रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 21 सितम्बर का पंचांग 2025 का पंचांग,
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21 सितम्बर 2025 का पंचांग, 21 September 2025 ka Panchang,
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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।
रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
21 सितम्बर 2025 का पंचांग, 21 September 2025 ka Panchang,
जानिए नवरात्री में कन्या पूजन में माता के किन किन स्वरूपों की पूजा की जाती है
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।
👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
पितृ पक्ष के अंतिम दिन, सर्व पितृ दोष अमावस्या के दिन पितरो की कृपा प्राप्त करने के लिए अवश्य ही करे ये उपाय.

* विक्रम संवत् – 2082, वर्ष
* शक संवत – 1947, वर्ष
* कलि संवत 5127, वर्ष
* कलयुग – 5127, वर्ष
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – वर्षा ऋतु,
* मास – अश्विन माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
* चंद्र बल – मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन,
पितृ पक्ष के अंतिम दिन ऐसे करें पितरो की विदाई, समस्त भूलो, पापो का हो जायेगा प्रायश्चित, पितृ आशीर्वाद देकर अपने लोक को लौट जायेंगे
रविवार को सूर्य देव की होरा :-
प्रात: 6.01 AM से 7.05 AM तक
दोपहर 01.18 PM से 02.18 PM तक
रात्रि 20.21 PM से 9.18 PM तक
रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।
सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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सूर्य देव के मन्त्र :-
ॐ भास्कराय नमः।।
अथवा
ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
- तिथि (Tithi) – अमावस्या 01.23 AM सोमवार 22 सितम्बर तक,
- तिथि के स्वामी :- अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव जी है ।
नवरात्री में करनी है कलश की स्थापना, रखने है ब्रत, करना है माता को प्रसन्न तो ऐसे करें नवरात्री की तैयारी,
आज अश्विन माह की अमावस्या पितृ अमावस्या, पितृ पक्ष का अंतिम दिवस है । शास्त्रों के अनुसार यदपि प्रत्येक अमावस्या पितरों के लिए अत्यंत पुण्य दायक तिथि होती है मगर आश्विन मास की अमावस्या पितरों के लिए परम फलदायी कही गई है।
इस अमावस्या को सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या अथवा सर्व पितृ दोष अमावस्या अथवा महालया के नाम से भी जाना जाता है।
अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव को माना गया है, तथा आश्विन कृष्ण पक्ष में पितरों का पृथ्वी पर निवास माना गया है, इस समय में वे अपने घर अपने सम्बन्धियों के आस पास मंडराते रहते है, तथा इसका अंतिम दिवस अश्विन की अमावस्या अर्थात सर्व पितृ दोष अमावस्या पितरों के लिए उत्सव का दिन कहलाता है ।
शास्त्रों के अनुसार अगर कोई जातक पुरे श्राद्ध पक्ष में अपने पितरो का श्राद्ध, तर्पण, उनके निमित दान पुण्य ना भी कर पाएं तो यदि वह सर्व पितृ अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध, तर्पण, दान, उनका स्मरण कर लें तो भी उसके पितृ प्रसन्न हो जाते है ।
इसलिए पितृदोष अमावस्या के दिन हर श्राद्धकर्ता को अपने घर में दोपहर में प्रेम और श्रद्धा से ब्राह्मण भोजन अवश्य ही कराना चाहिए, भोजन के पश्चात ब्राह्मण देवता को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान और नकद दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद भी जरूर लें।
इस दिन घर में जो भोजन बने उसमें गाय, कुत्ते, कोए और चीटियों का भोजन भी अवश्य ही निकल दें।
इस अमावस्या के दिन पितरो के निमित कुछ उपाय करने से पितृ दोष से निश्चित ही छुटकारा मिलता है, जीवन से रोग, कर्ज, निर्धनता, क्लेश, अस्थिरता दूर होती है, सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है ।
अमावस्या के दिन घी, नमक, आटा, चावल, चीनी, सत्तू, काले तिल, अनाज, वस्त्र, आदि दक्षिणा के साथ योग्य ब्राह्मण को दान में अवश्य ही दें , ऐसा करने से पितरो का आशीर्वाद मिलता है ।
पितरों को खीर अत्यंत प्रिय है इसलिए अमावस्या के दिन घर पर खीर अवश्य बनायें फिर उसमें थोड़ी सी खीर दोने पर निकाल कर पित्रों के निमित पीपल पर रख आएं ।
हर अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है ।
इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं, आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा ।
अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
पितृ अमावस्या के दिन क्रोध, हिंसा, अनैतिक कार्य, माँस, मदिरा का सेवन एवं स्त्री से शारीरिक सम्बन्ध, मैथुन कार्य आदि का निषेध बताया गया है, जीवन में स्थाई सफलता हेतु इस दिन इन सभी कार्यों से दूर रहना चाहिए ।
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आज रविवार 21 सितम्बर को वर्ष 2025 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगेगा । इससे पहले इस वर्ष 29 मार्च को सूर्य ग्रहण लगा था वह भी आंशिक सूर्य ग्रहण ही था । पितृ पक्ष के पहले दिन अश्विन माह की पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगा था और पितृ पक्ष के अंतिम दिन अश्विन माह की अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण अर्थात केवल 15 दिनों के अंतराल में ही यह दोनों ग्रहण लगे है, इस लिए इस सूर्यग्रहण का ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही ज्यादा महत्त्व माना जा रहा है ।
21 सितंबर रविवार को लगने वाला सूर्यग्रहण रात्रि 11 बजे से प्रारंभ होकर 22 सितंबर की तड़के सुबह 3:23 बजे तक रहेगा। ये सूर्य ग्रहण एक आंशिक ग्रहण है। यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार रात्रि में लगेगा और यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं होगा, इसलिए भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं है और मंदिरो के कपाट भी बंद नहीं होंगे।
चूँकि यह ग्रहण सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगेगा, इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत अहम माना जाता है साथ ही ज्योतिषाचार्यो में इस ग्रहण में विशेष सावधानी रखने की सलाह दी है ।
इस बार दोनों ही सूर्य ग्रहण क्रमश : चैत्र नवरात्री और अश्विन नवरात्री के ठीक एक दिन पहले की अमावस्या के दिन ही लगे है यह भी अत्यंत दुर्लभ संयोग माना जा रहा है ।
यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लग रहा है जो कि सूर्य का नक्षत्र है और इसका समापन हस्त नक्षत्र में होगा, जो कि चंद्रमा का नक्षत्र है ।
सूर्य ग्रहण के दौरान खाना खाने की, काटने, छीलने, सिलाई करने, जमीन खोदने का काम करने, सोने की मनाई होती है, शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।
ग्रहण काल में कुछ सावधानियाँ अवश्य ही रखनी चाहिए, ग्रहण काल में भूल कर भी शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण विश्व के किसी भी कोने में क्यों ना हो ग्रहण काल में जप तप का अक्षय पुण्य मिलता है ।
नवरात्री में करनी है कलश की स्थापना, रखने है ब्रत, करना है माता को प्रसन्न तो ऐसे करें नवरात्री की तैयारी,

नक्षत्र :- पूर्व फाल्गुनी 09.32 AM तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी ।
नक्षत्र के स्वामी :- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग (धन व ऐश्वर्य के देवता) और स्वामी शुक्र देव जी है ।
आकाश मंडल में पूर्वा फाल्गुनी को 11वां नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र का प्रतीक बिस्तर के सामने के दो पैर हैं जो आराम, अच्छे भाग्य का भी प्रतीक है।
यह नक्षत्र सुख, धन, कामुक प्रसन्नता, प्रेम और मनोरंजन को दर्शाता हैं। इस नक्षत्र काआराध्य वृक्ष : पलाश तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवनभर सूर्य और शुक्र का प्रभाव बना रहता है।
पूर्वा फाल्गुनी में जन्मा जातक सुन्दर, विलासी, स्त्रियों का प्रिय, साहसी, चतुर, वाकपटु, खुले दिल वाला और घूमने फिरने का शौक़ीन होता है, इन्हे स्त्री और धन-संपत्ति का पूर्ण सुख मिलता है।
लेकिन यदि सूर्य और शुक्र शुभ नहीं है तो जातक बहुत कामुक, विलासी, धूर्त, घमंडी, जुए – सट्टे का लती और क्रोधी हो सकता है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्रियाँ धार्मिक, दयालु, आकर्षक, मिलनसार, आसानी से दूसरो को प्रभावित करने वाली, वैसी प्रवर्ति की होती है। यह आसानी से जीवन में सफलता प्राप्त कर लेती हैं।
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, भाग्यशाली रंग, चाकलेटी, हल्का भूरा, भाग्यशाली दिन शुक्रवार और रविवार माना जाता है ।
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ भगाय नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
संकटो से रक्षा के लिए इस नक्षत्र के जातको को नित्य भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए । पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन माँ लक्ष्मी जी की आराधना से कभी भी धन की कमी नहीं होती है ।
गुरु पूर्णिमा के दिन इस मन्त्र का अवश्य ही करें जाप, जानिए गुरु पूर्णिमा का उपाय
घर के बैडरूम में अगर है यह दोष तो दाम्पत्य जीवन में आएगी परेशानियाँ, जानिए बैडरूम के वास्तु टिप्स
- योग (Yog) – शुभ 19.53 PM तक तत्पश्चात शुक्ल
- योग के स्वामी :- शुभ योग की स्वामी माँ लक्ष्मी जी और स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
- प्रथम करण : – चतुष्पाद 14.46 PM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- चतुष्पाद करण के स्वामी रूद्र और स्वभाव क्रूर है ।
- द्वितीय करण : – नाग 01.23 AM सोमवार 22 सितम्बर तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- नाग करण के स्वामी नागदेव और स्वभाव क्रूर है ।
- ब्रह्म मुहूर्त : 4.34 AM से 5.22 AM तक
- विजय मुहूर्त : 14.16 PM से 15.04 PM तक
- गोधूलि मुहूर्त : 18.19 PM से 18.43 PM तक
- अमृत काल :- अमृत काल 03.38 AM से 05.22 PM सोमवार 22 सितम्बर तक
- दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
- गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
- सूर्योदय – प्रातः 06:09
- सूर्यास्त – सायं 18:19
आँखों की रौशनी बढ़ाने, आँखों से चश्मा उतारने के लिए अवश्य करें ये उपाय - विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।
रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।
अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
पितृ अमावस्या के दिन क्रोध, हिंसा, अनैतिक कार्य, माँस, मदिरा का सेवन एवं स्त्री से शारीरिक सम्बन्ध, मैथुन कार्य आदि का निषेध बताया गया है, जीवन में स्थाई सफलता हेतु इस दिन इन सभी कार्यों से दूर रहना चाहिए ।
- पर्व त्यौहार- सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध, अमावस्या का श्राद्ध,
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।
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आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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