बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 10 सितम्बर 2025 का पंचांग,

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 10 सितम्बर 2025 का पंचांग,


बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 10 सितम्बर 2025 का पंचांग,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka pancahng, Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang,

पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए बुधवार का पंचांग, Budhvar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,


बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


10 सितम्बर 2025 का पंचांग, ( Panchang ), 10 September 2025 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

शरद पूर्णिमा के दिन इस उपाय से जीवन भर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मिलेगी असीम कृपा,


बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इस उपाय से शरीर रहेगा निरोगी, शक्ति रहेगी भरपूर, बुढ़ापा पास भी नहीं आएगा, जानिए रोगनाशक दिव्य आहार,

* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

अवश्य पढ़ें :- अवश्य अवश्य जानिए धन, ऐश्वर्य की दात्री, विष्णु प्रिया माँ लक्ष्मी का कैसे हुआ अवतरण,

*विक्रम संवत् 2082,
*शक संवत – 1947
*कलि संवत 5127
*अयन – दक्षिणायण
*ऋतु – वर्षा ऋतु
*मास – अश्विन माह
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, कर्क, तुला , वृश्चिक, कुम्भ,

बुधवार को बुध की होरा :-

प्रात: 5.52 AM से 6.57 AM तक

दोपहर 01.23 PM से 2.24 PM तक

रात्रि 20.26 PM से 9.24 PM तक

बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।

ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

अवश्य पढ़ें :- पूरे वर्ष निरोगी काया के लिए सर्दियों में सेवन करें ये आहार,

बुध देव के मन्त्र

“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा

“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”

दिवाली पर माँ लक्ष्मी को लगाएं इन चीज़ो का भोग, सुख – समृद्धि की नहीं होगी कभी कमी, अवश्य जानिए माता लक्ष्मी के प्रिय भोग,

  • तिथि (Tithi) – तृतीया 15.37 PM तक तत्पश्चात चतुर्थी,
  • तिथि के स्वामी – तृतीया तिथि की स्वामी माँ गौरी और कुबेर देव जी तथा चतुर्थी तिथि के स्वामी गणपति गणेश जी है I

तृतीया: किसी भी पक्ष की तीसरी तारीख को तृतीया तिथि या तीज कहते है।  तृतीया तिथि को जया तिथि भी कहा गया है।

अपने नाम के अनुसार ही यह तिथि सभी शुभ कार्यों में जय दिलाने अर्थात सफलता दिलाने वाली कही गई है। लेकिन बुधवार को तृतीया तिथि होने से मृत्युदा कहलाती है, इसलिए बुधवार की तृतीया को कोई भी नया कार्य शुरु करना शुभ नहीं माना जाता  है।

तृतीया तिथि में माँ गौरी जी की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है। तृतीया के दिन माँ गौरी का ध्यान करते हुए उन्हें दूध की मिठाई, फूल और चावल अर्पित करें एवं श्रद्धानुसार घी का दीपक जलाकर ’’ऊँ गौर्ये नमः’’ की एक माला का अवश्य ही जाप करें । 

कुबेर जी भी तृतीया तिथि के स्वामी माने गये हैं। शास्त्रों के अनुसार कुबेर जी देवताओं के कोषाध्यक्ष है अतः इस दिन इनकी भी पूजा करने से जातक को विपुल धन-धान्य, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

कुबेर देव Kuber dev धन सम्पदा की दिशा उत्तर के लोकपाल हैं। ये भूगर्भ के भी स्वामी कहे गए हैं।

जैसे देवताओं के गुरु बृहस्पति और राजा इन्द्र कहे गए है उसी प्रकार सम्पूर्ण ब्राह्मांडों के धनाधिपति कुबेर देव  कहे गए है।

कुबेर देव के पिता विश्रवा तथा माता का नाम इडविडा हैं ।

कुबेर देव  की पत्नी का नाम देवी श्रद्धा तथा दोनों पुत्रों के नाम ‘नल कुबेर’ व ‘नील ग्रीव’ है ।

कुबेर देव रावण के सौतेले भाई है और या भगवान शिव जी के प्रिय सेवक , परम मित्र भी माने जाती है। घर में कुबेर देवता की फोटो को उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए  और इस दिशा को बिलकुल साफ रखना चाहिए । 

शास्त्रों के अनुसार जो भी जातक किसी भी पक्ष की तृतीया को घी का दीपक जलाकर नियम से नीचे दिए गए कुबेर मंत्र का जप दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करता है उसे कुबेर देव की कृपा अवश्य ही प्राप्त होती है, उसे अपने कार्यक्षेत्र , व्यापार में आशातीत सफलता मिलती है। 

कुबेर मंत्र: “ऊँ श्रीं, ऊँ ह्रीं श्रीं, ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:”। यदि इस मंत्र का जप किसी शिव मंदिर में अथवा बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठकर करा जाये तो या बहुत अधिक उत्तम होता है, उस जातक को भगवान भोलेनाथ और कुबेर जी दोनों की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है ।

तृतीया को परवल का सेवन नहीं करना चाहिए, तृतीया को परवल का सेवन करने से शत्रुओं में वृद्धि होती है ।

इस बार पितृपक्ष में बुधवार, 10 सितंबर को तृतीया और चतुर्थी का श्राद्ध एक ही दिन पड़ रहा है ।

आज संकट चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी  है । प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकट चतुर्थी कहते है।

इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना, संकट चतुर्थी का व्रत सभी प्रकार के संकटो से रक्षा होती है।

अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी तो पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का दिन, उस दिन के चन्द्रोदय के आधार पर निर्धारित किया जाता है। जिस चतुर्थी तिथि के दिन चन्द्र उदय होता है, संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी उसी दिन रखा जाता है।

संकष्टी चतुर्थी के दिन शाम को चंद्रोदय के बाद गणेश जी और चंद्र देव जी की पूजा की जाती है   ।  यदि उस दिन  बादल के कारण  चन्द्रमा नहीं दिखाई देता है तो, पंचांग के अनुसार चंद्रोदय के समय में पूजा कर लेना चाहिए ।

आज गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।

चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है ।

चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है

चतुर्थी तिथि को रिक्ता तिथि कहते है इस दिन शुभ कार्यो का प्रारम्भ शुभ नहीं समझा जाता है ।

किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है, और चतुर्थी को बैगन खाने से रोग बढ़ते है  ।

इस तरह से मनाएं जन्माष्टमी का पर्व जीवन में लग जायेगा सुखो का अम्बार 

नक्षत्र (Nakshatra) – रेवती 16.03 PM तक तत्पश्चात अश्विन ।

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-           रेवती नक्षत्र का स्वामी बुद्धि के कारक बुध देव जी एवं इस  नक्षत्र के देवता “पूषा” हैं जो सूर्य भगवान का ही एक रूप है ।

रेवती नक्षत्र आकाश मंडल में अंतिम नक्षत्र है। यह मीन राशि में आता है।  रेवती का अर्थ है ‘समृद्ध’ और यह सुख – समृद्धि,  धन और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है।

रेवती नक्षत्र की गणना गंडमूल नक्षत्रों में की जाती है । इस नक्षत्र में जन्मे जातको को विष्णु भगवान की पूजा अवश्य करनी चाहिए ।  इन्हे नित्य विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से जीवन में श्रेष्ठ सफलता की प्राप्ति होती है । रेवती नक्षत्र का आराध्य वृक्ष महुआ और स्वभाव  मृदु माना गया है ।

रेवती नक्षत्र में जन्म लेने वाले स्त्री और पुरुष दोनों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों के प्रति अधिक आकर्षण होता है।  इनके दोस्तों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों की अच्छी संख्या होती है।

रेवती नक्षत्र में जन्मे जातक मध्यम कद और गौर वर्ण के व्यक्ति होते हैं। यह छल कपट से दूर रहते है ।

 यह कुशाग्र बुध्दि के, ईश्वर में आस्था रखने वाले, व्यवहार कुशल लेकिन बहुत ही जिद्दी होते है, इन्हे किसी की भी गलत बात सहन नहीं होती है। यह अपने जीवन में काफी सुदूर / विदेश यात्रायें करते है ।

रेवती नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 5,  भाग्यशाली रंग भूरा, और भाग्यशाली दिन  शनिवार और गुरुवार होता है ।

रेवती नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को इस नक्षत्र देवता के नाममंत्र:- “ॐ रेवत्यै नमः”l  मन्त्र की माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

जरूर पढ़े :-  दीपावली के दिन ऐसी रहेगी आपकी दिनचर्या तो घर में रिद्धि – सिद्धि, लक्ष्मी – गणेश जी का होगा स्थाई वास, जानिए,

अवश्य पढ़ें :- चाहिए परिवार में सुख-समृद्धि, प्रेम और आरोग्य तो ऐसा होना चाहिए किचन का वास्तु, जानिए किचन के वास्तु टिप्स 

  • योग (Yog) – वृद्धि 20.31 PM तक तत्पश्चात ध्रुव
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-  वृद्धि  योग के स्वामी सूर्य देव एवं स्वभाव शुभ माना जाता है । 
  • प्रथम करण : – विष्टि 03.37 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-   विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • गुलिक काल : – बुधवार का गुलिक काल 10:30 AM से 12 PM बजे तक ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार का राहुकाल दिन 12:00 PM से 1:30 PM तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 6.04 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18.32 PM
  • विशेष – एकादशी के दिन सेम फली, चावल का सेवन और दूसरो के अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  •  एकादशी के दिन चावल खाने से रोग बढ़ते है और दूसरे का अन्न खाने से पुण्य नष्ट होते है ।  
     
  • मुहूर्त :- संकष्टी चतुर्थीतृतीया तिथि और चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
  • पर्व त्यौहार-

सबसे ज्यादा पढ़ी गयी :- ऐसा होगा घर के पूजा घर का वास्तु तो पूरी होंगी सभी मनोकमनाएं, जानिए पूजा घर के वास्तु टिप्स,

हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

मित्रो हम इस साईट के माध्यम से वर्ष 2010 से निरंतर आप लोगो के साथ जुड़े है। आप भारत या विश्व के किसी भी स्थान पर रहते है, अपने धर्म अपनी संस्कृति को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए आचार्य मुक्ति नारायण पांडेय अध्यात्म ज्योतिष परामर्श केंद्र रायपुर www.memorymuseum.net के साथ अवश्य जुड़ें, हमारा सहयोग करें ।

अगर नित्य पंचाग पढ़ने से आपको लाभ मिल रहा है, आपका आत्मविश्वास बढ़ रहा है, आपका समय आपके अनुकूल हो रहा है तो आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार कोई भी सहयोग राशि 9425203501 पर Google Paytm phone Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।

अवश्य जानिए :- नैत्रत्यमुखी भवन के वास्तु के अचूक उपाय, 

10 सितम्बर 2025 का पंचांग, 10 September 2025 ka panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, Budhwar Ka Panchang, budhwar ka rahu kaal, budhwar ka shubh panchang, kal ka panchang, panchang, Wednesday ka panchang, आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, कल का पंचांग, पंचांग, बुधवार का पंचांग, बुधवार का राहु काल, बुधवार का शुभ पंचांग, वेडनेस डे का पंचांग,

ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 7587346995)


दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Comment form message

Aacharya Mukti Narayan Pandey Adhyatma Jyotish paramarsh Kendra Raipur

मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 28 अक्टूबर 2025 का पंचांग,

मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panchang, 28 अक्टूबर 2025 का पंचांग, सोमवार का पंचांग बुधवार का पंचांग मंगलवार का पंचांग, Mangalwar Ka Panch...