सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 10 फरवरी 2025 का पंचांग,
आप सभी को भगवान शंकर जी को अति प्रिय सोम प्रदोष ब्रत की हार्दिक शुभकामनायें
सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 10 फरवरी 2025 का पंचांग, 10 February 2025 ka Panchang,
Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।
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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,
10 फरवरी 2025 का पंचांग, 10 February 2025 ka Panchang,
महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
- दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।
सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।
सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।
जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।
सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।
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*विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – उत्तारायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – माघ माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ,
सोमवार को चन्द्रमा की होरा :-
प्रात: 7.03 AM से 7.59 AM तक
दोपहर 01.30 PM से 2.26 PM तक
रात्रि 8.16 PM से 9.21 PM तक
सोमवार को चन्द्रमा की होरा में अधिक से अधिक चन्द्र देव के मन्त्र का जाप करें। यात्रा, प्रेम, प्रसन्नता, कला सम्बन्धी कार्यो के लिए चन्द्रमा की होरा अति उत्तम मानी जाती है।
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![](https://memorymuseum.net/wp-content/uploads/2023/04/Hora-Chart-4-1024x926.jpg)
सोमवार के दिन चन्द्रमा की होरा में चंद्रदेव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में चंद्र देव मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
चन्द्रमा के मन्त्र
ॐ सों सोमाय नम:।
ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।
![](https://memorymuseum.net/wp-content/uploads/2020/12/Somvar-Ka-Panchang-.jpg)
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- तिथि (Tithi) – त्रियोदशी 18.57 PM तक तत्पश्चात चतुर्दशी
- तिथि का स्वामी – त्रियोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी और चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है ।
- त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी हैं। कामदेव प्रेम के देवता माने जाते है । उन्हें सदैव युवा और आकर्षक रहने का वरदान है।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र माने गए हैं। उनका विवाह प्रेम और आकर्षण की देवी रति से हुआ है।
- कामदेव के हाथ में धनुष है जिसका एक कोना स्थिरता और दूसरा कोना चंचलता का प्रतीक है। कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है। कामदेव जब कमान से अपना तीर छोड़ते हैं, तो उसमें कोई आवाज नहीं होती है।
- कामदेव के बाण की यह विशेष बात है कि इनसे घायल होने के बाद भी व्यक्ति आनंद का सुखद अहसास महसूस करता है।
- कामदेव का सम्बन्ध शुभ, प्रेम, सुख, सौंदर्य, यौवन, आनंद और कामेच्छा से है ।
- कामदेव का वाहन हाथी को माना गया है। शास्त्रों में कुछ जगह कामदेव का वाहन तोते को भी बताया गया है ।
- त्रियोदशी के दिन मीठे वचन बोलने, प्रसन्न रहने से जातक रूपवान होता है, उसे अपने प्रेम में सफलता एवं इच्छित एवं योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है।
- त्रियोदशी को कामदेव जी का स्मरण करने से वैवाहिक सुख भी पूर्णरूप से मिलता है।
- अपने रूप और आकर्षण शक्ति को बढ़ाने के लिए त्रियोदशी को कामदेव जी का मन्त्र ‘ॐ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्’ की एक माला जाप अवश्य करें ।
- इस तिथि का खास नाम जयकारा भी है। समान्यता त्रयोदशी तिथि यात्रा एवं शुभ कार्यो के लिए श्रेष्ठ होती है।
- त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है।
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आज अति पुण्य प्रदान करने वाला, समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला सोम प्रदोष ब्रत है । सोमवार के दिन प्रदोष ब्रत आने के कारण इसे सोम प्रदोष ब्रत कहते है । प्रदोष तिथि को भगवान भोलेनाथ जी का ब्रत रखा जाता है।
मान्यता है कि जो जातक प्रदोष का व्रत रख कर संध्या के समय शंकर जी की आराधना करते हैं उन्हें योग्य जीवन साथी मिलता है, दाम्पत्य जीवन में प्रेम और सहयोग बना रहता है ।
मान्यता है कि प्रदोष ब्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती का पूजन करने से जीवन में सुख – सौभाग्य की वर्षा होती है, साथ ही जातक के सभी संकट दूर हो जाते हैं । ।
प्रदोष व्रत में सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक पूजा करने का विशेष महत्त्व है । इस दिन सम्पूर्ण शिव परिवार का पूजन करने से भगवान शिव अपने भक्त पर बहुत प्रसन्न होते है ।
प्रदोष व्रत को महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। प्रदोष ब्रत रखने वाले जातक के पूरे परिवार पर भगवान भोलनाथ और माँ पार्वती की सदैव असीम कृपा बनी रहती है ।
प्रदोष को प्रदोष कहने के शास्त्रों में एक मिलती है। माना जाता है कि एक बार चंद्र देव को क्षय रोग हो गया, जिसके कारण उन्हें बहुत कष्ट हो रहा था।
अपने रोग के निवारण के लिए चंद्र देव जी भगवान शिव के पास गए, प्रभु ने चंद्र देव के क्षय रोग का निवारण त्रयो करके उन्हें त्रियोदशी के दिन ही पुन:जीवन प्रदान किया था तभी से इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा है ।
प्रदोष व्रत में फलाहार किया जाता है इस व्रत में अन्न, चावल, लाल मिर्च, सादा नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
नक्षत्र (Nakshatra) – पुनर्वसु 18.01 PM तक तत्पश्चात पुष्य
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पुनर्वसु नक्षत्र के देवता अदिति (पृथ्वी देवी), बृहस्पति, एवं नक्षत्र के स्वामी गुरु बृहस्पति जी है।
पुनर्वसु अर्थ पुन: शुभ या पुन: बसना होता है। पुनर्वसु नक्षत्र आकाश मंडल में 7वां नक्षत्र है ।
ज्योतिषशास्त्र में पुनर्वसु नक्षत्र को सबसे बड़ा और बहुत ही शुभ माना जाता है । यह मर्यादा पुरषोतम भगवान श्री राम जी का जन्म नक्षत्र है। मान्यता है कि पुनर्वसु जातक के यहा केवल पुत्र ही होता है।
माना जाता है कि जिसका जन्म इस नक्षत्र में होता है, वे दूसरों की सेवा करने, भलाई करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं । पुनर्वसु प्रत्येक कार्य के शुभारम्भ के लिए, नयी शुरुआत के लिए श्रेष्ठ होता है।
पुनर्वसु नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: बांस / बांबू और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है ।
इस नक्षत्र में जन्मे जातक व्यव्हार कुशल, शांत, परोपकारी, धार्मिक,सुखी, दानी, न्यायप्रिय, लोकप्रिय, पुत्रवान होते हैं।
लेकिन यदि गुरु, बुध और चन्द्रमा शुभ ना जो तो ऐसा जातक कामुक, दब्बू,, बुद्धिहीन, कंजूस और थोड़े में ही संतुष्ट रहने वाला होता है।
इस नक्षत्र की स्त्रियां शांत लेकिन अकस्मात उग्र होने वाली, विलासी जीवन जीने वाली, कामुक, सौन्दर्यप्रेमी और आशावादी मानी जाती है ।
पुनर्वसु नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3, भाग्यशाली रंग, सुनहरा, भाग्यशाली दिन गुरुवार का माना जाता है ।
पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ आदित्याय नम:”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स - योग(Yog) – प्रीति 10.27 AM तक तत्पश्चात आयुष्मान,
- योग के स्वामी :- साध्य योग की स्वामी देवी सावित्री जी और स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
- प्रथम करण : – कौलव 07.08 AM तक,
- करण के स्वामी, स्वभाव :- कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है ।
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- द्वितीय करण : – तैतिल 18.57 AM तक तत्पश्चात गर तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।
- ब्रह्म मुहूर्त : 5.20 AM से 6.12 AM तक
- विजय मुहूर्त : 14.26 PM से 15.10 PM तक
- गोधूलि मुहूर्त : 18.05 PM से 18.31 PM तक
- दिशाशूल (Dishashool)- सोमवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।
- यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दर्पण देखकर, दूध पीकर जाएँ ।
- गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
- राहुकाल (Rahukaal)–सुबह -7:30 से 9:00 तक।
अपनी आकृषण शक्ति, चुम्बकीय शक्ति बढ़ाना चाहते है तो अवश्य ही करें ये उपाय
- * सूर्योदय – प्रातः 07:03
- * सूर्यास्त – सायं 18:08
- विशेष – त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है ।
- पर्व त्यौहार- सोम प्रदोष ब्रत
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।
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दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो, आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद ।
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