 PM
- विशेष – चतुर्थी को मूली का सेवन नहीं करना चाहिए, चतुर्थी को मूली का सेवन करने से धन का नाश होता है ।
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- पर्व त्यौहार-
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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