बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 26 फरवरी 2025 का पंचांग,
आप सभी को महाशिवरात्रि के महा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें, हर हर महादेव
बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 26 फरवरी 2025 का पंचांग,
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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
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बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)
26 फरवरी 2025 का पंचांग, ( Panchang ), 26 February 2025 ka Panchang,
गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।
महाशिवरात्रि पर राशिनुसार इस तरह से करें भगवन भोलेनाथ का अभिषेक मिलेगी सर्वत्र सफलता
शरद पूर्णिमा के दिन इस उपाय से जीवन भर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मिलेगी असीम कृपा,
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बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।
बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।
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*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 1945
*कलि संवत 5124
*अयन – उत्तारायण
*ऋतु – बसंत ऋतु
*मास – फाल्गुन माह
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ,
बुधवार को बुध की होरा :-
प्रात: 6.56 AM से 7.52 AM तक
दोपहर 01.28 PM से 2.24 PM तक
रात्रि 20.21 PM से 9.25 PM तक
बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।
ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
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बुध देव के मन्त्र
“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा
“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”
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- तिथि (Tithi) – त्रियोदशी 11.08 AM तक तत्पश्चात चतुर्दशी,
- तिथि के स्वामी – त्रियोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी और चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है I
त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी हैं। कामदेव प्रेम के देवता माने जाते है । उन्हें सदैव युवा और आकर्षक रहने का वरदान है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र माने गए हैं। उनका विवाह प्रेम और आकर्षण की देवी रति से हुआ है।
कामदेव का सम्बन्ध शुभ, प्रेम, सुख, सौंदर्य, यौवन, आनंद और कामेच्छा से है ।
कामदेव का वाहन हाथी को माना गया है। शास्त्रों में कुछ जगह कामदेव का वाहन तोते को भी बताया गया है ।
त्रियोदशी के दिन मीठे वचन बोलने, प्रसन्न रहने से जातक रूपवान होता है, उसे अपने प्रेम में सफलता एवं इच्छित एवं योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है।
त्रियोदशी को कामदेव जी का स्मरण करने से वैवाहिक सुख भी पूर्णरूप से मिलता है।
अपने रूप और आकर्षण शक्ति को बढ़ाने के लिए त्रियोदशी को कामदेव जी का मन्त्र ‘ॐ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्’ की एक माला जाप अवश्य करें ।
त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है।
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आज महाशिवरात्रि का महापर्व है, यह पर्व फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है ।
ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के प्रारम्भ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान भोलेनाथ कालेश्वर के रूप में प्रकट हुए थे , भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था ।
प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए पूरे ब्रह्मांड को अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से भस्म कर देते हैं, इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि भी कहा गया है ।
यह भी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शंकर जी का विवाह देवी पार्वती जी से हुआ था, इस दिन भगवान शिव की बरात निकली थी। इस दिन शिव भक्त ब्रत रखकर भगवान आशुतोष की पूजा करते है ,महाशिवरात्रि के दिन व्रत धारण करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है।
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण चतुर्दशी तिथि बुधवार 26 फरवरी को प्रात: 11 बजकर 8 मिनट से प्रारम्भ होगी जो गुरुवार 27 फरवरी को प्रात: 8 बजकर 54 मिनट तक रहेगी चूँकि शिवरात्रि के पर्व में रात्रि का महत्व है इसलिए महाशिवरात्रि का पर्व बुधवार 26 फरवरी को मनाया जायेगा ।
माना जाता है कि इस दिन शिवपुराण का पाठ सभी जातको को अवश्य ही करना / सुनना चाहिए। महाशिवरात्रि की रात्रि को जागरण कर शिवपुराण का पाठ करने सुनने से जीवन के समस्त घोर से घोर संकट दूर होते है, सभी मनोकामनाएँ अवश्य ही पूर्ण होती है ।
महाशिवरात्रि के दिन प्रात: स्नान करके सर्वप्रथम सूर्य देव को जल अर्पित करें । उसके बाद मंदिर में उत्तर की तरफ मुँह करके भगवान भोलनाथ के शिवलिंग का पंचामृत, / दूध, दही, घी, गंगाजल, शहद, गन्ने का रस, अनार का रस आदि से अभिषेक करें ।
शिवलिंग पर बेल पत्र, शमी पत्र, भांग, धतूरा, काले तिल, अक्षत, सफ़ेद पुष्प, गन्ने के टुकड़े, नारियल, बेर, सफ़ेद मिठाई चढ़ाएं तत्पश्चात सफ़ेद चन्दन से त्रिपुण्ड बनायें, या शिवलिंग पर तिलक लगाएं ।
फिर वहीँ बैठकर शिवरक्षा स्त्रोत्र का पाठ करें, ॐ नम: शिवाये एवं श्री शिवाये नमस्तुभ्यम की माला का जाप करें । शिवरात्रि के दिन महा मृत्युंजय मन्त्र का जाप घोर से घोर संकटो को दूर करने वाला माना गया है ।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||
धार्मिक मान्यता है कि शिवरात्रि को शिव जगत् में विचरण करते है और जो जातक शिवरात्रि की रात्रि में जाग कर भगवान भोले नाथ की आराधना करते है उनपर शिव शम्भु की असीम कृपा बरसती है । शिवरात्रि समस्त मनुष्यो के लिए महान उपलब्धि प्राप्त करने का दिन भी है ।
चूँकि शिवरात्रि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है । इसी लिए मान्यता है कि जो लोग इस दिन भगवान शंकर की आराधना करते है, वह परम भाग्यशाली बनते है ।
वैसे तो प्रत्येक हिन्दू का शिवरात्रि का ब्रत अवश्य ही रखना चाहिए लेकिन अगर आप ब्रत ना भी रख पाएं तो शिवरात्रि के दिन फलाहार, सात्विक भोजन ही करना चाहिए । इस दिन माँस, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि तामसी चीज़ो का भूल कर भी सेवन नहीं करना चाहिए ।
महाशिवरात्रि के दिन अपनी इन्द्रियों को अवश्य ही वश में रखें, इस दिन क्रोध, हिंसा, सहवास आदि से भी बिलकुल दूर रहना चाहिए ।
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नक्षत्र (Nakshatra) – श्रवण 17.23 PM तक तत्पश्चात धनिष्ठा,
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु और सरस्वती जी तथा स्वामी चंद्र देव जी है ।
श्रवण नक्षत्र 22 वें नंबर का नक्षत्र है। यह एक त्रिशूल के जैसा प्रतीत होता है। श्रवण नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आक या मंदार, और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है । श्रावण नक्षत्र का लिंग पुरुष है।
श्रवण नक्षत्र के जातक पर शनि और चंद्र का प्रभाव जीवनभर बना रहता है। श्रवण नक्षत्र के जातक बुद्धिमान और अपने कार्यो में निपुण होते हैं ।
श्रवण नक्षत्र में जन्म होने से जातक सुंदर, दानवान, आज्ञाकारी, सर्वगुण संपन्न, धनवान और अपने क्षेत्र में मान सम्मान प्राप्त करता है।
इसलिए जातक को हनुमानजी की सदैव उपासना करना है । जातक को शराब, मांस आदि व्यसनों से दूर रहना चाहिए।
श्रवण नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 8, भाग्यशाली रंग, आसमानी, हल्का नीला, भाग्यशाली दिन गुरुवार, बुधवार और सोमवार माना जाता है ।
श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ श्रवणाय नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
जीवन में सुख समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न,
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- योग (Yog) – परिध 2.58 AM, 27 फरवरी तक
- योग के स्वामी, स्वभाव :- परिध योग की स्वामी विश्वकर्मा जी एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
- प्रथम करण : – वणिज 11.08 AM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
- द्वितीय करण : – विष्टि 22.05 PM तक तत्पश्चात शकुनि
- करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
- ब्रह्म मुहूर्त : 5.09 AM से 5.59 AM तक
- विजय मुहूर्त : 14.29 PM से 15.15 PM तक
- गोधूलि मुहूर्त : 18.17 PM से 18.42 PM तक
इन उपायों से धन संपत्ति खींची चली आएगी, किसी चीज़ का नहीं रहेगा अभाव
- दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।
इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ । - गुलिक काल : – बुधवार का गुलिक काल 10:30 AM से 12 PM बजे तक ।
- राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार का राहुकाल दिन 12:00 PM से 1:30 PM तक ।
- सूर्योदय – प्रातः 6.49 AM
- सूर्यास्त – सायं 18.19 PM
- विशेष – त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है ।
- मुहूर्त :-
- पर्व त्यौहार- महाशिवरात्रि ब्रत
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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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