सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 29 सितम्बर 2025 का पंचांग,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 29 सितम्बर 2025 का पंचांग,

आपको नवरात्री के सातवें दिन की हार्दिक शुभकामनायें, जय माँ कालरात्रि

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 29 सितम्बर 2025 का पंचांग, 29 September 2025 ka Panchang,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

दशहरे के दिन पापो के नाश, यम की यातनाओं से बचने के लिए अवश्य ही करें ये उपाय

सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

29 सितम्बर 2025 का पंचांग, 29 September 2025 ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

घर पर कैसा भी हो वास्तु दोष अवश्य करें ये उपाय, जानिए वास्तु दोष निवारण के अचूक उपाय

*विक्रम संवत् 2082,
* शक संवत – 1947,
*कलि संवत 5127
*कलयुग 5126 वर्ष
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – वर्षा ऋतु,
* मास – अश्विन माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु,, मीन,

सोमवार को चन्द्रमा की होरा :-

प्रात: 5.55 AM से 6.58 AM तक

दोपहर 01.19 PM से 2.21 PM तक

रात्रि 8.23 PM से 9.22 PM तक

सोमवार को चन्द्रमा की होरा में अधिक से अधिक चन्द्र देव के मन्त्र का जाप करें। यात्रा, प्रेम, प्रसन्नता, कला सम्बन्धी कार्यो के लिए चन्द्रमा की होरा अति उत्तम मानी जाती है।

सोमवार के दिन चन्द्रमा की होरा में चंद्रदेव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में चंद्र देव मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

चन्द्रमा के मन्त्र

ॐ सों सोमाय नम:।

ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।

नवरात्री के इस उपाय से मिलेगी सभी कार्यों में श्रेष्ठ सफलता, जानिए नवरात्री के अचूक उपाय 

  • तिथि (Tithi) – सप्तमी 16.31 PM तक तत्पश्चात अष्टमी
  • तिथि का स्वामी – सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव जी और अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है
  • आज शरद नवरात्री का सातवां दिन है । नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा- आराधना की जाती है। काल रात्रि का अर्थ है अँधेरी रात, माता काल रात्रि का स्वरूप माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों में क्रोध का रूप है ।
  • मां के माता कालरात्रि के स्वरूप की पूजा करने से सभी तरह के पापो, शत्रुओं, नकारात्मक शक्तियों और काल का नाश होता है। माता कालरात्रि अपने भक्तो की काल से भी रक्षा करने वाली शक्ति है, इनकी पूजा से अकाल मृत्यु का भी भी समाप्त होता है ।
  • मां का रूप अत्यंत भयानक है एवं बाल सभी दिशाओं में बिखरे हुए हैं। मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं, इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है और ये गर्दभ की सवारी करती हैं।
  • माँ काल रात्रि की चार भुजाएं है । माँ के ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है जो भक्तों को निर्भय रहने का आशीर्वाद देता है अर्थात माँ कालरात्रि के भक्तो की समस्त संकटो से रक्षा होती है।
  • वहीँ बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है ।
  • माता काल रात्रि के गले में बिजली से चमकती हुई विधुत की माला सुशोभित रहती है ।
  • माँ काल रात्रि को लाल गुड़हल का पुष्प अत्यंत प्रिय है, माँ को गुड़हल के पुष्प की माला अर्पित करनी चाहिए । मां को गुड का भोग अर्पित करके पूजा के बाद सबको गुड का प्रसाद वितरित करना चाहिए ।
  • नवरात्री के सातवें दिन मां कालरात्रि की कृपा के लिए रात्रि में मां कालरात्रि के समक्ष दीपक जलाकर श्वेत या लाल वस्त्र धारण करके माँ की पूजा करें, एवं यहाँ दिए गए मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए ।
  • “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे “

    अथवा
  • ‘ॐ कालरात्र्यै नम:।’
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नक्षत्र (Nakshatra) – नक्षत्र, मूल पूर्ण रात्रि तक

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-    मूल नक्षत्र के देवता निॠति (राक्षस) एवं स्वामी केतु जी है ।

मूल नक्षत्र का नक्षत्र मंडल में 19वां स्थान है। ‘मूल’ का अर्थ ‘जड़’ होता है।  ज्योतिष शास्त्र में गंडमूल नक्षत्र के अंतर्गत अश्विनी, रेवती, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र को रखा गया है।

ज्योतिषियों का मानना है कि अगर बच्चे का जन्म गंडमूल नक्षण में हो तब उस की शांति अवश्य करा लेनी चाहिए अन्यथा इसका अशुभ परिणाम प्राप्त होता है।

गंडमूल नक्षत्र में जन्म लेने पर भी अगर लड़के का जन्म रात में और लड़की का जन्म दिन में हो, तब मूल नक्षत्र का प्रभाव समाप्त हो जाता है। लेकिन यदि बच्चे का जन्म अगर मंगलवार अथवा शनिवार के दिन हुआ है तो इसके अशुभ प्रभाव बढ़ जाते हैं।

मूल नक्षत्र में जन्मा जातक शांतिप्रिय, आकर्षक, साहसी, राजनीति में निपुण, धनवान, चतुर, वाकपटु, सौभाग्यशाली, ज्ञानवान और धार्मिक स्वभाव का होता है।

मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक को रविवार को छोड़कर सदैव या समय समय पर पीपल के वृक्ष में प्रसाद और जल चढ़ाते रहना चाहिए । मूल नक्षत्र सितारे का लिंग तटस्थ है।

मूल नक्षत्र का आराध्य वृक्ष साल और नक्षत्र का स्वभाव तीक्ष्ण माना गया है ।

मूल नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 7, भाग्यशाली रंग, सुनहरा और क्रीम, भाग्यशाली दिन शनिवार, मंगलवार और बुधवार का माना जाता है ।

मूल नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ निॠतये नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

  अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 
  • योग (Yog) – सौभाग्य 01.01 AM मंगलवार 30 सितम्बर तक
  • योग के स्वामी :-   सौभाग्य योग के स्वामी ब्रह्मा जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – वणिज 16.31 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-           वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।

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  • द्वितीय करण : – विष्टि 05.२३ AM मंगलवार 30 सितम्बर तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
  • ब्रह्म मुहूर्त : 4.37 AM से 5.25 AM तक
  • विजय मुहूर्त : 14.11 PM से 14.58 PM तक
  • गोधूलि मुहूर्त : 18.09 PM से 18.33 PM तक
  • अमृत काल : 23.15 PM से 01.01 AM मंगलवार 30 सितम्बर तक
  • विशेष – सप्तमी को ताड़ का सेवन नहीं करना चाहिए  । इस दिन ताड़ का सेवन करने से रोग लगते है ।  
  • पर्व त्यौहार- नवरात्री का सातवां दिन, जय माँ कालरात्रि
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501+ 6306516037 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 7587346995)


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