Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 3 अप्रैल 2025 का पंचांग,

Guruwar Ka Panchag, गुरुवार का पंचांग, 3 अप्रैल 2025 का पंचांग,

आप सभी को नवरात्री के छठे दिन की हार्दिक शुभकामनायें , जय माँ कात्यायिनी

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 3 April 2025 Ka Panchang,

बृहस्पतिवार का पंचांग, Brahaspativar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
जानिए आज गुरुवार का पंचांग, Guruwar Ka Panchag,

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

आज का पंचांग, aaj ka panchang, गुरुवार का पंचाग, Guruvar Ka Panchag,

गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag,

3 अप्रैल 2025 का पंचांग, 3 April 2025 Ka Panchang,


  • गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, 3 April 2025 का पंचांग,
  • दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
  • गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए ।

    गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
  • गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
    इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

    इन उपायों से जानलेवा कोरोना वाइरस रहेगा दूर, कोरोना का जड़ से होगा सफाया,
  • गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
    इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।

यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।

गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है

दाम्पत्य जीवन में हो परेशानी या घेरे हो आर्थिक संकट होली के दिन अवश्य ही करें ये उपाय , 

  • *विक्रम संवत् 2081,
  • * शक संवत – 1945,
    *कलि संवत 5124,
    * अयन – उत्तारायण,
    * ऋतु – बसंत ऋतु,
    * मास – चैत्र माह
    * पक्ष – शुक्ल पक्ष
    *चंद्र बल – मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर,,

गुरुवार को बृहस्पति देव की होरा :-

प्रात: 6.09 AM से 7.12 AM तक

दोपहर 01.27 PM से 2.29 PM तक

रात्रि 20.34 PM से 9.32 PM तक

नवरात्री के दिन बहुत ही सिद्ध और शक्ति संपन्न होते है, नवरात्री के इस उपाय से मिलेगी सभी कार्यों में श्रेष्ठ सफलता, जानिए नवरात्री के अचूक उपाय 

आज गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा के समय दाहिने हाथ की तर्जनी ऊंगली ( अंगूठे के बगल वाली उंगली ) के नीचे गुरु पर्वत और उस पूरी ऊंगली पर बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य ) I

गुरुवार को बृहस्पति की होरा में अधिक से अधिक बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करें । शिक्षा, मान – सम्मान, व्यापार, कारोबार, नए कार्यो के प्रारम्भ के लिए गुरुवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा में बृहस्पति देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

बृहस्पति देव के मन्त्र

ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। अथवा

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।

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  • तिथि (Tithi) :- षष्टी 21.41 PM तक तत्पश्चात सप्तमी,
  • तिथि का स्वामी – षष्टी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी और सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव जी है ।

आज नवरात्री की षष्टी तिथि अर्थात नवरात्री का छठा दिन है । नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। मां कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में जानी जाती हैं ।

मां कात्यायनी ने महिषासुर नाम के असुर का वध किया था, जिस कारण मां कात्यायनी को असुरों और पापियों का संहार करने वाली देवी कहा जाता है। इनकी सवारी सिंह है।

मां कात्यायनी की चार भुजा हैं इनके एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल तथा अन्य दोनों हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा है।

माता कात्यायनी की पूजा से विवाह में हो रही बाधाएं दूर होती है, देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं और कन्याओं को अच्छा मिलने के योग बनते हैं, दाम्पत्य जीवन में प्रेम और सहयोग बनता है।

मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए गोपियों ने माता कात्यायनी की पूजा की थी।

मां कात्यायनी की पूजा माता को लाल या पीले फूल, कच्‍ची हल्‍दी की गांठ एवं चांदी के या मिटटी के पात्र में शहद अर्पित करके, शहद का भोग लगाकर शाम को गोधुलि बेला में करनी चाहिए।

नवरात्रि के छठवें दिन अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए गोबर के कंडे जलाकर माँ कात्यायनी के मंत्रो का जाप करते हुए उस पर लौंग व कपूर की आहुति दें।

नवरात्री के छठे दिन भक्तो को यहाँ दिए गए मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

।।ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ।।

अथवा

“या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”

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नक्षत्र (Nakshatra) – रोहिणी 7.02 AM तक तत्पश्चात मृगशिरा,

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी –           रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रम्हा और स्वामी चंद्र देव जी है । 

रोहिणी नक्षत्र, नक्षत्रों के क्रम में चौथे स्थान पर है तथा चंद्रमा का केंद्र माना जाता है। ‘रोहिणी’ का अर्थ ‘लाल’ होता है। इसे आकाश में सबसे चमकीले सितारों में से एक माना जाता है।

 यह 5 तारों का समूह है, जो धरती से किसी भूसा गाड़ी की तरह दिखाई देता है।

रोहिणी नक्षत्र का आराध्य वृक्ष जामुन और स्वभाव शुभ माना गया है ।

 पुराण कथा के अनुसार रोहिणी चंद्र की सत्ताईस पत्नियों में सबसे सुंदर, तेजस्वी, सुंदर वस्त्र धारण करने वाली है। ज्यों-ज्यों चंद्र रोहिणी के पास जाता है, त्यों-त्यों उसका रूप अधिक खिल उठता है।

इस नक्षत्र के जातक पतले, मिलनसार, दृढ़ निश्चयी, बुद्धिशाली, यशवान, ललित कलाओं के प्रेमी, ईश्वर में आस्था रखने वाले, किन्तु झूठ बोलने वाले, स्वार्थी होते है।

रोहिणी नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ सुंदर, भाग्यशाली, पति से प्रेम करने वाली, माता-पिता की आज्ञाकारी, योग्य संतान वाली और ऐश्वर्यवान होती है।

रोहिणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 2, 3, 6 और 9, भाग्यशाली रंग सफेद, पीला और नीला तथा भाग्यशाली दिन शनिवार, शुक्रवार और बुधवार है।

आज रोहिणी नक्षत्र के बीज मंत्र “ऊँ ऋं ऊँ लृं” अथवा “ॐ रौहिण्यै नमः”  l  का 108 बार जाप करें इससे रोहिणी नक्षत्र को बल मिलेगा।  

रोहिणी नक्षत्र में घी, दूध, का दान करना चाहिए।

अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नवरात्री में अवश्य करें ये उपाय  

यदि राशिनुसार सूर्य ग्रहण के उपाय तो भाग्य होगा मजबूत, सारे संकट – कष्ट होंगे दूर, जानिए राशिनुसार सूर्य ग्रहण के अचूक उपाय,



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योग :- सौभाग्य 12.01 AM शुक्रवार 4 अप्रैल तक,

योग के स्वामी, स्वभाव :- सौभाग्य योग के स्वामी ब्रह्मा जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।

प्रथम करण :- कौलव 10.40 AM तक

करण के स्वामी, स्वभाव :-     कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है ।

द्वितीय करण :- तैतिल 21.41 PM तक तत्पश्चात गर

करण के स्वामी, स्वभाव :-      तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।

ब्रह्म मुहूर्त : 4.37 AM से 5.23 AM तक

विजय मुहूर्त : 14.30 PM से 15.20 PM तक

गोधूलि मुहूर्त : 18.39 PM से 19.02 PM तक

  • दिशाशूल (Dishashool)– बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
  • गुलिक काल : – गुलिक 09:30 AM से 11 AM बजे तक ।
  • राहुकाल (Rahukaal)– दिन – 1:30 PM से 3:00 PM तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:09
  • सूर्यास्त – सायं 18:40
  • विशेष – षष्ठी के दिन नीम की पत्ती खाना, दातुन करना या किसी भी तरह से  नीम का सेवन नहीं करना चाहिए । इस दिन नीम का सेवन करने से नीच योनि की प्राप्ति होती है ।
  • पर्व त्यौहार– नवरात्री का छठा दिन, जय माँ कात्यायिनी
  • मुहूर्त (Muhurt) 

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस गुरुवार का पंचाग, Guruwar Ka Panchag, सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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