Shukrwar ka panchag, शुक्रवार का पंचांग, 14 मार्च 2025 का पंचांग,


Shukrwar ka panchag, शुक्रवार का पंचांग, 14 मार्च 2025 का पंचांग,

आप सभी को रंगो के पर्व धुलेंडी, होली की हार्दिक शुभकामनायें

गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग

शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 14 मार्च 2025 का पंचांग,

शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, Panchang 2025 हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

    1:- तिथि (Tithi)
    2:- वार (Day)
    3:- नक्षत्र (Nakshatra)
    4:- योग (Yog)
    5:- करण (Karan)


    पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

    जानिए, Shukravar Ka Panchang, शुक्रवार का पंचांग, आज का पंचांग, aaj ka panchang,

    14 मार्च 2025 का पंचांग14 March  2025 ka Panchang,

  • महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

  • ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥


आज का पंचांग, aaj ka panchang,

दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।

शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय 
“श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।

शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।

  • *विक्रम संवत् 2081,
  • * शक संवत – 1946,
    *कलि संवत – 5126
    * अयन – उत्त्तरायण,
    * ऋतु – बसंत ऋतु,
    * मास – फाल्गुन माह
    * पक्ष – शुक्ल पक्ष
    *चंद्र बल – मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन,

शुक्रवार को शुक्र देव की होरा :-

प्रात: 6.32 AM से 7.32 AM तक

दोपहर 01.30 PM से 2.30 PM तक

रात्रि 20.29 PM से 9.29 PM तक

ऐसे करें होलिका दहन, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का होगा संचार, सभी कष्ट रहेंगे दूर, अवश्य जानिए होलिका दहन की विधि

दाहिने हाथ के अंगूठे से नीचे के हिस्से ( शुक्र का स्थान ) और अंगूठे पर थोड़ा सा इत्र लगाकर, ( इत्र ना मिले तो उसके बिना भी कर सकते है) बाएं हाथ के अंगूठे से उस हिस्से को शुक्र की होरा में “ॐ शुक्राये नम:” या

‘ॐ द्रांम द्रींम द्रौंम स: शुक्राय नम:।’ मंत्र का अधिक से अधिक जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य )I

यह उपाय आप कोई भी काम करते हुए चुपचाप कर सकते है इसके लिए किसी भी विधि विधान की कोई आवश्यकता नहीं है I

सुख समृद्धि, ऐश्वर्य, बड़ा भवन, विदेश यात्रा, प्रेम, रोमांस, सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए शुक्रवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा में शुक्रदेव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शुक ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शुक्र देव के मन्त्र :-

ॐ शुं शुक्राय नमः।। अथवा

” ॐ द्राम द्रीम द्रौम सः शुक्राय नमः “।।

राशिनुसार होली खेलकर अपने भाग्य को ऐसे करें मजबूत

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  • होलिका दहन के दूसरे दिन होली  / धुलेंडी का पर्व मनाया जाता है । आज लोग एक दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल लगाते हैं, इसे धुलेंडी कहा जाता है, इस दिन हुलियारों की टोलियाँ ढोल बजा बजा घूम,घूम कर होली खेलती है । इस दिन लोग एक दूसरे के घर जा कर रंग लगाते है और गले मिलते है।

    धुलेंडी / होली क्यों मनाते है :  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,  भगवान श्री विष्णु जी ने त्रेतायुग के प्रारम्भ में धूलि वंदन किया था, इसलिए इस दिन को धुलेंडी कहा जाने लगा ।

    प्रेम के देवता कामदेव जी का पुनर्जन्म  : एक बार भगवान शंकर जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था लेकिन रति के विलाप और देवताओं के अनुरोध पर उन्होंने कामदेव को दुबारा जीवित कर दिया था जो की होली / धुलंडी का दिन था ।  इसलिए  धुलेंडी को कामदेव के पुनर्जन्म और उनकी पत्नी देवी रति को प्राप्त वरदान की खुशी में मनाया जाता है ।

    असत्य पर सत्य की जीत : धुलेंडी जिस दिन रंग खेला जाता है, यह होलिका दहन के अगले दिन मनाई जाती है, जो असत्य पर सत्य की जीत का धोतक है ।

    भक्त प्रह्लाद और होलिका की कथा : प्रह्लाद, जो राक्षस राज हिरण्यकश्यप का पुत्र और भगवान श्री विष्णु जी का परम भक्त था, उसको मरने के लिए होलिका उसे गॉड में लेकर अग्नि में बैठ गयी थी लेकिन प्रह्लादजी के प्राण बच गए परन्तु होलिका जल गई ।

    इसलिए धुलेंडी को कामदेव के पुनर्जन्म और उनकी पत्नी देवी रति को प्राप्त वरदान की खुशी में मनाया जाता है ।

    होली के दिन लोग पुरानी से पुरानी कटुता को भूला कर गले मिलकर फिर से दोस्त बन जाते हैं। होली में आपस में वैर भाव मिटा कर खुद पहल करके दुश्मनो से भी रंग खेलकर सभी से साफ मन से गले मिलना चाहिए ।

    मान्यता है कि  इस दिन पहल करके शत्रुता भुलाने से वर्ष भर आप के शत्रु आपसे पराजित होते रहेंगे ।

    होली पर रंग सभी व्यक्तियों को जरूर ही खेलना चाहिए, इससे घर परिवार में प्रेम, सौहार्द्य और सुख का वास होता है ।

    होली के दिन जिस दिन रंग खेलते है उस दिन सुबह स्नान के बाद लाल गुलाल लेकर उसे सबसे पहले घर के मंदिर में देवी देवताओं की मूर्ति / चित्र पर लगाएं
    फिर घर के बड़े बुजुर्गों को रंग लगाकर उनसे आशीर्वाद लेकर ही रंग खेलना शुरू करना चाहिए ।

    शास्त्रों के अनुसार देवता भी होली खेलते है, जो कार्य देवताओं को भी प्रिय है उसे तो हमें अवश्य करना ही चाहिए ।

    शुक्रवार 14 मार्च होली के दिन वर्ष 2025 का पहला चंद्र ग्रहण लगेगा । यह चंद्र ग्रहण, पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसे ब्लड मून कहा जाता है । ब्लड मून, चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग लाल या गुलाबी हो जाता है ।

    ब्लड मून तब होता है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है और पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद धूल और जलवाष्प चंद्रमा के प्रकाश को लाल रंग में बदल देते हैं ।

    इस चंद्र ग्रहण का समय भारत के समयानुसार 14 मार्च को प्रात: 9 बजकर 27 मिनट पर लगेगा जो दोपहर 12 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो जायेगा ।

    यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं पड़ेगा क्योंकि जिस समय चंद्र ग्रहण लगेगा उस समय भारत में दिन होगा । ऐसे में सूर्य की रौशनी के कारण या चंद्र ग्रहण भारत में नहीं देखा जायेगा । इसीलिए इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल भी भारत में नहीं लगेगा ।

    शुक्रवार 14 मार्च होली के दिन लगने वाला साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, वेस्टर्न अफ्रीका, यूरोप, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, आर्कटिक महासागर, नॉर्थ अमेरिका और साउथ अमेरिका से नजर आएगा ।

    नक्षत्र ( Nakshatra ) : उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक ,

    नक्षत्र के स्वामी :–       उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के देवता आर्यमन और स्वामी सूर्य, बुध देव जी है ।

    आकाश मंडल में उत्तरा फाल्गुनी को 12 वां नक्षत्र माना जाता है। ‘उत्तरा फाल्गुनी’ का अर्थ है ‘बाद का लाल नक्षत्र’। यह एक बिस्तर या बिस्तर के पिछले दो पाए को दर्शाता है जो आराम और विलासिता के जीवन का प्रतीक है।  

    यह नक्षत्र रोमांस, कामुक, ऐश्वर्य, रोमांच और अनैतिक आचरण को प्रदर्शित करता है। इस नक्षत्र काआराध्य वृक्ष : पाकड़ तथा स्वाभाव शुभ माना गया है।

    उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर सूर्य और बुध का प्रभाव बना रहता है।

    इस नक्ष‍त्र में जन्मे व्यक्ति दानी, दयालु, साहसी, विद्वान, चतुर, उग्र स्वभाव, सही निर्णय लेने वाले होते है।  इन्हे पूर्ण संतान, भूमि का सुख मिलता है।

    लेकिन यदि सूर्य और बुध की स्थिति जन्म कुंडली में खराब है तो जातक का रुझान गलत कार्यों में रहने लगता है, उसका झुकाव विपरीत लिंगी की तरफ बहुत आसानी से हो जाता है।

    उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में पैदा हुई स्त्री, सरल, शांत लेकिन खुशमिज़ाज़ होती हैं। यह आसानी से सबको प्रभावित कर लेती है ।इनका पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

    उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 12, भाग्यशाली रंग, चमकदार नीला, भाग्यशाली दिन  बुधवार, शुक्रवार, और रविवार  माना जाता है ।

    उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ अर्यमणे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

समस्त रोगों, कष्टों और विपत्तियों के अधिदेवता भैरव नाथ जी ने इस कारण काटा था ब्रह्मा जी का पांचवा सिर, अवश्य जानिए कैसे हुई भैरवनाथ जी की उत्पत्ति 

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    योग(Yog) :- शूल 13.24 PM तक तत्पश्चात गण्ड,

    योग के स्वामी, स्वभाव :-    शूल योग के स्वामी सर्प एवं स्वभाव हानिकारक है ।

    प्रथम करण : – बव 12.23 PM तक,

    करण के स्वामी, स्वभाव :-   बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।

    द्वितीय करण :- बालव 01.26 AM शनिवार 14 मार्च तक,

    करण के स्वामी, स्वभाव :-  बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है ।

    • दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है ।
    • ब्रह्म मुहूर्त : 4.55 AM से 5.44 AM तक
    • विजय मुहूर्त : 14.30 PM से 15.18 PM तक
    • गोधूलि मुहूर्त : 6.26 PM से 6.51 PM तक

      यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
    • गुलिक काल : – शुक्रवार का गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
    • राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 AM से 12:00 PM तक ।
    • सूर्योदय -प्रातः 06:32
    • सूर्यास्त – सायं : 18:29
    • विशेष – पूर्णिमा और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना, क्रोध करना, हिंसा करना मना है । ऐसा करने से दुर्भाग्य आता है, दुःख, कलह और दरिद्रता के योग बनते है ।
    • पर्व त्यौहार-

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  • “हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
    आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

    मित्रो हम इस साईट के माध्यम से वर्ष 2010 से निरंतर आप लोगो के साथ जुड़े है। आप भारत या विश्व के किसी भी स्थान पर रहते है, अपने धर्म अपनी संस्कृति को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए आचार्य मुक्तिनारायण पांडेय अध्यात्म ज्योतिष परामर्श केंद्र रायपुर  www.memorymuseum.net के साथ अवश्य जुड़ें, हमारा सहयोग करें ।

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    आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
    आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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    ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
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