बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 22 अक्टूबर 2025 का पंचांग

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 22 अक्टूबर 2025 का पंचांग,

आप सभी को गोवर्धन पूजा / अन्नकूट पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं


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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए बुधवार का पंचांग, Budhvar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,


बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


22 अक्टूबर 2025 का पंचांग, ( Panchang ), 22 October 2025 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।


बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

*विक्रम संवत् 2082,
*शक संवत – 1947
*कलि संवत 5127
*अयन – दक्षिणायण
*ऋतु – शरद ऋतु
*मास – कार्तिक माह
*पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

बुधवार को बुध की होरा :-

प्रात: 6.20 AM से 7.25 AM तक

दोपहर 01.10 PM से 2.03 PM तक

रात्रि 8.02 PM से 9.03 PM तक

बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।

ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।         

बुध देव के मन्त्र

“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा

“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”

  • तिथि (Tithi) – प्रतिपदा 20.16 PM तक तत्पश्चात द्वितीया,,
  • तिथि के स्वामी – प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी और द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्नमा जी है I

आज भगवान श्री कृष्ण जी को अत्यंत प्रिय गोवर्धन पूजा / अन्नकूट का पर्व है । कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अर्थात दीपावली के दुसरे दिन गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट पूजा का पर्व मनाया जाता है, लेकिन इस बार यह पर्व एक दिन विलम्ब अर्थात 21 अक्टूबर की जगह 22 अक्टूबर को मनाया जायेगा ।

21 अक्टूबर को शाम 5.56 तक अमावस्या है और उसके बाद प्रतिपदा है जो 22 अक्टूबर को रात्री में 8.28 तक रहेगी, इसलिए गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर बुधवार को ही मनाया जाएगा I

अन्नकूट का अर्थ है अन्न का इस लिए इस दिन भारी मात्रा में पकवान बनाकर, 56 भोग बनाकर भगवान श्री कृष्ण / भगवान विष्णु को भोग लगाया जाता है। इस दिन सुख , सौभाग्य एवं वर्ष पर्यंत आर्थिक समृद्धि के लिए विभिन्न प्रकार के शाक , फल , अन्न , दूध , दूध से बने पदार्थ मिष्ठान , मालपुए , आदि से भगवान को भोग लगाया जाता है ।

कई स्थानों पर इस दिन डाल – बाटी चूरमा का भोग लगाया जाता है ओर दुसरे दिन अन्नकूट का भोग लगता है ।

शास्त्रों के अनुसार एक बार भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को देवराज इंद्र के क्रोध के कारण हो रही मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को 7 दिन तक अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाया था।

उनके सुदर्शन चक्र के प्रभाव के कारण ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी, तब ब्रह्माजी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर भगवान श्री विष्णु जी ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया है, उनसे बैर लेना उचित नहीं है।

तब श्रीकृष्ण को प्रभु श्री विष्णु जी का अवतार जानकर इन्द्रदेव को अपने कार्य पर बहुत लज्जा आयी और उन्होंने श्री कृष्ण जी से क्षमा-याचना की।

लगातार हो रही मूसलाधार वर्षा के कारन भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे पृथ्वी पर रखा और इसी लिए हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट का पर्व मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह पर्व गोवर्धन पूजा या ‘अन्नकूट’ के नाम से मनाया जाने लगा।

आज के दिन यथा शक्ति विभिन्न प्रकार की साग(चौदह शाकों हो तो अति उत्तम है), सब्जियों से घी में बने पुलाव से भगवान को भोग लगाकर उसके बाद सबके साथ मिल जुल कर प्रसन्नता से प्रसाद रूप में ग्रहण करने से भी घर में प्रेम एवं धन धान्य की व्रद्धि होती है ।

अन्नकूट पर्व मनाने से मनुष्य को आरोग्य और दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है, उसके यहाँ कभी भी दरिद्रता का साया नहीं पड़ता वह मनुष्य सदैव सुखी संपन्न रहता है।

इस दिन को गौ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, आज के दिन गायों की सेवा करने का बहुत महत्व है । माना जाता है की इस दिन सच्चे मन से गायों की सेवा करने से उस व्यक्ति के घर वर्ष भर किसी भी प्रकार से दूध , घी या अन्य भोज पदार्थ की कमी नहीं होती है दूसरे शब्दों में स्थायी रूप से आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है ।

इस दिन श्री कृष्ण भगवान को पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें तुलसी, पीले फूल चदतकर उनकी पूजा करें उन्हें फल, मिठाई, नैवेद्य , लौंग, इलाइची, सिंघाड़ा, आँवला और घर के बने पकवानों का भोग लगाकर उनकी आरती करें ।

नक्षत्र (Nakshatra) – स्वाति 1.52 AM गुरुवार 24 अक्टूबर तक

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-         स्वाति नक्षत्र के देवता वायु और सरस्वती जी और स्वामी राहु जी है ।

स्वाति नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 15वां है। स्वाति नक्षत्र राहु का दूसरा नक्षत्र है। स्वाति नक्षत्र के देवता पवन देव हैं।  स्वाति नक्षत्र का संबंध विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती से भी है।

स्वाति नक्षत्र ‘शुद्धता’,  ‘स्वतंत्रता’ को दर्शाता है ।  यह अत्यंत शुद्ध और पवित्र बारिश की पहली बूंद का भी प्रतीक है ।

स्वाति नक्षत्र के पानी का महत्व ज्यादा होता है। इसकी एक बूंद से पपैया पक्षी अपनी प्यास बुझा लेता है। केले के पत्ते पर जल की बूंद गिरने से कपूर बनता है। इसी जल की बूंद समुद्र में गिरने से मोती बनता है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : अर्जुन तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। स्वाति नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।

इस नक्षत्र में जन्मा जातक धार्मिक, लोकप्रिय, बुद्धिमान, चतुर, परिश्रमी, अनुशासित, आध्यात्मिक होता हैं, सामन्यता इन्हे भूमि, भवन और पूर्ण सुख मिलता है।

लेकिन यदि शुक्र ख़राब हो तो जातक क्रोधी, घमंडी, अति कामुक, मदिरा प्रेमी होता है उसको धन और स्त्री का सुख भी नहीं मिलता है ।

स्वाति नक्षत्र में पैदा हुई स्त्री सुन्दर, मिलनसार, धार्मिक, दयालु,  दूसरो को जल्द प्रभावित करने वाली होती हैं। इनका पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

स्वाति नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 4 और 6,  भाग्यशाली रंग, गहरा भूरा, काला,  भाग्यशाली दिन  शनिवार, सोमवार और मंगलवार माना जाता है ।

स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को वायु देव के  “ॐ वायवे नमः”। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए, इससे जीवन में श्रेष्ठ सफलता मिलती है  ।

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  • योग (Yog) – प्रीति 4.46 AM गुरुवार 24 अक्टूबर तक
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-  प्रीति  योग के स्वामी विष्णु एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – किस्तुघ्न 07.04 AM
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-      किस्तुघ्न करण के स्वामी मरुत और स्वभाव क्रूर है ।
  • द्वितीय करण : – बव 20.16 PM तक तत्पश्चात बालव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • ब्रह्म मुहूर्त : 4.42 AM से 5.32 AM तक
  • विजय मुहूर्त : 14.02 PM से 14.48 PM तक
  • गोधूलि मुहूर्त : 17.51 PM से 18.16 PM तक
  • अमृत काल : 16.21 PM से 17.57 PM तक
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • गुलिक काल : – बुधवार का गुलिक काल 10:30 AM से 12 PM बजे तक ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार का राहुकाल दिन 12:00 PM से 1:30 PM तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 6.26 AM
  • सूर्यास्त – सायं 17.44 PM
  • विशेष – प्रतिपदा के दिन कद्दू  /  पेठे का सेवन नहीं करना चाहिए, प्रतिपदा के दिन इनका सेवन करने से धन की हानि होती है । 
  • मुहूर्त :- गोवर्धन पूजा / अन्नकूट
  • पर्व त्यौहार –

हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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